2008 में उमा भारती की भारतीय जनशक्ति पार्टी से मऊगंज सीट से जीते थे विधानसभा चुनाव।
By Prashant Pandey
Publish Date: Mon, 01 Apr 2024 09:51 PM (IST)
Up to date Date: Mon, 01 Apr 2024 09:55 PM (IST)
HighLights
- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में दिलाई सदस्यता।
- तिवारी ने पहले सवर्ण समाज पार्टी भी बनाई थी, बाद में खुद ही पार्टी छोड़ दी थी।
- उन्होंने कहा कि भाजपा दल नहीं दलदल वाली पार्टी बन गई है।
MP Politics: नवदुनिया राज्य ब्यूरो, भोपाल। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के सिलसिले के बीच सोमवार को रीवा में आने वाले मऊगंज विधानसभा के पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उन्हें सदस्यता दिलाई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैंने घर वापसी की है। पहले कांग्रेस में था और फिर उमा भारती के अनुरोध पर उनके साथ चला गया था। आज कांग्रेस को मजबूत करने की जरूरत है। तिवारी ने पहले सवर्ण समाज पार्टी भी बनाई थी, बाद में खुद ही पार्टी छोड़ दी थी।
2008 में उमा भारती ने भाजपा से अलग होकर भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई थी। इसी वर्ष हुए चुनाव में पांच विधानसभा सदस्य चुने गए। 2011 में इसका भाजपा में विलय हो गया और विधानसभा में इसके सभी सदस्य भाजपा के सदस्य हो गए। पार्टी ने लक्ष्मण तिवारी को 2013 में विधानसभा का चुनाव लड़ाया, पर वे हार गए।
2018 में उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो निर्दलीय चुनाव लड़ा। 2023 का चुनाव समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा था, लेकिन फिर हार गए। अब उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली है। उन्होंने कहा कि भाजपा दल नहीं दलदल वाली पार्टी बन गई है। भाजपा में लोग अपनी संपत्ति बचाने के लिए जा रहे हैं, कुछ बिक रहे हैं तो कुछ को खरीदा जा रहा है।
देश की जनता के हित के लिए आज लड़ाई लड़ने की जरूरत है और कांग्रेस के बैनर के साथ ही लड़ाई लड़ी जा सकती है। वहीं, जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा केवल झूठ बोलती है। प्रदेश की बहनों को एक हजार और फिर तीन हजार रुपये देने की बात की थी, लेकिन सरकार बहनों के साथ धोखा कर रही है। आज घर के राशन की लागत पांच गुना बढ़ गई है।
किसानों की आय दोगुनी करने के बजाय उनकी फसल का उचित मूल्य तक नहीं मिल रहा है। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने भी कहा कि भाजपा में जाने वाले की वहां कोई पूछपरख नहीं है। वे तो केवल अपनी संपत्ति बचाने और डर के कारण भाजपा में जा रहे हैं।