MP Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में फग्गन सिंह और गणेश सिंह के सामने एंटी इनकंबैंसी की चुनौती

MP Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में फग्गन सिंह और गणेश सिंह के सामने एंटी इनकंबैंसी की चुनौती

मध्य प्रदेश के सीधी व शहडोल में आदिवासी वर्ग भाजपा के लिए बन सकता है चुनौती। उधर छिंदवाड़ा और बालाघाट में कांग्रेस के सामने आंतरिक मदभेद का संकट।

By shashi tiwari

Publish Date: Mon, 01 Apr 2024 04:00 AM (IST)

Up to date Date: Mon, 01 Apr 2024 04:00 AM (IST)

गणेश सिंह और फग्गन सिंह कुलस्ते।

HighLights

  1. दोनों नेता पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में हार गए थे।
  2. कांग्रेस की इकलौती छिंदवाड़ा सीट पर भी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।
  3. जबलपुर में भाजपा और कांग्रेस दोनों के नए उम्मीदवार होने से लड़ाई रोचक हो गई है।

MP Lok Sabha Election 2024: शशिकांत तिवारी, भोपाल। लोकसभा चुनाव के पहले मध्य प्रदेश में महाकोशल और विंध्य अंचल में राजनीतिक उठापटक पर सबकी नजर है। इसका कारण यहां के तेजी से बदलते समीकरण हैं। पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में बहुत कुछ बदल गया है। मंडला से भाजपा के छह बार के सांसद व प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते और सतना से चार बार के सांसद व प्रत्याशी गणेश सिंह को एंटी इनकंबैंसी का सामना करना पड़ रहा है।

यह इस बात से भी स्पष्ट है कि दोनों नेता पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में हार गए थे। उधर, प्रदेश में कांग्रेस की इकलौती छिंदवाड़ा सीट पर भी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। यहां पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के करीबी विधायक कमलेश शाह शुक्रवार को भाजपा में शामिल हो गए हैं। उनके करीबी दीपक सक्सेना के पुत्र भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं, जबकि दीपक पार्टी के सभी दायित्व त्याग चुके हैं। भाजपा किसी भी हाल में यह सीट जीतना चाहती है।

बालाघाट में भी कांग्रेस प्रत्याशी सम्राट सिंह सरस्वार को आंतरिक विरोध झेलना पड़ा रहा है। यहां से कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे के पति कंकर मुंजारे बसपा से चुनाव लड़ गए हैं। सीधी और शहडोल में आदिवासी वर्ग भाजपा के सामने चुनौती है। एसटी वर्ग के मतदाता किसके साथ जाएंगे कहा नहीं जा सकता। जबलपुर में भाजपा और कांग्रेस दोनों के नए उम्मीदवार होने से लड़ाई रोचक हो गई है। रीवा में भाजपा कांग्रेस से दमदार और ब्राह्मण उम्मीदवार होने से चुनाव दिलचस्प है।

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छिंदवाड़ा

प्रदेश से कांग्रेस के एकमात्र सांसद नकुल नाथ फिर मैदान में हैं। वह भाजपा के विवेक बंटी साहू से मुकाबला कर रहे हैं। कांग्रेस और कमल नाथ के सामने यहां अपना कुनबा बचाने की चुनौती है तो भाजपा कांग्रेस के इस अभेद्य किले को ढहाने के लिए सेंधमारी से लेकर पूरे जतन कर रही है। भाजपा यहां बड़े नेताओं की सभा कराने की तैयारी में है।

बालाघाट

पूर्व लोकसभा सदस्य और तीन बार के विधायक कंकर मुंजारे के यहां बसपा से मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा-कांग्रेस दोनों ने यहां नए चेहरों पर दांव लगाया है। भाजपा प्रत्याशी भारती पारधी ओबीसी वर्ग (पंवार) से आती हैं, जिनकी संख्या यहां बहुतायत में है। कांग्रेस ने सम्राट सिंह सरस्वार पर दांव खेला है। उनके पिता भी विधायक रहे हैं। सरस्वार के सामने भाजपा के साथ अपनों की भी चुनौती मिल रही है।

मंडला

आदिवासी (एसटी) के लिए सुरक्षित इस सीट से पिछले सात चुनावों में छह बार (वर्ष 2009 छोड़कर) भाजपा के फग्गन सिंह कुलस्ते जीतते रहे हैं। इस कारण उन्हें एंटी इनकंबैंसी का सामना भी करना पड़ रह है। विधानसभा चुनाव में हारने के बाद से वह मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। उधर, कांग्रेस ने यहां डिंडौरी से विधायक व पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम को लड़ाकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। दोनों वर्ष 2014 में भी आमने-सामने थे।

जबलपुर

भाजपा यहां से 1996 से लगातार जीतती आ रही है। भाजपा से आशीष दुबे तो कांग्रेस से दिनेश यादव पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। हाल ही में महापौर जगत बहादुर सिंह (अन्नू) के भाजपा में जाने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। भाजपा यहां से काफी पहले प्रत्याशी घोषित कर प्रचार में आगे निकल गई है।

शहडोल

वर्ष 1996 से 2019 के बीच इस सीट से सिर्फ एक बार वर्ष 2009 में कांग्रेस जीती है। यहां पिछली बार की सांसद हिमाद्री सिंह के सामने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे कांग्रेस विधायक फुंदेलाल सिंह मार्कों हैं। इस सीट पर पूरा दारोमदार आदिवासी मतदाताओं के हाथ में है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने जुलाई, 2023 में यहां से सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का शुभारंभ कर आदिवासियों से संवाद भी किया था।

सीधी

पिछला विधानसभा चुनाव हारे कमलेश्वर पटेल को कांग्रेस ने यहां से उतारा है। पार्टी उन्हें ओबीसी नेता के रूप में आगे बढ़ाया है। उनके सामने भाजपा ने नया चेहरा डा. राजेश मिश्रा को उतारा है। यहां ओबीसी और आदिवासी वर्ग के मतदाता निर्णायक हैं।

सतना

भाजपा से चार बार के सांसद गणेश सिंह के सामने कांग्रेस ने दूसरी बार के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को मैदान में उतारा है। सिद्धार्थ विधानसभा चुनाव में सतना सीट से गणेश सिंह को हरा चुके हैं। ऐसे में भाजपा के लिए चुनाव आसान कतई नहीं है। दोनों ओबीसी वर्ग से हैं। उधर, हाल में बसपा में आए नारायण त्रिपाठी के यहां बसपा से उतरने के बाद मुकाबला और रोचक हो गया है।

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    नईदुनिया डॉट कॉम इंदौर में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ डेस्क पर वरिष्ठ उप-संपादक। पत्रकारिता और जनसंचार में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से बैचलर और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से मास्टर्स डिग्री। इंदौर में 2014