Virat Kohli के आउट होते ही मचा बवाल, अंपायर पर चिल्लाने लगा RCB का बल्लेबाज, गुस्से में मैदान पर मारा बल्ला

पूर्व कप्तान विराट कोहली 18 रन पर आउट होने के बाद अंपायर पर भड़क गए। आउट होने के बाद वो गुस्से से लाल हो गए थे। उन्होंने गुस्से में अपना बल्ला मैदान पर दे मारा।

By Kushagra Valuskar

Publish Date: Solar, 21 Apr 2024 07:28 PM (IST)

Up to date Date: Solar, 21 Apr 2024 07:30 PM (IST)

Virat Kohli के आउट होते ही मचा बवाल, अंपायर पर चिल्लाने लगा RCB का बल्लेबाज, गुस्से में मैदान पर मारा बल्ला
हर्षित राणा ने विराट को 18 रन पर आउट किया।

खेल डेस्क, नई दिल्ली। IPL 2024, Virat Kohli: आईपीएल 2024 का 36वां मैच कोलकाता नाइट राइडर्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के बीच ईडन गार्डन्स में खेला गया। केकेआर ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 222/6 रन बनाए। टारगेट का पीछा करने उतरी आरसीबी की शुरुआत ठीक नहीं रही। पूर्व कप्तान विराट कोहली 18 रन पर आउट होने के बाद अंपायर पर भड़क गए। आउट होने के बाद वो गुस्से से लाल हो गए थे। उन्होंने पवेलियन लौटते समय गुस्से में अपना बैट मैदान पर दे मारा।

तीसरे ओवर में हुआ विवाद

दरअसल मामला तीसरे ओवर का था। हर्षित राणा ओवर करने आए थे। उनकी पहली गेंद पर विराट ने हर्षित को कैच थमा दिया। जिसके बाद मैदान पर तमाशा हुआ। किंग कोहली के अनुसार, वो नो बॉल थी, लेकिन अंपायर ने नो बॉल नहीं दिया। इसके बाद विराट कोहली ने रिव्यू लिया। हर्षित राणा की फुल टॉस बॉल को फेयर डिलीवरी माना। स्क्रीन पर नतीजे को देखकर आरसीबी का बल्लेबाज भड़क गया। वो टीवी अंपायर के फैसले से नाखुश थे।

विराट कोहली ने गुस्से में पटका बल्ला

इसके बाद विराट कोहली फील्ड अंपायर से बात करते नजर आए। उन्होंने जाते समय अंपायर को कुछ कहा भी। बाहर आने के बाद मैदान पर जोर से अपना बल्ला मारा। उनके चेहरे पर नाराजगी साफ नजर आ रही थी।

‘उलगुलान न्याय महारैली’ के मंच पर दिखा गजब नजारा, केजरीवाल व हेमंत सोरेन के लिए खाली छोड़ीं कुर्सियां

झारखंड की राजधानी रांची में इंडी गठबंधन की ‘उलगुलान न्याय महारैली’ का आयोजन किया गया। इस दौरान एक तस्वीर खूब वायरल हुई, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए कुर्सियां खाली छोड़ी गई थीं।

By Anurag Mishra

Publish Date: Solar, 21 Apr 2024 09:52 PM (IST)

Up to date Date: Solar, 21 Apr 2024 09:52 PM (IST)

'उलगुलान न्याय महारैली' के मंच पर दिखा गजब नजारा, केजरीवाल व हेमंत सोरेन के लिए खाली छोड़ीं कुर्सियां
‘उलगुलान न्याय महारैली’ खाली छोड़ी गईं कुर्सियां।

डिजिटल डेस्क, इंदौर। झारखंड की राजधानी रांची में इंडी गठबंधन की ‘उलगुलान न्याय महारैली’ का आयोजन किया गया। इसमें देश भर के बड़े विपक्षी नेता शामिल हुए, जिसमें भाजपा के खिलाफ सभी ने जमकर हमला बोला। इस दौरान एक तस्वीर खूब वायरल हुई, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए कुर्सियां खाली छोड़ी गई थीं। दोनों नेता इस समय जेल में बंद हैं।

दोनों की पत्नियां मंच पर रहीं मौजूद

झारखंड मुक्ति मोर्चा झामुमो ने इस महारैली का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने दोनों नेताओं के लिए कुर्सियां खाली छोड़ना तय किया था। इस दौरान हेमंत सोरेने की पत्नी कल्पना सोरेन व सीएम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने मंच पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई थी। दोनों राजनेताओं की पत्नियों ने गिरफ्तारी के खिलाफ जांच एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का भाजपा पर आरोप लगाया।

झामुमो ने इस रैली का किया आयोजन

‘उलगुलान न्याय महारैली’ के आयोजन के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकर्ता कई दिनों से तैयारी कर रहे थे। इस रैली को सफल बनाने के लिए पूरे झारखंड से कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था। इस दौरान रैली में मौजूद कार्यकर्ता हेमंत सोरेन का मास्क पहने हुए थे।

ईडी ने 31 जनवरी को कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई करते हुए हेमंत सोरेने को गिरफ्तार कर लिया था। वह उस समय मुख्यमंत्री थे, लेकिन गिरफ्तारी से पहले उन्हें राजभवन जाकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।

जेल का ताला टूटेगा, हेमन्त सोरेन छूटेगा के नारे

‘उलगुलान न्याय महारैली’ झामुमो के हजारों की संख्या में कार्यकर्ता जुटे थे। इस दौरान वह लगातार ‘जेल का ताला टूटेगा, हेमन्त सोरेन छूटेगा’ का नारा लगा रहे थे। रांची में रविवार को बहुत तेज गर्मी थी। 40 डिग्री सेल्सियस के बाद कार्यकर्ता रैली में मौजूद थे।

Bengali Actress Kanan Devi Film Charges; Achievements And Success Story | कानन देवी, जिनकी शादी के खिलाफ था कोलकाता: टिकट का दाम 30 पैसे था, तब फीस थी 5 लाख; तोहफा दिया तो रवींद्रनाथ टैगोर को मिली धमकियां

14 मिनट पहलेलेखक: ईफत कुरैशी

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30-40 के दशक की एक मशहूर सिंगर और एक्ट्रेस हुआ करती थीं, नाम था कानन देवी। आवाज में वो गूंज थी कि फिल्ममेकर्स उन्हें फिल्मों में लेने के लिए हर कीमत चुकाने के लिए तैयार रहते थे।

ये वो दौर था जब फिल्में महज 15 से 20 हजार में बनती थीं और टिकट की कीमत महज 30 पैसे हुआ करती थी, लेकिन उस दौर में भी कानन देवी एक गाने के 1 लाख रुपए और फिल्म के लिए 5 लाख रुपए लेती थीं।

यही वजह है कि उन्हें भारत की पहली फीमेल सुपरस्टार कहा जाता है। ये भारत के साथ-साथ बंगाल की भी पहली स्टार हैं। दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने वालीं चौथी महिला कानन देवी ने अपने हुनर से हिंदी सिनेमा में कई ट्रेंड बनाए।

जेंडर पे गैप आज भी हिंदी सिनेमा में बड़ा मुद्दा है, लेकिन कानन देवी उस समय पुरुषों से ज्यादा फीस लिया करती थीं। ये उन शुरुआती कलाकारों में हैं, जिन्हें चाहने वालों से बचाने के लिए कड़ी सिक्योरिटी में रखा जाता था। साथ ही उन्हें भारत की पहली बायकॉट की जाने वाली एक्ट्रेस भी कहना गलत नहीं होगा।

आज कानन देवी की 110वीं बर्थ एनिवर्सरी पर जानिए उनके बनाए 5 सबसे बड़े ट्रेंड की कहानी-

22 अप्रैल 1916 को कोलकाता में जन्मीं कानन देवी का बचपन बेहद दर्दनाक था। कानन देवी की ऑटोबायोग्राफी सबारे अमी नामी के अनुसार, कानन देवी जिन्हें अपना पेरेंट्स मानती थीं, असल में उस दंपती ने उन्हें गोद लिया था।

कम उम्र में ही जब उन्हें गोद लेने वाले रतन चंद्र दास का निधन हो गया, तो उन्हें बेहद गरीबी का सामना करना पड़ा। जिन रिश्तेदारों ने उन्हें घर में आसरा दिया था, वो उनसे नौकरों की तरह सलूक किया करते थे।

फिल्म विद्यापति के पोस्टर में कानन देवी। 1937 की ये फिल्म बड़ी हिट रही थी, जिसमें कानन देवी के साथ पृथ्वीराज कपूर और पहाड़ी सान्याल अहम किरदारों में थे।

फिल्म विद्यापति के पोस्टर में कानन देवी। 1937 की ये फिल्म बड़ी हिट रही थी, जिसमें कानन देवी के साथ पृथ्वीराज कपूर और पहाड़ी सान्याल अहम किरदारों में थे।

7 साल की उम्र में कानन देवी ने उन रिश्तेदारों का घर छोड़ दिया और मां के साथ हावड़ा रहने आ गईं। यहां जान-पहचान के शख्स और थिएटर आर्टिस्ट तुलसी बनर्जी ने उनका परिचय मदन थिएटर से करवाया। थिएटर से जुड़कर छोटे-मोटे काम करने के बाद कानन देवी को हुनर की बदौलत 5 रुपए की तनख्वाह पर फिल्म जयदेव (1926) में साइन किया गया।

आगे उन्होंने शंकराचार्य (1927), रिशिर प्रेम (1931) जैसी कुछ साइलेंट फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए। साल 1931 में कानन देवी पहली बार रंगीन फिल्म जोर बारात में नजर आईं, जिससे रातोंरात उन्हें स्टारडम मिल गया। ये वो दौर था जब फिल्मों के लीड एक्टर्स ही फिल्म में आवाज दिया करते थे।

न्यू थिएटर से जुड़कर कानन देवी ने कई बेहतरीन गानों को आवाज दी और सुपरहिट सिंगर के रूप में उभरीं। कानन देवी अकेली फिल्मों की कमान संभाला करती थीं और उनकी ज्यादातर फिल्में हाउसफुल हुआ करती थीं।

यही वजह रही कि उन्हें भारतीय सिनेमा की पहली सुपरस्टार सिंगर का दर्जा दिया गया था।

पूर्व डिफेंस मिनिस्टर वी.के. मेनन के साथ कानन देवी।

पूर्व डिफेंस मिनिस्टर वी.के. मेनन के साथ कानन देवी।

कानन देवी की पॉपुलैरिटी ऐसी थी कि जहां जाती थीं, देखने वालों की भीड़ लग जाती थी। यही कारण रहा कि न्यू थिएटर वाले उन्हें कड़ी सिक्योरिटी में रखते थे। कानन देवी पहली एक्ट्रेस हैं, जिन्हें सिक्योरिटी दी गई थी।

उनकी पॉपुलैरिटी बढ़ती देख UK की सबसे बड़ी रिकॉर्डिंग कंपनी ग्रामोफोन ने उन्हें साइन किया। कानन देवी के गाने विदेश में भी काफी पसंद किए जाते थे।

2015 में राइटर मेखला सेन गुप्ता की लिखी बुक कानन देवी- फर्स्ट सुपरस्टार ऑफ इंडियन सिनेमा के अनुसार कानन देवी भारत की पहली करोड़पति एक्ट्रेस हैं। 30 के दशक में वो पुरुषों से कई गुना ज्यादा फीस लिया करती थीं।

रिसर्च में पता चलता है कि पृथ्वीराज कपूर जैसे दिग्गज कलाकार को 30 के दशक में 70 रुपए फीस दी जाती थी, हालांकि कानन देवी 30 के दशक में महज 1 गाने के लिए 1 लाख रुपए चार्ज करती थीं। वहीं अगर उन्हें फिल्म में कास्ट किया जाना होता था तो उन्हें 5 लाख रुपए तक फीस दी जाती थी।

ये रकम इसलिए भी बड़ी थी क्योंकि उस दौर में ज्यादातर फिल्में 10-15 हजार में बन जाया करती थीं, जिनकी टिकट भी महज 30 पैसे होती थी। ऐसे में कानन देवी ने 5 लाख रुपए फीस लेकर इतिहास रच दिया था।

आज भी हिंदी सिनेमा में महिलाओं को पुरुषों से काफी कम फीस दी जाती है, लेकिन करीब 70 साल पहले कानन देवी ये रिवाज तोड़ चुकी थीं।

स्क्रॉल इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार कानन देवी 30-40 के दशक की सबसे बड़ी भारतीय अभिनेत्री थीं। उनके पहने हुए कपड़ों से फैशन का नया दौर आ जाया करता था। फैशन आइकन रहीं कानन देवी पहली एक्ट्रेस हैं, जिनके पोस्टर बिका करते थे।

उनके पोस्टर खरीदने की होड़ मचा करती थी। कई नौजवान कानन देवी के पोस्टर अपने कमरों में लगाया करते थे।

कानन देवी ने लक्स साबुन के ऐड के लिए पहली बार मॉडलिंग की थी।

कानन देवी ने लक्स साबुन के ऐड के लिए पहली बार मॉडलिंग की थी।

वो ज्यादातर ट्रेडिशनल लिबास में हुआ करती थीं, लेकिन उनके ब्लाउज बेहद डिजाइनर होते थे। हर फिल्म में उनकी हेयरस्टाइल और हेयर एक्सेसरीज अलग होती थी। ज्वेलरी भी अलग-अलग और डिजाइनर पहना करती थीं।

जब भी उनकी फिल्में रिलीज होती थीं, तो महिलाएं उनके कपड़े और गहने देखने पहुंचा करती थीं और फिर उन्हीं की तरह कपड़े बनवाती थीं।

कानन देवी ने 1973 में पब्लिश हुई अपनी बंगाली बुक सबारे अमी नामी में निजी जिंदगी के एक विवाद का जिक्र किया था। बुक के अनुसार, कानन देवी ने 1940 में 11 साल बड़े अशोक मैत्रा से शादी की थी। दोनों की शादी का पूरे कोलकाता में विरोध हुआ था। दरअसल, अशोक मैत्रा, कोलकाता के ब्रह्म समाज के लीडर और एजुकेशनिस्ट हेरम्बा मैत्रा के बेटे थे।

हेरम्बा चंद्र मैत्रा, ब्रह्म समाज के प्रचारक थे। बतौर स्पीकर और लेक्चरर उन्होंने इंग्लैंड, न्यूयॉर्क और शिकागो में ब्रह्म समाज का प्रचार किया था।

हेरम्बा चंद्र मैत्रा, ब्रह्म समाज के प्रचारक थे। बतौर स्पीकर और लेक्चरर उन्होंने इंग्लैंड, न्यूयॉर्क और शिकागो में ब्रह्म समाज का प्रचार किया था।

समाज में आला मुकाम रखने वाले हेरम्बा मैत्रा, फिल्मी दुनिया में काम करने वालीं कानन देवी को बहू बनाने के खिलाफ थे, लेकिन उनके निधन के बाद उनके बेटे अशोक मैत्रा और कानन देवी ने शादी कर ली। जैसे ही दोनों की शादी की खबर अखबारों में छपी तो ब्रह्म समाज ने इसका कड़ा विरोध किया। पूरे कोलकाता में कानन देवी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगा।

कानन देवी जहां भी जाती थीं, वहां उनके खिलाफ नारेबाजी होती थी। ब्रह्म समाज के लीडर, अशोक मैत्रा और कानन देवी पर शादी तोड़ने का दबाव बनाते थे, जबकि उस दौर में तलाक को कानूनी मान्यता तक नहीं मिली थी।

सामाजिक दबाव के चलते कानन देवी ने घर से निकलता लगभग बंद कर दिया था। इस तरह कानन देवी भारत की पहली एक्ट्रेस रहीं, जिनकी शादी का विरोध हुआ और उनका बायकॉट किया गया।

कानन देवी की बुक माय होमेज टू ऑल (बंगाली में- सबारे अमी नामी)।

कानन देवी की बुक माय होमेज टू ऑल (बंगाली में- सबारे अमी नामी)।

बुक के अनुसार, रवींद्रनाथ के लिखे कई गीतों में कानन देवी ने आवाज दी थी। ऐसे में दोनों परिचित थे। जब रवींद्रनाथ टैगोर ने कानन देवी को शादी की बधाई दी तो उन्होंने ऑटोग्राफ के साथ टैगोर को एक तस्वीर भेज दी। यह खबर सामने आते ही रवींद्रनाथ टैगोर को धमकी भरे कॉल आने लगे।

मेमॉयर में कानन देवी ने लिखा था कि इस घटना के बाद जब भी उन्हें रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों को गाने का ऑफर मिलता था, वो ये सोचकर दुख से भर जाती थीं कि एक ऑटोग्राफ देने पर एक महान कवि को तकलीफ का सामना करना पड़ा था।

कानन देवी कोलकाता में ए-11, कबीर रोड स्थित घर पर रहती थीं। उनके पति अशोक मैत्रा भी उन्हीं के घर में रहते थे। एक समय ऐसा भी रहा जब फिल्मों के सेट पर लोग कानन देवी के साथ बदसलूकी करने लगे।

कई लोग उनसे निजी सवाल किया करते थे, जिसके चलते उन्होंने कई फिल्मों में काम करना छोड़ दिया था। विरोध का असर उनकी शादीशुदा जिंदगी पर भी पड़ा। एक समय बाद अशोक मैत्रा भी कानन देवी के फिल्मों में काम करने के खिलाफ हो गए।

समय के साथ कानन देवी पर पाबंदियां लगने लगीं। उन्हें फोन इस्तेमाल करने की भी इजाजत नहीं थी। विवादों का असर उनकी प्रोफेशनल जिंदगी पर भी पड़ा।

विवादों के बीच साल 1943 में रिलीज हुई कानन देवी की फिल्म हॉस्पिटल बुरी तरह फ्लॉप हो गई थी।

विवादों के बीच साल 1943 में रिलीज हुई कानन देवी की फिल्म हॉस्पिटल बुरी तरह फ्लॉप हो गई थी।

आखिरकार पति के बदले रवैये से परेशान होकर कानन देवी ने 1945 में उनसे रिश्ता खत्म कर लिया। कानन देवी पति से अलग होने के बाद 1947 की फिल्म चंद्रशेखर में अशोक कुमार के साथ नजर आईं। जब ये फिल्म भी फ्लॉप हो गई तो कानन ने बतौर एक्ट्रेस फिल्में साइन करनी बंद कर दीं।

साल 1949 में कानन देवी ने बंगाल के गवर्नर के ADC हरिदास भट्टाचार्या से दूसरी शादी की।

पति हरिदास भट्टाचार्या के साथ कानन देवी बेटे सिद्धार्थ को गोद लिए हुए।

पति हरिदास भट्टाचार्या के साथ कानन देवी बेटे सिद्धार्थ को गोद लिए हुए।

जब कानन ने फिल्मों में काम करना छोड़कर अपना प्रोडक्शन हाउस श्रीमति प्रोडक्शन की शुरुआत की तो उनके पति ने सरकारी नौकरी छोड़कर उनकी मदद की। दोनों ने कई फिल्में बनाईं, लेकिन जब हरिदास भट्टाचार्या से ज्यादा नाम कानन देवी को मिलने लगा, तो दोनों में झगड़े बढ़ने लगे।

पत्नी को ज्यादा तवज्जो मिलने से तंग आकर हरिदास भट्टाचार्या ने 1987 में कानन देवी का घर छोड़ दिया। दोनों के रिश्ते इतना बिगड़ गए थे कि जब 17 जुलाई 1992 को कानन देवी का निधन हुआ तो हरिदास भट्टाचार्या शहर में होने के बावजूद उन्हें आखिरी बार देखने भी नहीं पहुंचे। इस शादी से उन्हें बेटा सिद्धार्थ था।

विद्यापति, स्ट्रीट सिंगर, सपेरा, जवानी की रीत, पराजय, लगान, परिचय, जवाब जैसी करीब 57 फिल्मों में नजर आईं और 40 गानों की आवाज बनीं कानन देवी को साल 1968 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

साल 1976 में ये दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड जीतने वालीं चौथी महिला रहीं। नई जनरेशन भले ही कानन देवी के नाम और फिल्मों में उनके योगदान से अनजान है, लेकिन अपने दौर में उन्होंने बतौर सिंगर, एक्ट्रेस और सशक्त महिला के रूप में गहरी छाप छोड़ी थी। वो के.एल. सहगल, पी.सी.बरुआ, पहाड़ी सन्याल, अशोक कुमार जैसे दिग्गजों की पहली पसंद हुआ करती थीं।

फिल्म चंद्रशेखर के पोस्टर में अशोक कुमार के साथ कानन देवी।

फिल्म चंद्रशेखर के पोस्टर में अशोक कुमार के साथ कानन देवी।

कानन देवी के निधन के बाद लता मंगेशकर ने साल 1994 में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एल्बम श्रद्धांजलि 2.0- माय ट्रिब्यूट टू इमोर्टल्स लॉन्च किया था। इस एल्बम में उन्होंने कानन देवी के गानों ऐ चांद छुप न जाना और जिंदगी तूफान मेल को आवाज दी थी।

खबरें और भी हैं…
Upcoming IPO: पैसा रखें तैयार, इस हफ्ते खुलेंगे चार आईपीओ, नोट कर लें प्राइस बैंड

एसएमई सेगमेंट में तीन आईपीओ खुलेंगे। पहले से खुले मेनबोर्ड सेगमेंट में वोडाफोन आइडिया लिमिटेड हैं। जिनकी क्लोजिंग आने वाले हफ्ते में होगी।

By Kushagra Valuskar

Publish Date: Solar, 21 Apr 2024 05:03 PM (IST)

Up to date Date: Solar, 21 Apr 2024 05:03 PM (IST)

Upcoming IPO This Week

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। Upcoming IPO This Week: 22 अप्रैल से शुरू हो रहे नए सप्ताह में प्राइमरी मार्केट में हलचल थोड़ी कम रहेगी। इस हफ्ते मेनबोर्ड सेगमेंट में एक नया आईपीओ खुलेगा। एसएमई सेगमेंट में तीन आईपीओ खुलेंगे। पहले से खुले मेनबोर्ड सेगमेंट में वोडाफोन आइडिया लिमिटेड और एसएमई में Faalcon Ideas हैं। जिनकी क्लोजिंग आने वाले हफ्ते में होगी। अगले सप्ताह लिस्टेड कंपनी में Vodafone Thought Ltd का एफपीओ सूचीबद्ध होगा। साथ ही एसएमई सेगमेंट की चार कंपनियां शेयर बाजार में शुरुआत करेंगी। आइए आपको बताते हैं कि कौन-से नए आईपीओ खुलेंगे।

इसका प्राइस बैंड 395-415 रुपये प्रति शेयर रखा गया है। यह आईपीएल 23 अप्रैल को खुलेगा। 25 अप्रैल को बंद होगा। कंपनी ने 647.47 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। लॉट साइज 36 शेयर है। 30 अप्रैल को शेयरों की लिस्टिंग हो सकती है।

Varyaa Creations IPO

यह आईपीओ 22 अप्रैल को खुलेगा। कंपनी 20.10 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है। प्राइस बैंड 150 रुपये प्रति शेयर है। एक हजार शेयर लॉट साइज रखा गया है।

Shivam Chemical compounds IPO

20.18 करोड़ के इस आईपीओ की ओपनिंग 23 अप्रैल और क्लोजिंग 25 अप्रैल को होगी। प्राइस बैंड 44 रुपये और लॉट साइज तीन हजार शेयर है।

Emmforce Autotech IPO

इस आईपीओ की ओपनिंग 23 अप्रैल को होगी। प्राइस बैंड 93 से 98 रुपये प्रति शेयर है। इसका लॉट साइज 1200 शेयर है।

पहले से खुले आईपीओ

Vodafone Thought Restricted

वोडाफोन आइडिया का एफपीओ 18 अप्रैल को ओपन हुआ था। यह 22 अप्रैल को बंद होगा। इसका प्राइस बैंड 10-11 रुपये है। लॉट साइज 1298 शेयर है। अब तक 0.54 गुना सब्सक्राइब हो चुका है।