Loksabha Election 2024: चुनाव लड़ने की धुन, हार-जीत से नहीं मतलब

Loksabha Election 2024: चुनाव लड़ने की धुन, हार-जीत से नहीं मतलब

हमारे देश में कुछ ऐसे भी महानुभाव हैं जिन्‍हें जीत या हार से बहुत फर्क नहीं पड़ता। उन्‍हें तो केवल चुनाव लड़ने की धुन सवार रहती है।

By Navodit Saktawat

Publish Date: Wed, 03 Apr 2024 12:38 PM (IST)

Up to date Date: Wed, 03 Apr 2024 12:39 PM (IST)

अभी तक वे 238 बार चुनाव हार चुके हैं इसलिए उनका नाम लिम्‍का बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड्स में दर्ज है। धर्मपुरी से वे फिर से मैदान में हैं।

चुनाव डेस्‍क, इंदौर। किसी भी रण में कोई उतरता है तो उसका मकसद जीत ही होता है। चाहे वह खेल का मैदान हो या राजनीति का अखाड़ा। लेकिन हमारे देश में कुछ ऐसे भी महानुभाव हैं जिन्‍हें जीत या हार से बहुत फर्क नहीं पड़ता। उन्‍हें तो केवल चुनाव लड़ने की धुन सवार रहती है। ऐसे ही एक ख्‍यात किरदार है बाबा जोगिंदर सिंह धरती पकड़। हालांकि वे अब दुनिया में नहीं हैं लेकिन कई लोग अभी भी ऐसे हैं जो उनकी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। सबसे पहले नाम आता है तमिलनाडु के मेट्टूर क्षेत्र के सलेम निवासी डा. के पद्मराजन का जो स्‍थानीय चुनाव से लेकर राष्‍ट्रपति पद तक का चुनाव लड़ चुके हैं। उन्‍होंने अभी तक पीएम मोदी, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, एलके आडवाणी, डीएमके प्रमुख करुणानिधि, जयललिता व राहुल गांधी सहित कई सीएम व मंत्रियों के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। अभी तक वे 238 बार चुनाव हार चुके हैं इसलिए उनका नाम लिम्‍का बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड्स में दर्ज है। धर्मपुरी से वे फिर से मैदान में हैं।

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    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शिफ्ट प्रभारी हैं। पत्रकारिता में विभिन्‍न मीडिया संस्‍थानों में अलग-अलग भूमिकाओं में कार्य करने का 22 वर्षों का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट व डिजिटल में कई बड़े दायित्‍वों

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