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By Rajesh Sharma
Edited By: Rajesh Sharma
Publish Date: Mon, 03 Jun 2024 01:37:54 PM (IST)
Up to date Date: Mon, 03 Jun 2024 01:57:55 PM (IST)
Rajgarh Lok Sabha Consequence 2024: राजगढ़। कांग्रेस के दिग्गज नेता राजा दिग्विजयसिंह के चुनाव मैदान में आने के बाद से ही राजगढ़ लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक हो गया था। यही कारण है कि न सिर्फ यह सीट देश की सबसे हाट सीटों में गिनी जा रही है, बल्कि पूरे देश की नजरें भी अब इस सीट पर टिकी हुई है। कांग्रस को दिग्विजययिंह से आस है तो भाजपा को मोदी के नाम पर भरोसा है। अब देखना यह है कि यहां ऊंट किस करवट बैठता है।
राजगढ़ लोकसभा सीट एक समय तक दिग्विजयसिंह के गढ़ के रूप में पूरे देश में जानी जाती रही है। यहां से खुद दिग्विजयसिंह दो बार सांसद रहे तो दिग्विजय के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके अनुज लक्ष्मणसिंह भी लगातार सांसद रहे हैं। लेकिन पिछले दो चुनाव से यहां पर भाजपा का कब्जा है। 2014 व 19 में भाजपा के रोडमल नागर ने लगातार 2 लाख 28 हजार व 4 लाख 31 हजार के बढ़े अंतराल से जीत दर्ज की थी।
इस बार भी टिकट तय होने के पहले तक यहां के समीकरण भाजपा के पक्ष में नजर आ रहे थे। भाजपा ने लगातार तीसरी बार सांसद रोडमल नागर को मैदान में उतारा तो कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता दिग्विजययिंह को मैदान में उतारकर राजगढ़ के चुनाव को न केवल टप कर दिया, बल्कि यह सीट हाट सीटों में बदल गई।
भाजपा ने पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राम मंदिर व राष्ट्रवाद के नाम पर लड़ा तो दिग्विजयसिंह ने पूरा चुनाव स्थानीय मुददों, खुद के कार्यकाल में किए गए काम, लोगों से सीधे जुड़ाव व भाजपा उम्मीदवार को सामने रखकर चुनाव लड़ा। दिग्विजय ने यहां के चुनाव को काफी हद तक स्थानीय स्तर पर लाकर खड़ज्ञ कर दिया था।
ऐसे में यहां के चुनाव परिणाम को लेकर सभी उत्सुक हैं। दोनों नेताओं व दलों के समर्थक अपने-अपने उम्मीदवार की जीत के दावे कर रहे हैं, अब देखना यह है कि आखिर जनता ने किसके पक्ष में मतदान दिया है।
राजगढ़ लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद 2024 के चुनाव को छोड़ दें तो अभी तक 13 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। पहली बार 1962 में राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र पहली बार अस्तित्व में आया था। इसके बाद 1977 से राजगढ़ खुद लोकसभा के रूप् में अस्तित्व में आया। 1962 व 1977 से 2019 तक कुल 13 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें से 7 बार राघौगढ़ राज परिवार का कब्जा रहा है।
दिग्विजयसिंह पहली बार 1984 में लोकसभा लड़े व जीते। 89 का चुनाव भाजपा के प्यारेलाल खंडेलवाल से हार गए थे। लेकिन 1991 में फिर दिग्विजयसिंह प्यारेलाल खंडेलवाल को हराकर सदन पहुंचने में कामयाब रहे। इसके बाद जब 1993 में प्रदेशाध्यक्ष रहते मप्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो दिग्विजयसिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए।
ऐसे में उन्होंने राजगढ़ लोकसभा सीट खाली करके चांचौड़ा से तत्कालीन विधायक शिवनारायण मीना से सीट खाली करवाकर वह विधायक चुने गए। राजगढ़ में फिर 1994 में हुए उपचुनाव में दिग्विजय ने अपने अनुज लक्ष्मणसिंह को चुनाव मैदान में उतारा। लक्ष्मणसिंह उपचुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे।
इसके बाद वह लगातार 1996, 1998, 1999 में चार बार कांग्रेस से चुनाव जीते। 2004 में लक्ष्मणसिंह भाजपा में शामिल हो गए व सांसद चुनने में कायमयाब रहे। 2009 में दिग्विजयसिंह ने कांग्रेस से तत्कालीन जिलाध्यक्ष नारायणसिंह को चुनाव मैदान में उतारा और भाजपा से लक्ष्मणसिंह को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2014 व 2019 मेूं राज परिवार से कोई चुनाव मैदान में नहीं उतरा था, लेकिन इस बार फिर से दिग्विजयसिंह मैदान में हैं।
राजगढ़ जिला चार बार अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में शामिल रहा है। स्वतंत्र रूप से राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र नहीं था। 1952 व 57 में राजगढ़ जिले की पहचान शाजापुर लोकसभा क्षेत्र के रूप में थी। इसके अलावा 1967 व 71 में राजगढ़ जिले की पांचों विधानसभा क्षेत्र तीन लोकसभा क्षेत्र में जुड़ गई थी। 1967 व 71 में राजगढ, खिलचीपुर व सारंगपुर विधानसभाएं शाजापुर लोकसभा में जुड़ गई थी तो, नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र भोपाल लोकसभा में व ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र को गुना लोकसभा क्षेत्र में शामिल कर दिया था। इसलिए यहां के मतदाता अलग-अलग उम्मीदवारों के लिए मतदान करते रहे थे। फिर स्वतंत्र रूप से राजगढ़ 1977 में लोकसभा क्षेत्र बना था, जो अब तक जारी है।
1977 में राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद से ही राजगढ़ जिले की पांचों, गुना जिले की दो विधानसभा सीटों के अलावा विदिशा जिले की सीरोंज विधानसभा सीट राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करती थी। 2004 के चुनाव में तक सीरोंज क्षेत्र के मतदाता राजगढ़ का सांसद चुनने मतदान करते थे, जबकि आगर-मालवा जिले की सुसनेर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता शाजापुर लोकसभा सांसद चुनने के लिए मतदान करते थे। लेकिन 2009 के चुनाव के ठीक पहले हुए परिसीमन में विदिशा जिले की सीरोंज विधानसभा क्षेत्र को राजगढ़ से हटाकर सागर लोकसभा में जोड़ दिया, जबकि तब शाजापुर व अब आगर मालवा जिले की सुसनेर विधानसभा सीट को शाजापुर लोकसभा क्षेत्र से हटाकर राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में शामिल कर दिया।
-राजगढ़, ब्यावरा, नरसिंहगढ़, खिलचीपुर, सारंगपुर, चांचौड़ा, राघौगढ़ व सुसनेर