Lok Sabha Chunav: परिवारवाद के खिलाफ थे बस्तर से कांग्रेस के पहले सांसद सुरती क्रिस्टैया, बेटियों को राजनीति में नहीं आने दिया
71 वर्षीय गीता पुराने दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि पिता सुरती क्रिस्टैया से कांग्रेस के लोगों ने कहा था कि आपकी तीन बेटियां हैं, किसी को राजनीति में अपना उत्तराधिकारी बनाइए लेकिन पिताजी ने साफ मना दिया था। उनका विश्वास सिद्धांतों की राजनीति पर था।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Wed, 03 Apr 2024 05:00 PM (IST)
Up to date Date: Wed, 03 Apr 2024 05:00 PM (IST)
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HighLights
- परिवारवाद के खिलाफ थे बस्तर से कांग्रेस के पहले सांसद सुरती क्रिस्टैया
- बेटियों को राजनीति में नहीं आने दिया, बेटी के चुनाव लड़ने का प्रस्ताव ठुकराया
- सांसद, विधायक और मंत्री रहते आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा पर दिया सबसे ज्यादा जोर
मो. अय्यूब खान, बीजापुर (नईदुनिया)। राजनीति में परिवारवाद कोई नई बात नहीं है। हर दल में यह परंपरा का रूप ले चुका है। अपवाद स्वरूप इक्का दुक्का दल ही इससे अछूते हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप ज्यादा लगते रहे हैं। बस्तर से कांग्रेस के पहले सांसद स्वर्गीय सुरती क्रिस्टैया राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ थे। उन्होंने लोकसभा का 1952 का पहला आम चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए।
1957 में दूसरे आम चुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बने थे। बाद में एक बार विधायक भी बने और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की प्रकाशचंद सेठी की सरकार में आदिम जाति कल्याण राज्यमंत्री मंत्री के रूप में काम किया। उनकी तीन बेटियां हैं। इकलौते बेटे गिरीश शाह का 12 साल की उम्र में ही निधन हो गया था। बीजापुर जिले के प्रतिष्ठित कुटरू जमींदार परिवार के सुरती क्रिस्टैया पारिवारिक विवाद के बाद कुटरू छोड़कर नैमेड़ में बस गए थे।
बेटी के चुनाव लड़ने का प्रस्ताव ठुकराया
उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को राजनीति से दूर रखा। उनका मानना था कि राजनीति में परिवारवाद नहीं होना चाहिए। मध्यप्रदेश के समय 1980 में कांग्रेस नेताओं ने उनकी बड़ी बेटी गीता को विधानसभा चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन सुरती ने मना कर दिया था। सांसद, विधायक और मंत्री रहते उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा पर सबसे ज्यादा जोर दिया। उनका मानना था कि शिक्षा आदिवासियों को विकास में आगे ले जा सकती है।
उन्होंने बड़ी बेटी गीता को सिंधिया स्कूल ग्वालियर में पढ़ने के लिए भेजा था। गीता प्रधान अध्यापिका के पद से सेवानिवृत्त हुई हैं। मंझली बेटी रीता खेती-किसानी देखती हैं। छोटी बेटी नीता क्रिस्टैया कन्या शिक्षा परिसर बीजापुर में वर्तमान में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। बता दें कि तीनों पुत्रियों ने अविवाहित रहने का निर्णय लिया है।
71 वर्षीय गीता पुराने दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि पिता सुरती क्रिस्टैया से कांग्रेस के लोगों ने कहा था कि आपकी तीन बेटियां हैं, किसी को राजनीति में अपना उत्तराधिकारी बनाइए लेकिन पिताजी ने साफ मना दिया था। उनका विश्वास सिद्धांतों की राजनीति पर था। घर-परिवार के लोगों को राजनीतिक कामों से दूर रखते थे। 1999 में सुरती का निधन हुआ।
अच्छे शिकारी थे क्रिस्टैया
सुरती क्रिस्टैया अच्छे शिकारी भी थे। सादा जीवन उच्च विचार के धनी सुरती ने समूचे बस्तर के विकास के लिए काम किया। आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा बीजापुर क्षेत्र से लगी है, इसलिए यहां शिक्षा को लेकर पहले से भी जागरूकता थी। सुरती क्रिस्टैया ने अपने समय में कई स्कूल खुलवाए थे। गृहग्राम नैमेड़ अंचल का विकसित क्षेत्र के रूप में आज जाना जाता है तो इसका श्रेय उन्हें भी जाता है।


