SY Quraishi Unique Interview दैनिक जागरण ने विशेष साक्षात्कार में देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी से बात की। उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी राय दी। उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता व ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों का भी जवाब दिया। चुनाव में एआई और डीपफेक के खिलाफ कदम उठाने की सलाह दी।
By Anurag Mishra
Publish Date: Mon, 01 Apr 2024 04:56 PM (IST)
Up to date Date: Mon, 01 Apr 2024 04:56 PM (IST)
चुनाव डेस्क, इंदौर। चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व होता है। यह पर्व 5 साल बाद एक बार फिर आया है। चुनाव आयोग की लगातार कोशिश होती है कि वह चुनावों में सुधार कर सके, लेकिन उसको उतनी सफलता नहीं मिल पाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें राजनीति में लगातार गिरावट आती आ जा रही है। यही कारण है कि युवा मतदाता मतदान को प्राथमिकता नहीं देता है।
आज के दौर में डीप पेक का खतरा सबसे बड़ा है। इसका गलत इस्तेमाल चुनावों के समय में भी हो सकता है, जिससे निपटने की चुनाव आयोग के सामने बड़ी चुनौती है। ऐसे में लोकतंत्र को मजबूती से बनाए रखना, मतदाताओं का नेताओं के ऊपर विश्वास कैसे बढ़ें, मौकापरस्त नेताओं पर कैसे लगाम लगे? कई सवालों को लेकर दैनिक जागरण गुरुग्राम के मुख्य संवाददाता आदित्य राज ने देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी से विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल: आपका मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर लंबा अनुभव है। अन्य लोकसभा चुनावों से इस बार का चुनाव कितना अलग मान रहे हैं?
जवाब: चुनाव की प्रक्रिया एक जैसी होती है। इसमें कोई अंतर नहीं होता है। बस फर्क मतदाताओं की संख्या का होता है। चुनाव आयोग के सामने समस्या इस बात की है कि मतदाताओं की संख्या जितनी तेजी से बढ़ रही है, उस तेजी से मत प्रतिशत नहीं बढ़ रहा है। चुनाव आयोग लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है। इसके पीछे का कारण राजनीतिक दलों के प्रति मतदाताओं की निराशा है। नेताओं के ऊपर विश्वास कम हो रहा है। यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। नेताओं को जनता से किए वादे निभाने होंगे, तभी जनता का भरोसा उनके ऊपर बढ़ेगा।
सवाल: विपक्ष आरोप लगा रहा है कि पूरा तंत्र केंद्र सरकार के साथ है, ऐसे में चुनाव आयोग के सामने निष्पक्षता को बरकरार रखना कितना चुनौतीपूर्ण है?
जवाब: इस तरह के आरोप का चुनाव आयोग हर बार सामना करता है। जब भी कोई पार्टी विपक्ष में होती है, वह इसी तरह के आरोप लगाती है। जहां तक चुनाव आयोग की निष्पक्षता की बात, तो इसे बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। गलती होने पर दंड जरूर देना चाहिए। फिर सामने प्रधानमंत्री ही क्यों न हों।
सवाल: विपक्ष लगातार ईवीएम पर सवाल उठा रहा है। क्या सच ईवीएम में गड़बड़ी हो सकती है, अगर किसी भी तरह की गुंजाइश है, तो कैसे? चुनाव आयोग क्या प्रयास कर सकता है, जिससे गड़बड़ी न हो सके?
जवाब: मेरा सवाल यह है कि कांग्रेस के शासन काल में ईवीएम का इस्तेमाल होना शुरू हुआ। अगर, इसमें गड़बड़ी की जा सकती, तो कांग्रेस कभी सत्ता से बाहर ही नहीं होती। गड़बड़ी अगर हो सकती, तो भाजपा पंजाब, बंगाल व कर्नाटक का चुनाव कैसे हार जाती। सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए कि ईवीएम में गड़बड़ी नहीं हो सकती, नहीं हो सकती, नहीं हो सकती है। हार को हिम्मत के साथ स्वीकार करना चाहिए।
सवाल: युवा ऑनलाइन वोटिंग के बारे में बात कर रहे हैं। चुनाव आयोग इस बारे में क्यों नहीं सोच रहा है। यह अनुमान लगाया गया है कि ऑनलाइन वोटिंग होने पर मतप्रतिशत बढ़ जाएगा। बाहर रहने वाले लोग भी अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे।
जवाब: ऑनलाइन वोटिंग में गड़बड़ी की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। उदाहरण के तौर पर अगर बैंक में लूट हो जाए तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन चुनाव के लुट जाने से भयंकर समस्या हो जाएगी। अभी इस देश में ईवीएम पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं, तो ऑनलाइन वोटिंग पर बात करना ठीक नहीं होगा। आपको अपने राष्ट्र के प्रति यदि प्रेम होगा तो आप अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करेंगे। जिस व्यवस्था का आप उपयोग कर रहे हैं, उसी की मजबूती में सहायक बनने के लिए शर्तें क्यों? मतदान के दिन लाइन में लगकर मतदान करने में क्या हर्ज है। क्या हम कुछ मिनट अपने राष्ट्र की मजबूती के लिए नहीं निकाल सकते?
सवाल: वन नेशन, वन इलेक्शन पर आपका क्या सोचना है? क्या इस पर अमल करना सही है, इसको लागू करने के लिए क्या-क्या कोशिश की जानी चाहिए?
जवाब: एक बात सीधी है कि अगर जनता और नेताओं की इस पर आम सहमति है, तो किसी भी तरह की समस्या नहीं है। अभी मेरा इस विषय पर समर्थन नहीं है। सरकार इस पर आगे बढ़ रही है। इस पर तर्कों के साथ डिबेट होनी चाहिए। इस विषय पर एक तर्क दिया जाता है कि चुनाव पर खर्चा बहुत होता है। खर्च को कम करने के लिए दो काम करने चाहिए।
पहला यह है कि उम्मीदवारों पर खर्च की सीमा तय की गई है, तो पार्टियों को इससे बाहर क्यों रखा गया है। पार्टियों को इस दायरे में लेकर आना चाहिए, क्यों कि वह किसी भी उम्मीदवार पर कितना भी खर्च कर सकती है। दूसरा मल्टी फेज में चुनाव को बंद किया जाए। यह व्यवस्था उस समय के लिए जब जब देश में बूथ कैप्चरिंग होती थी। चुनाव के समय कई इलाकों में हिंसा की जाती थी। अब इस तरह की स्थिति खत्म हो गई है। अब सिंगल फेज में चुनाव करना चाहिए। एक ही बार में जितनी फोर्स की आवश्यकता हो, लगाकर चुनाव कर दिया जाए। समय के साथ खर्च भी कम हो जाएगा।
सवाल: लोकसभा चुनाव में इस बार सबसे बड़ी चुनौती डीप फेक की है। कओई भी व्यक्ति किसी भी बड़े नेता का चेहरा लगाकर उसकी आवाज में मतदाताओं को प्रभाविक कर सकता है। इस खतरे से निपटने के लिए चुनाव आयोग कहां तक सक्षम है?
जवाब: मैं इस बार चुनाव नहीं लड़ने जा रहा हूं, आप मेरे सहयोगी को वोट दे सकते हैं। इस तरह का मैसेज सामने आने के बाद नेता को काफी डैमेज हो जाएगा, क्यों कि सच्चाई का पता लगते-लगते काफी देर हो जाएगी। इस समस्या को रोकने के लिए उत्तम तकनीक की जरूरत होगी। अभी यह हमारे पास नहीं है, इसलिए यह समय की मांग है कि सरकार इस पर विशेष रूप से ध्यान दे।
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अनुराग मिश्रा नईदुनिया डिजिटल में सब एडिटर के पद पर हैं। वह कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में माहिर और पत्रकारिता में लगभग 3 साल का अनुभव है। अनुराग मिश्रा नईदुनिया में आने से पहले भास्कर हिंदी और दैन …