Katni Information : वन ग्राम निपनियां की बहुमूल्य वन संपदा को जैव विविधता पंजी में सम्मिलित किया जाएगा।
By Satish Kumar Pandey
Publish Date: Mon, 01 Apr 2024 12:35 PM (IST)
Up to date Date: Mon, 01 Apr 2024 12:35 PM (IST)
HighLights
- निपानिया ग्राम में विभिन्न प्रकार की अमूल जैव विविधता।
- लगभग 60-70 परिवार आदिवासीयों के निवासरत हैं।
- हर्रा, बहेड़ा, महुआ एवं चार के वृक्ष प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
Katni Information : नईदुनिया प्रतिनिधि, बहोरीबंद कटनी। जनपद पंचायत बहोरीबंद के सुदूर पहाड़ी जंगल में स्थित वन ग्राम निपानिया में लोक जैव विविधता पंजी निर्माण के लिए ग्राम समिति की बैठक आयोजित की गई। जिसमें आदिवासी ग्रामीणों ने भाग लिया। विदित हो कि जनपद पंचायत बहोरीबंद अंतर्गत लोक जैव विविधता पंजी का निर्माण किया जाना है। आदिवासी दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थित ग्राम निपानिया सुदूर घनघोर जंगल एवं पहाड़ों में स्थित है, जहां लगभग 60-70 परिवार आदिवासीयों के निवासरत हैं।
हर्रा, बहेड़ा, महुआ एवं चार के वृक्ष प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं
इस ग्राम में विभिन्न प्रकार की अमूल जैव विविधता पाई जाती है। लोक निर्माण समिति के प्रोजेक्ट इंचार्ज पीआई मनोज गर्ग प्रभारी प्राचार्य शा हाई स्कूल रामपाटन ने बताया कि ग्राम निपानिया में हर्रा, बहेड़ा, महुआ एवं चार के वृक्ष प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इस महंगी व अमूल्य वन प्रजाति को पंजी में सम्मिलित किया जावेगा। यदि इनका संरक्षण एवं संवर्धन उचित तरीके से किया जाए तो यह आदिवासियों की जीविका का अच्छा साधन बन सकता है।
बाहरी व्यापारी कम दामों में खरीद कर ले जाते हैं
स्थानीय आदिवासी ने बताया कि बाहरी व्यापारी आकर हम ग्रामीणों से चार, महुआ, हर्रा, बहेडा आदि सामान कम दामों में खरीद कर ले जाते हैं। विगत वर्ष जिला कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा चार की चिरौजीं उत्पादन के लिए विशेष पायलट प्रोजेक्ट के रूप चिन्हित किया गया था तथा ग्रामीण आदिवासियों के लिए रानी दुर्गावती सहकारी संस्था समिति का गठन कराया गया था। उन्हें चार की गुठली से चिरौंजी निकालने के लिए एक मशीन भी ग्राम में लगवाई गई थी, जिससे समिति स्वयं चिरौजीं निकालकर बाजार में अच्छे दामो में बेचकर अपनी आजीविका का साधन बना सकें।
4000 पौधे लगाने के लिए दिए गए थे, जो तैयार हो रहे हैं
समिति के उपाध्यक्ष मंगल सिंह ने बताया कि हमें कलेक्टर द्वारा चार के 4000 पौधे लगाने के लिए दिए गए थे, जो तैयार हो रहे हैं। जिससे हमारी आय में वृद्धि होगी। यदि हमें शासन द्वारा चार के और पौधे दिए जाए तथा इनके संवर्धन के लिए तकनीकी सहायता दी जाए तो हमारे गांव में एक चार की चिरौंजी का एक अच्छा हब तैयार हो सकेगा। हम समिति के माध्यम से ग्रामीण आदिवासी अपना जीविका को बेहतर कर सकेंगे।
चार के वृक्ष को कोई रोजी समझ कर संरक्षित एवं संवर्धित करते हैं
समिति के सचिव विनोद सिंह ने बताया कि हमारे यहां चार के वृक्ष को कोई नहीं कटता है तथा अपनी रोजी समझ कर इसे संरक्षित एवं संवर्धित करते हैं। हर एक आदिवासी उसकी देखभाल करता हैं। ग्राम की जीविका का साधन भी यही वन संपदा है। समिति के सदस्यों द्वारा विगत वर्ष लगभग 200 क्विंटल चार को एकत्रित कर अपने ग्राम में ही इसकी चिरौंजी निकाली गई थी। जिसको अच्छे मार्केट एवं उचित दामों पर विक्रय किया गया हैं। यदि प्रशासन अपने स्तर पर आदिवासियों को सहयोग प्रदान करें तो निश्चित रूप से इस ग्राम की आदिवासियों की आय कई गुना बढ़ जाएगी।