Mandsaur Lok Sabha Seat: किसी को उम्मीद नहीं थी कि पहली बार चुनावी मैदान में उतर रहीं नई और युवा प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन आठ चुनाव जीतने वाले डा. पांडे का मुकाबला कर पाएंगी।
By Alok Sharma
Publish Date: Fri, 29 Mar 2024 04:19 AM (IST)
Up to date Date: Fri, 29 Mar 2024 04:19 AM (IST)
HighLights
- डा. पांडेय ने कांग्रेस के तमाम दिग्गजों को हराकर इसे भाजपा का अभेद्य गढ़ बना दिया था।
- चुनावी माहौल भी ऐसा नहीं था जिससे डा. लक्ष्मीनारायण पांडे की स्थिति डगमगाती नजर आ रही हो।
- वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस को सर्वाधिक 45 प्रतिशत मत मिले थे।
Mandsaur Lok Sabha Seat: आलोक शर्मा, मंदसौर। यूं तो मंदसौर लोकसभा क्षेत्र जनसंघ और भाजपा का गढ़ रहा है। यहां होने वाले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों को सफलता कम ही मिली है। स्वतंत्रता के बाद से अभी तक हुए 17 चुनावों में अंगुलियों पर गिने जाने लायक कांग्रेस उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाए हैं। वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद तो मालवा के गांधी कहलाने वाले डा. लक्ष्मीनारायण पांडेय और मंदसौर सीट एक दूसरे की पर्याय बन गई थी।
वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 तक हुए चुनाव में डा. पांडेय ने कांग्रेस के तमाम दिग्गजों को हराकर इसे भाजपा का अभेद्य गढ़ बना दिया था। जब कांग्रेस का कोई वरिष्ठ नेता डा. पांडेय से जीत नहीं पाया तो राहुल गांधी की टीम में शामिल मीनाक्षी नटराजन को मंदसौर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने भेजा गया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि पहली बार चुनावी मैदान में उतर रहीं नई और युवा प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन आठ चुनाव जीतने वाले डा. पांडे का मुकाबला कर पाएंगी।
तब चुनावी माहौल भी ऐसा नहीं था जिससे डा. लक्ष्मीनारायण पांडे की स्थिति डगमगाती नजर आ रही हो। लेकिन जब परिणाम आया तो पासा पलट चुका था। सभी हतप्रभ रह गए।