बुधवारी बाजार का बेजा कब्जा हटे लगभग 13 माह होने को है मगर मलबा अब तक नहीं हटा है। कांग्रेस शासन के दौरान कलेक्टर द्वारा बुधवारी बाजार का बेजा कब्जा हटाया गया। उस समय कई तरह की योजनाएं बताई जाती थी मगर वहां कुछ निर्माण तो दूर साल भर से अधिक समय बीतने के बाद भी वहां का मलबा तक नहीं हटा है।
By komal Shukla
Publish Date: Fri, 29 Mar 2024 12:04 AM (IST)
Up to date Date: Fri, 29 Mar 2024 12:04 AM (IST)
नईदुनिया न्यूज सक्ती । बुधवारी बाजार का बेजा कब्जा हटे लगभग 13 माह होने को है मगर मलबा अब तक नहीं हटा है। कांग्रेस शासन के दौरान कलेक्टर द्वारा बुधवारी बाजार का बेजा कब्जा हटाया गया। उस समय कई तरह की योजनाएं बताई जाती थी मगर वहां कुछ निर्माण तो दूर साल भर से अधिक समय बीतने के बाद भी वहां का मलबा तक नहीं हटा है।तत्कालीन कलेक्टर का तबादला हो गया और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार नहीं है परंतु जब बेजा कब्जा हटाया जा रहा था तब कुछ व्यक्तियों ने विरोध किया था। इस विरोध में मध्यप्रदेश शासन के पूर्व मंत्री राजा सुरेन्द्र बहादुर ने भी बेजा कब्जा धारियों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी थी।
कई वर्षो से बुधवारी बाजार में सब्जी मार्केट सप्ताह में एक दिन बुधवार को लगता था तथा मवेशी बाजार दो दिन लगता था । यह बाजार प्रसिद्ध था मवेशी बाजार में दूर दराज से मवेशियों को खरीदने के लिए लोग आते थे । धीरे धीरे मवेशियों की पूछ परख कम हो गई। बेजा कब्जा जिस समय हटाया जा रहा था तब राष्ट्रीय पार्टी के कार्यकर्ता नदारत थे। बीच -बीच में जरूर बोलते थे जो बेजा कब्जा हटाया गया है वहां खेल मैदान, स्वीमिंग पुल एवं जिनकी दुकानें हटाई गई है उनकोे दुकान बनाकर दिया जाएगा परंतु 13 माह होने के बावजूद बेजा कब्जा हटाया गया है उसका मलबा आज भ्ाी पड़ा हुआ है। वह मलबा कब हटेगा तथा दुकान कब बनेंगी । इसका उत्त्ार किसी के पास नहीं है।
आज भी वहां शाम को दैनिक सब्जी बाजार लगता हैमगर बुधवार गुरूवार को बाजार नहीं लग रहा है। इस बाजार में बहुत भीड़ होती थी। लोग दूर-दराज से आते थे और व्यापारियों की अच्छी कमाई भी होती थी। बेजाकब्जा हटाने से जो लोग विस्थापित हुए हैं। उनकी पीड़ा है कि बेजाकब्जा हटाने के बाद कोई निर्माण नहीं हुआ और उनका पुनर्वास नहीं हुआ है। नगरवासियों ने यहां से मलबा हटाकर आगे की कार्ययोजना बनानेकी मांग की है।