ज्योतिर्विद पं.अमर डब्बावाला ने बताया हिंदू धर्म परंपरा में दशा माता व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में महिलाएं दशा माता से दशविध लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।
By Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Wed, 03 Apr 2024 06:59 AM (IST)
Up to date Date: Wed, 03 Apr 2024 06:59 AM (IST)
HighLights
- महिलाएं पीपल के वृक्ष की परिक्रमा कर कथा का श्रवण करेंगी
- मान्यता है इस पूजा से दुख, दारिद्रय का नाश होता है तथा परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- ज्योतिर्विद पं.अमर डब्बावाला ने बताया हिंदू धर्म परंपरा में दशा माता व्रत का विशेष महत्व है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। चैत्र कृष्ण दशमी पर गुरुवार को महिलाएं घर की दशा सुधारने के लिए दशा माता का पूजन करेंगी। इस दिन व्रत रखकर पीपल के वृक्ष का पूजन तथा कथा का श्रवण किया जाता है। महिलाएं कच्चे सूत के धागे में 10 गठान लगाकर इसे गले में स्वर्ण हार के रूप में ग्रहण करती हैं। मान्यता है इससे दुख, दारिद्रय का नाश होता है तथा परिवार में सुख समृद्धि आती है।
ज्योतिर्विद पं.अमर डब्बावाला ने बताया हिंदू धर्म परंपरा में दशा माता व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में महिलाएं दशा माता से दशविध लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। पूजन में हल्दी से रंगे हुए सूत के कच्चे धागे में 10 गठान लगाकर पूजा अर्चना करने का महत्व है।
महिलाएं मां से मनोकामना मांगते हुए धागे में 10 गठान लगाती है। इसके बाद पूजा अर्चना कर इसे गले में पहनती है। बाद में इस धागे को घर की तिजोरी में रखा जाता है। मान्यता है इससे घर परिवार में वर्षभर सुख समृद्धि बनी रहती है। अगले वर्ष जब महिलाएं फिर से दशा माता का पूजन करने जाती है। तिजोरी में रखे धागे को साथ लेकर जाती है, इस धागे को पीपल के वृक्ष के समीप पूजन स्थल पर रख देती है और नई दशा घर लेकर आती हैं।