यौन शोषण के आरोपित एक बुजुर्ग की अपील पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पाक्सो एक्ट में केवल अनुमान लगाकर पीड़िता की विश्वसनीयता और भरोसे को नकारा नहीं जा सकता।
By Yogeshwar Sharma
Publish Date: Thu, 11 Apr 2024 01:19 AM (IST)
Up to date Date: Thu, 11 Apr 2024 01:19 AM (IST)
नईदुनिया न्यूज,बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुमान के आधार पर दुष्कर्म पीड़िता पर संदेह नहीं किया जा सकता। ऐसा करना सर्वथा अनुचित होगा। पाक्सो एक्ट के तहत अपीलकर्ता को सुनाई गई सजा को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पाक्सो एक्ट में विश्वसनीयता और भरोसे पर संदेह करना गलत है।
यौन शोषण के आरोपित एक बुजुर्ग की अपील पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पाक्सो एक्ट में केवल अनुमान लगाकर पीड़िता की विश्वसनीयता और भरोसे को नकारा नहीं जा सकता। इस तरह की धारणा बनाकर और आरोपित की तरफ से कुछ इसी तर्कों को सामने रखकर पीड़िता के साथ घटित घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता और न ही झुठलाया जा सकता है। इसे आधार बनाकर फैसले को चुनौती भी नहीं दी जा सकती। महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ कोर्ट ने 65 साल के बुजुर्ग की अपील को खारिज करते हुए उसकी आजीवन कारावास की सजा को यथावत रखा है। बलौदाबाजार जिले के पलारी थाना क्षेत्र के 65 साल के बुजुर्ग गज्जू लाल फेकर ने 25 फरवरी 2022 को 13 साल की पांचवीं कक्षा की छात्रा से दुष्कर्म किया था। बच्ची को वह घर में अकेली पाकर घुस गया और उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। बाद में बच्ची ने इस घटना की जानकारी अपने स्वजन को दी। इसके बाद आरोपित के खिलाफ थाने में जुर्म दर्ज कराया गया। पुलिस ने आरोपित गज्जूलाल को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसके खिलाफ सबूत जुटाकर फास्ट ट्रैक कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपित को पाक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया। इसके बाद उसे आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई।
फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में दी चुनौती
फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अभियुक्त ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में अपील की। डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने पुलिस की जांच और जुटाए गए साक्ष्य पर सवाल उठाए। साथ ही पीड़िता के उम्र संबंधी दस्तावेजों को जुटाने के तरीके को भी गलत बताया। अपील में कहा गया कि उसे झूठा फंसाया जा रहा है। जिस लड़की के साथ दुष्कर्म होने की बात कही गई है, वह मानसिक रूप से कमजोर है और उसकी विश्वसनीयता पर संदेह है। अपीलकर्ता ने कोर्ट के फैसले को खारिज करने की मांग की। राज्य शासन की तरफ से महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने पुलिस जांच के दस्तावेज पेश किए गए और गवाहों के बयान की भी जानकारी दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अभियुक्त की सजा को बरकरार रखा है। साथ ही उसकी अपील खारिज कर दी है।