इंदरगढ़ के एक निजी अस्पताल में नवजात बच्ची की मौत के बाद स्वजन ने वहां जमकर हंगामा कर दिया। स्वजन का आरोप था कि अस्पताल के डाक्टर और नर्स की लापरवाही के चलते नवजात की जान गई है।
By anil tomar
Publish Date: Thu, 18 Apr 2024 11:24 AM (IST)
Up to date Date: Thu, 18 Apr 2024 11:24 AM (IST)
नईदुनिया न्यूज, इंदरगढ़ : इंदरगढ़ के एक निजी अस्पताल में नवजात बच्ची की मौत के बाद स्वजन ने वहां जमकर हंगामा कर दिया। स्वजन का आरोप था कि अस्पताल के डाक्टर और नर्स की लापरवाही के चलते नवजात की जान गई है। साथ ही डिलीवरी के लिए भी अस्पताल ने उसने पर्याप्त रुपये लिए थे। लेकिन सुरक्षित प्रसव नहीं कराए जाने से नवजात बच्ची की मौत हो गई। इस मामले में इंदरगढ़ बीएमओ का कहना था कि इस मामले को लेकर अगर शिकायत की जाएगी तो जांच होगी। साथ ही अस्पताल के पास संचालन का लाइसेंस है या नहीं इसके बारे में पड़ताल करेंगे। उनका कहना था कि वैसे तो अस्पताल के संचालन के लिए लाइसेंस देने का काम मुख्यालय स्तर से होता है।
जानकारी के अनुसार इंदरगढ़ के सेवढ़ा रोड पर किराए के मकान में संचालित वृंदावन हास्पिटल में प्रसूता वर्षा पत्नी आशुतोष जाट निवासी नोगुवां को डिलीवरी के लिए भर्ती किया गया था। प्रसूता के स्वजन मंगलवार सुबह पांच प्रसव का दर्द होने पर उसे लेकर पहले इंदरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। जहां स्टाफ नर्स ने डिलीवरी में देरी बताई। इसके बाद स्वजन प्रसूता को उक्त निजी हास्पिटल में लेकर पहुंचे। प्रसूता के स्वजन के मुताबिक उनसे सात रुपये जमा कराए गए। जिसके बाद प्रसूता वर्षा का प्रसव साढ़े तीन बजे कराया गया। प्रसव के दौरान ही नवजात बच्ची की मौत हो गई।
जब अस्पताल के स्टाफ ने इस बात की खबर स्वजन को दी तो वह भड़क गए। उन्होंने हास्पिटल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाते हुए वहां हंगामा खड़ा कर दिया। इस दौरान अस्पताल स्टाफ व प्रसूता के स्वजन के बीच नोंकझाेंक भी हुई। रात आठ बजे तक हंगामा चलता रहा। बताया जाता है कि इसके बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से स्वजन से राजीनामे की बात भी की गई। फिलहाल इस मामले में स्वजन की ओर भी कोई मामला दर्ज नहीं कराए जाने की जानकारी मिली है।इस मामले में नोगुवां निवासी प्रसूता की सास मिथिला देवी का आरोप था कि वे अपनी बहू वर्षा को प्रसव पीड़ा होने पर इंदरगढ़ स्वास्थ्य केंद्र से उक्त निजी हास्पिटल में दिखाने आए थे।जहां उन्होंने नार्मल डिलीवरी करने के सात हजार रुपये भी जमा कर दिए थे। अस्पताल में प्रसूता को काफी दर्द होता रहा तो हमने कई बार डाक्टर से कहाकि अगर वहां डिलीवरी न हो सके तो बता दें, हम बहू को झांसी लेकर चले जाएंगे। लेकिन डाक्टरों ने डिलीवरी की गारंटी ली और साढ़े तीन बजे डिलीवरी हुई। लेकिन बच्ची के जन्म लेने के पांच मिनट बाद ही उसकी मौत हो गई।
निजी हास्पिटल को परमिशन देना जिला मुख्यालय का काम है। निरीक्षण भी वही करते हैं। मुझे जानकारी नहीं है वृंदावन हास्पिटल का लाइसेंस है या नहीं। जानकारी करता हूं अगर अवैध रूप से अस्पताल संचालित है तो कार्रवाई करूंगा।
– अरुण शर्मा, बीएमओ इंदरगढ़