UP Lok Sabha Polls: अमेठी और रायबरेली में वेट एंड वॉच का दांव, रोचक मुकाबले से पहले कार्यकर्ता भी कंफ्यूज

UP Lok Sabha Polls: अमेठी और रायबरेली में वेट एंड वॉच का दांव, रोचक मुकाबले से पहले कार्यकर्ता भी कंफ्यूज

अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों को लेकर माना जा रहा है कि गांधी परिवार ही उम्मीदवारों के नाम तय करेगा।

By Arvind Dubey

Publish Date: Mon, 01 Apr 2024 11:09 AM (IST)

Up to date Date: Mon, 01 Apr 2024 11:09 AM (IST)

गांधी परिवार से जुड़े होने के कारण अमेठी और रायबरेली की चर्चा पूरे देश में होती है।

HighLights

  1. अमेठी से सिर्फ स्मृति ईरानी का नाम तय
  2. कांग्रेस ने दोनों सीटों पर नहीं खेले पत्ते
  3. रायबरेली में भाजपा भी कर रही इंतजार

ब्यूरो, अमेठी/रायबरेली। राजनीति में ऐसा भी होता है कि पार्टियां एक दूसरे के दांव का इंतजार करती है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीटों पर तो ऐसा ही है। इन चर्चित सीटों अब तक किसी पार्टी या गठबंधन ने उम्मीदवारों का एलान नहीं किया है।

रायबरेली में रोचक मुकाबला, नजर गांधी परिवार पर

देश की वीआईपी सीटों में शामिल रायबरेली में इस बार सोनिया गांधी नजर नहीं आएंगी। सोनिया गांधी राजस्थान से चुनकर राज्यसभा जा चुकी हैं। सवाल यही है कि अब कांग्रेस से यहां किसे प्रत्याशी बनाया जाएगा?

राहुल गांधी के साथ ही प्रियंका वाड्रा का नाम चर्चा में है, लेकिन कांग्रेस घोषणा नहीं कर रही है। भाजपा इसी बात का इंतजार कर रही है। वैसे उत्तर प्रदेश में इस बार कांग्रेस और सपा का गठबंधन होने से रायबरेली की लड़ाई रोमांचक मानी जा रही है।

अब तक दोनों ही दलों में किसी के भी उम्मीदवार की घोषणा न होने से स्थानीय कार्यकर्ताओं से लेकर जनता तक में असमंजस है।

भाजपा राजनीतिक गुणा भाग को देखते हुए किसी मजबूत स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दे सकती है, बशर्ते गांधी परिवार के किसी सदस्य के मैदान में आने पर भी प्रत्याशी जीतने का माद्दा रखता हो। इसके लिए पुराने से लेकर नए नेताओं को भी परखा जा रहा है।

अमेठी में स्मृति ईरानी के सामने क्या एक बार फिर राहुल गांधी

अमेठी में भाजपा ने एक बार फिर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस खेमे से इंतजार है कि क्या राहुल गांधी एक बार फिर हिम्मत जुटा पाएंगे या किसी और को मौका दिया जाएगा।

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सच्चाई यही है कि दशकों तक गांधी-नेहरू परिवार का गढ़ रही अमेठी में इस बार कांग्रेस अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही है। 2019 में स्मृति से मिली राहुल गांधी को हार के बाद कांग्रेस अमेठी में दिनोंदिन कमजोर होती गई और भाजपा मजबूत। पिछले तीन चुनावों से बसपा की भी अमेठी हालत पतली होती जा रही है।

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    करियर की शुरुआत 2006 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के हिंदी सांध्य दैनिक ‘प्रभात किरण’ से की। इसके बाद न्यूज टुडे और हिंदी डेली पत्रिका (राजस्थान पत्रिका समूह) में सेवाएं दीं। 2014 में naidunia.com से डिजिटल की

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