Jhabua Information: चुनावी प्रचार के पोस्टर से आदिवासी समाज का अपमान, आपत्ति होने पर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

Jhabua Information: चुनावी प्रचार के पोस्टर से आदिवासी समाज का अपमान, आपत्ति होने पर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

जिला निर्वाचन पदाधिकारी झाबुआ के नाम से निर्मित और विमोचित की गई। पोस्टर प्रचार सामग्री में चुनावी काका के नाम से चित्रांकित किया गया। चित्र भील समुदाय के लोग धर्म संस्कृति के आराध्य देव मुकुटधारी बाबा बुड़वा-मोटाणी बड़ादेव का है।

By Paras Pandey

Publish Date: Thu, 28 Mar 2024 05:49 PM (IST)

Up to date Date: Thu, 28 Mar 2024 05:49 PM (IST)

कलेक्टर नेहा मीना से मुलाकात कर मोर्च के सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई।

HighLights

  1. भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने दर्ज कराई आपत्ति, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

पेटलावद, (नईदुनिया न्यूज़)। लोकसभा निर्वाचन के संबंध में मतदाता जागरूकता के लिए जिला प्रशासन झाबुआ द्वारा लोकसभा निर्वाचन में मतदाताओं में मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार-प्रसार हेतु पोस्टर का विमोचन किया है।

भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने किया हंगामा

इसको लेकर अंचल में सक्रिय आदिवासी सामाजिक संगठन भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने एसडीएम कार्यालय पेटलावद पहुंचकर आपत्ति दर्ज करवाई। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा यूनिट मप्र के प्रदेश संयोजक धर्मेंद्र डामोर ने बताया कि लोकसभा निर्वाचन की आदर्श आचरण संहिता का हम सामाजिक संगठन के समस्त पदाधिकारी कार्यकर्ता और सदस्य सम्मान और पालन करते हैं।

जिला निर्वाचन पदाधिकारी झाबुआ के नाम से निर्मित और विमोचित की गई। पोस्टर प्रचार सामग्री में चुनावी काका के नाम से चित्रांकित किया गया। चित्र भील समुदाय के लोग धर्म संस्कृति के आराध्य देव मुकुटधारी बाबा बुड़वा-मोटाणी बड़ादेव का है।

साथ ही चुनावी काकी के नाम से निर्मित प्रचारित चित्र भीली संस्कृति के पहनावे अंतर्गत भीली महिला का चित्र है। विमोचित-प्रसारित दोनों ही चित्र में जंगली जानवरों के मुंह सहित जानवरों के अंगों का समावेश पोस्टर के चित्रों में किया गया है।

उन्होंने बताया इन दोनों ही निर्मित-विमोचित पोस्टर सामग्री से भील समुदाय की महान लोक संस्कृति का घोर अपमान हुआ है। पश्चिमी भारत स्थित भील सांस्कृतिक क्षेत्र में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक आयोजनों एवं भगोरिया हाटों में मुकुटधारी बाबा बुड़वा-मोटाधणी-बड़ादेव का वेश धारण कर भील युवा ढोल की सुरीली तान पर समर्पित भाव से पारंपरिक नृत्य करते हैं। विमोचित पोस्टर में जो चित्रांकन हुआ है।

इस तरह किया अपमान

उसमें भीली लोककला के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ कर उसमें जंगली जानवरों के मुंह-अंग आदि जोड़कर, महान भीली लोक संस्कृति का घोर अपमान किया गया है, जो कि भील समुदाय सहित समस्त आदिवासी वर्ग को अस्वीकार है।

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मुकदमा दायर किया जाए भील प्रदेश मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि इस कृत्य में किसी गैर आदिवासी अधिकारी, कर्मचारी की आदिवासी और भीली संस्कृति के विरुद्ध पूर्वाग्रह से पीड़ित मानसिकता परिलक्षित होती है। यह क्षेत्र आदिवासी भीली लोक परंपरा, रीति-रिवाज और संस्कृति के कारण विख्यात है। इसमें क्षेत्र में निवासरत संपूर्ण आदिवासी वर्ग सहित भील समुदाय इस पोस्टर से आहत है और अपमानित महसूस कर रहा है।

चित्र को डिजाइन करने में शामिल व्यक्ति, अधिकारी-कर्मचारी पर अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत एट्रोसिटी एक्ट का मुकदमा दायर किया जाए। इस मामले में कलेक्टर नेहा मीना से मुलाकात कर उन्होंने ज्ञापन भी सौंपा। इस अवसर पर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा-यूनिट मप्र के प्रदेश संयोजक धर्मेंद्र डामोर, सामाजिक यूनिट के जिला प्रभारी संदीप वहुनिया आदि उपस्थित रहे।