Bilaspur Information: मासूम बच्चों की किलकारी से गूंज उठे स्कूल के परिसर, जो नौनिहालों ने पहली बार रखा शिक्षा के मंदिर में कदम

Bilaspur Information: मासूम बच्चों की किलकारी से गूंज उठे स्कूल के परिसर, जो नौनिहालों ने पहली बार रखा शिक्षा के मंदिर में कदम

टीचर्स ने लोरी गाकर छोटे बच्चों का किया स्वागत

By Mohammad Safraj Memon

Publish Date: Mon, 01 Apr 2024 12:39 PM (IST)

Up to date Date: Mon, 01 Apr 2024 01:09 PM (IST)

सूचना पर पुलिस की टीम गांव पहुंची।

बिलासपुर। कपिल नगर में रहने वाले युवा दंपत्ति साकेत और पूजा श्रीवास्तव के लिए 1 अप्रैल को जिंदगी का एक अहम दिन था। जब उनके लाड़ले बेटे सनय ने अपनी शैक्षिक जीवन की यात्रा शुरू की। दोनों पति-पत्नी बड़े उत्साह और बच्चे के सुनहरी भविष्य की उम्मीद के साथ पूर्ण गणवेश में अपने बच्चों को तैयार कर उसके स्कूल ले गए थे। जहां सनय को पहली बार स्कूल की दहलीज की दहलीज पर कदम रखना था।

1 अप्रैल से शहर के बहुत प्री नर्सरी स्कूलों में अकादमिक सेशन शुरू हो गया। 3 साल के छोटे बच्चे अपने माता-पिता के साथ पहली बार स्कूल पहुंचे थे। अभी तक घर की चाहर दिवारी के बीच अपने दादा-दादी नाना नानी चाचा चाचा मामा मामी बुआ जैसे रिश्तो के माध्यम से जिंदगी की महत्वपूर्ण बातों को सीख रहे मासूम बच्चों को स्कूल की प्रैक्टिकल नॉलेज नहीं थी। लेकिन घर के माहौल से दूर स्कूल के नए परिसर में प्रवेश करते ही साथ कुछ बच्चों का रोना शुरू हो गया। छोटे बच्चे अपने माता-पिता को छोड़ना नहीं चाहते थे। बहुत से पेरेंट्स की भावनाएं भी भर आईं। लेकिन स्कूलों में मौजूद प्राइमरी क्लास के ट्रेंड टीचर्स अपने अनुभव का उपयोग करते हुए रोते हुए छोटे मासूम बच्चों को चुप करने की कोशिश में लग गए । टीचर्स ने पेरेंट्स से कहा कि आप लोग अपने घर चले जाइए। धीरे-धीरे ही सही लेकिन आपके बच्चों को स्कूली माहौल से परिचय करा दिए जाएगा। घर की तरह स्कूल भी इन बच्चों को अपना लगने लगेगा। इसका आश्वासन मिलने के बाद पेरेंट्स लौट गए। छोटे बच्चों को स्कूल के अंदर किसी भी तरह मनाते हुए उनको पढ़ाई से जोड़ना यह प्रायमरी टीचर्स को ट्रेनिंग इसके लिए दी जाती है।

सनराइज पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल सारिका श्रीवास्तव ने बताया कि शुरू का एक साल नर्सरी क्लास के बच्चों को स्कूलिंग के लिए तैयार करने वाला होता है। धीरे-धीरे बच्चों को स्कूल अपना लगने लगता है। अपने माता पिता की बात नहीं मानने वाले जिद्दी मासूम भी अपने टीचर्स की बात को मानने लग जाते हैं। सामूहिक रूप से साथ में रहकर बच्चे पढ़ाई के साथ नैतिक शिक्षा सीखते हैं। इसीलिए स्कूलिंग का महत्व होता है।

छोटे बच्चों ने पहली बार स्कूल का यूनिफॉर्म पहन कर खूब इंजॉय किया कई बच्चे तो स्कूल से घर पहुंचने के बाद भी यूनिफॉर्म पहनकर घर के अंदर घूमते रहे उनका स्कूल यूनिफार्म के साथ टिफिन वाटर बाटल स्कूल बैग के साथ रहना काफी अच्छा लग रहा था।

  • ABOUT THE AUTHOR

    वर्ष 2010 में गुरु घासीदास विश्‍वविद्यालय, बिलासपुर से ग्रेजुएशन किया है। तत्पश्चात शिक्षा एवं कार्य को आगे बढ़ते हुए मैं दैनिक प्रजापति, इवनिंग टाइम्स एवं लोकस्वर में पत्रकारिता करियर की शुरुआत की 2012—13 मैंन

admin

admin

अपनी टिप्पणी दे

हमारे न्यूज़लेटर के लिए साइन