8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, 9 अप्रैल गुड़ी पड़वा का पर्व स्नान है। गुड़ी पड़वा पर शिप्रा किनारे राम घाट और दत्त अखाड़ा घाट पर शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव होना है।
By Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Thu, 28 Mar 2024 08:30 AM (IST)
Up to date Date: Thu, 28 Mar 2024 08:30 AM (IST)
HighLights
- अब सोमवती अमावस्या और गुड़ी पड़वा का पर्व स्नान शिप्रा में भरे जा रहे नर्मदा के स्वच्छ जल में होगा
- देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का सीवेज युक्त पानी कान्ह नदी के रूप में उज्जैन आकर शिप्रा में मिलता है।
- 8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, 9 अप्रैल गुड़ी पड़वा का पर्व स्नान है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। स्थानीय प्रशासन ने त्रिवेणी घाट के पास मिट्टी का बांध बनाकर शिप्रा नदी में कान्ह का प्रदूषित पानी मिलने से बुधवार को रोक दिया। साथ ही शिप्रा के आंचल में पाइप लाइन से नर्मदा का पानी भरना शुरू कर दिया। प्रशासन का दावा है कि अब सोमवती अमावस्या (8 अप्रैल) और गुड़ी पड़वा (9 अप्रैल) पर लोगों को स्नान के लिए शिप्रा में नर्मदा का स्वच्छ जल उपलब्ध होगा।
मालूम हो कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का सीवेज युक्त पानी कान्ह नदी के रूप में उज्जैन आकर शिप्रा में मिलता है। ये मिलन रोकने को शासन, प्रशासन ने बीते दो दशक में कई योजना बनाई, अरबों रुपये खर्च किए मगर सुधार न हुआ। उल्टा सिंहस्थ 2016 के बाद से स्थितियां और बिगड़ती चली गई।
8 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, 9 अप्रैल गुड़ी पड़वा का पर्व स्नान है। गुड़ी पड़वा पर शिप्रा किनारे राम घाट और दत्त अखाड़ा घाट पर शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव होना है। इसी दिन यहां पांच लाख दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। ऐसे में घाट पर स्वच्छ और दुर्गंध मुक्त पानी हो ये सुनिश्चित करने को प्रशासन ने कान्ह और शिप्रा में भरा गंदा पानी स्टाप डेम के गेट खोल आगे बहाया। दोनों नदी को 60 प्रतिशत खाली करने के बाद गेट बंद कर, मिट्टी का बांध बनाकर कान्ह का पानी मिलने से रोकने को हर संभव जतन किए।
सीएम के निर्देश – शिप्रा में नालों का गंदा पानी मिलने से रोकें, पानी पीने योग्य बनाएं
मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव पिछली बैठकों में कई बार अफसरों को निर्देशित कर चुके हैं कि उज्जैन में शिप्रा के जल की शुद्धि और सिंहस्थ 2028 के लिए प्रस्तावित कार्य योजना बनाएं। शिप्रा में नालों का गंदा पानी मिलने से रोके, नदी के पानी को आचमन एवं पीने योग्य बनाएं। वे सिंहस्थ- 2016 के दरमियान क्रियान्वित 99 करोड़ रूपये की कान्ह डायवर्शन योजना को गलत भी करार दे चुके हैं। योजना पर नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं।
एक बैठक में अफसरों से कहा था कि शिप्रा नदी का पानी स्वच्छ निर्मल एवं आचमन योग्य हो। इसलिए इंदौर, उज्जैन एवं देवास के सभी संबंधित अधिकारी शिप्रा नदी में इंदौर, उज्जैन एवं देवास के नालों का गंदा पानी ना मिले, इसकी कार्य योजना साधु – संतों से सलाह लेकर बनाएं।
सभी जगह गंदे पानी को रोकने के लिए पर्याप्त संख्या में जगह-जगह स्टापडेम बनाएं। 2016 के सिंहस्थ में अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि शिप्रा नदी शुद्ध एवं साफ रहेगी। पानी पीने योग्य रहेगा लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी बनी योजना असफल रही। योजना असफल क्यों हुई इसका पता लगाएं। इस बार गलत प्लानिंग हुई तो अधिकारियों के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी। सीवरेज युक्त नालों का गंदा पानी मिलने से रोकने के लिए सांवेर, रामवासा, पंथपिपलई, राघौपिपल्या में स्टाप डैम बनाने और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगवाएं।