Gwalior Lok Sabha Constituency: माधव राव सिंधिया के बाद से कोई भी कांग्रेसी सांसद ग्वालियर संसदीय सीट नहीं जीत सका लेकिन रामसेवक सिंह ने जयभान सिंह पवैया को हराकर माधव राव सिंधिया से ग्वालियर सीट से छीन ली।
By Varun Sharma
Publish Date: Thu, 28 Mar 2024 04:00 AM (IST)
Up to date Date: Thu, 28 Mar 2024 04:00 AM (IST)
HighLights
- डबरा विधानसभा से भाजपा के नरोत्तम मिश्रा के हाथों हार मिली थी।
- रामसेवक बाबूजी ने प्रशासन पर हराने का आरोप लगाया था।
- बाबूजी के निष्कासन के बाद से ग्वालियर सूबे में अभी तक बीजेपी का ही दबदबा है।
Gwalior Lok Sabha Constituency: वरुण शर्मा, ग्वालियर। ग्वालियर लोकसभा सीट पर जिन रामसेवक बाबूजी के कारण कांग्रेस की जीत का सफर रूक गया उन्हें सहानुभूति वोट ने जीत दिलाई थी। विधानसभा चुनाव 2004 में रामसेवक बाबूजी को डबरा विधानसभा से भाजपा के नरोत्तम मिश्रा के हाथों हार मिली थी। इसी हार पर हराने का आरोप बाबूजी ने लगाया था। एक साल बाद ही लोकसभा चुनाव में उन्हें सहानुभूति जनता से मिली और 35000 वोट से नरोत्तम मिश्रा को हरा दिया था। यह स्थिति तब बनी जब ग्वालियर लोकसभा सीट की आठों विधानसभा पर भाजपा का कब्जा था।
माधव राव सिंधिया के बाद से कोई भी कांग्रेसी सांसद ग्वालियर संसदीय सीट नहीं जीत सका लेकिन रामसेवक सिंह ने जयभान सिंह पवैया को हराकर माधव राव सिंधिया से ग्वालियर सीट से छीन ली। उनके निष्कासन के बाद से ग्वालियर सूबे में अभी तक बीजेपी का ही दबदबा है। साल 2005 में भारतीय राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया था, जब एक टीवी चैनल ने 11 सांसदों का स्टिंग ऑपरेशन कर रुपये देकर संसद में सवाल पूछने के लिए राजी कर लिया।
इनमें ग्वालियर से उस वक्त के कांग्रेसी सांसद रामसेवक बाबूजी भी शामिल थे। बाबूजी ने पचास हजार रुपये लिए थे। 23 दिसंबर 2005 को लोकसभा की एक विशेष समिति ने उन्हें सदन की अवमानना का दोषी पाया और स्टिंग में पकड़े गए सभी 11 सांसदों को निष्कासित करने के प्रस्ताव के बाद उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस कभी नहीं जीती।