तेलंगाना में बंधक थे बिलासपुर के 10 मजदूर, छूटे तो बोले- धन्यवाद साहब…

तेलंगाना में बंधक थे बिलासपुर के 10 मजदूर, छूटे तो बोले- धन्यवाद साहब…

मजदूर तेलंगाना के ईंट-भट्ठे में करते थे काम, बसपा कार्यकर्ताओं ने उन्हे ठेकेदार से दिलवाई आजादी

By Yogeshwar Sharma

Publish Date: Thu, 28 Mar 2024 02:09 AM (IST)

Up to date Date: Thu, 28 Mar 2024 02:09 AM (IST)

राज्यसभा सांसद ने मजदूरों के रिहाई का एक वीडियो अपने एक्स हैंडल में शेयर किया

बिलासपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)।

तेलंगाना राज्य में ईंट-भट्ठे में काम कर रहे छत्तीसगढ़ के 10 मजदूरों को बंधक बनाकर रखा गया था, जिन्हे बसपा के कार्यकर्ताओं ने प्रशासन की मदद से छुड़वाया है। उन्हें सुरक्षित उनके घर रवाना किया गया है, वे बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र के रहने वाले हैं। ईंट-भट्ठे से छूटने के बाद का मजदूरों का एक वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें मजदूरों ने सभी को धन्यवाद कहते हुए आभार जताया है।

मिली जानकारी के मुताबिक, बिलासपुर के मस्तूरी क्षेत्र के 10 मजदूर रोजी-मजदूरी करने के लिए तेलंगाना के सूर्या पेट जिले के मटक पल्ली में एक ईंट-भट्ठे में काम करने गए हुए थे, जहां उन्हें बंधक बनाकर काम करवाया जा रहा था। बंधक बनाए गए छत्तीसगढ़ के 10 मजदूरों को बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने छुड़वाया है। बसपा कार्यकर्ताओं ने मजदूरों को ट्रेन में तेलंगाना से बिलासपुर के मस्तूरी के लिए रवाना किया है।

नहीं दिए जा रहे थे पैसे, राज्यसभा सांसद ने की मदद-

बताया जा रहा कि मजदूरों से रोजाना काम करवाया जा रहा था लेकिन उन्हें न तो पैसे दिए जा रहे थे और न ही वापस भेजा जा रहा था। छत्तीसगढ़ के बसपा कार्यकर्ताओं ने मजदूरों की इस विपत्ति को बसपा के राज्यसभा सांसद रामजी गौतम तक पहुंचाई। जिनकी मदद से मजदूरों को सुरक्षित छुड़ाया गया है। राज्यसभा सांसद ने मजदूरों के रिहाई का एक वीडियो अपने एक्स हैंडल में शेयर किया है।

मजदूरों में महिलाएं भी शामिल-

तेलंगाना में बसपा पार्टी कार्यकर्ताओं की मदद से मजदूरों को छुड़वाया गया है। 10 मजदूरों में 4 महिला भी शामिल भी है। जिन्हें बंधक बनाया गया था। हालांकि सभी को सुरक्षित छुड़वा लिया गया है। उन्हें वापस उनके घर के लिए भेजा गया है।

भरपेट खाने तक को नहीं मिलता था मजदूरों को-

बताया जा रहा कि श्रमिक सूर्या पेट में ईंट बनाने के लिए मस्तूरी से गए थे। शुरुआत में काम ठीक तरह से चल रहा था। लेकिन भट्ठा मालिक उन्हें प्रताड़ित करने लगा। हर समय उन पर नजर रखी जाती थी। इतना ही नहीं खाने के लिए उन्हें थोड़ा सा सिर्फ चावल दिया जाता था। इतना ही नहीं, उन्हें मजदूरी का भुगतान तक नहीं किया जाता था।

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