Congress Leaders Be part of BJP: विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस और भाजपा ने दलबदलुओं को लड़ाया था चुनाव, भाजपा के अधिकतर जीते।
By Prashant Pandey
Publish Date: Wed, 27 Mar 2024 03:50 AM (IST)
Up to date Date: Wed, 27 Mar 2024 03:50 AM (IST)
HighLights
- कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद डा.भागीरथ प्रसाद ने दल बदलकर भाजपा से लड़ा था चुनाव और जीते।
- होशंगाबाद से राव उदय प्रताप सिंह और गुना से केपी सिंह यादव भी जीत चुके हैं चुनाव।
- भाजपा ने भी सात कांग्रेस के नेताओं को टिकट दिया, जिनमें से सातों ने जीत हासिल की।
Congress Leaders Be part of BJP: वैभव श्रीधर, भोपाल। मध्य प्रदेश में इन दिनों दलबदल का खेल जमकर खेला रहा है लेकिन परिदृश्य बदला हुआ है। विधानसभा चुनाव के पहले बड़ी संख्या में भाजपा से असंतुष्ट होकर नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ली थी। इनमें से सात नेताओं को टिकट दिया गया, जिनमें से तीन चुनाव जीते। वहीं, भाजपा ने भी सात कांग्रेस के नेताओं को टिकट दिया, जिनमें से सातों ने जीत हासिल की।
हालांकि, लोकसभा चुनाव में दलबदल कर आने वालों को मध्य प्रदेश में मौके कम मिले हैं पर तीन नेता ऐसे रहे, जिन्हें टिकट भी मिला और वे उन्हें सफलता भी मिली। इनमें होशंगाबाद से राव उदय प्रताप सिंह, भिंड से डा.भागीरथ प्रसाद और गुना से केपी सिंह यादव शामिल हैं। तीनों पहले कांग्रेस में थे और फिर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते। इस तरह देखा जाए तो दलबदल कर भाजपा में आने वाले कांग्रेसी फायदे में रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति बनी हुई। भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग टोली के प्रदेश संयोजक डा.नरोत्तम मिश्रा का दावा है कि अब तक 16 हजार से अधिक कांग्रेस के पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, प्रदेश व जिला पदाधिकारी पार्टी की सदस्यता ले चुके हैं।
विधानसभा चुनाव के समय भी दलबदल हुआ था। इनमें मोहन सिंह राठौर, ब्रजबिहारी पटेरिया, राजेश शुक्ला, सिद्धार्थ तिवारी, सचिन बिरला, छाया मोरे और कामाख्या प्रताप सिंह ने विधानसभा चुनाव जीता।
इसके पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दलबदल करने वाले विधायकों में से भी अधिकतर भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। जो चुनाव हार भी गए उन्हें विभिन्न निगम, मंडल व आयोगों में स्थान मिला। उधर, कांग्रेस ने भी भाजपा समेत अन्य दलों से आए दीपक जोशी, यादवेंद्र सिंह यादव, भंवर सिंह शेखावत, अभय मिश्रा, गिरिजा शंकर शर्मा और अनुभा मुंजारे को चुनाव लड़ाया।
इनमें से भंवर सिंह शेखावत, अभय मिश्रा और अनुभा मुंजारे ही चुनाव जीता। कोलारस से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने पार्टी छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली पर उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो कोलारस से बैजनाथ यादव चुनाव हारकर भाजपा में लौट गए। सूत्रों का कहना है कि अगले सप्ताह कांग्रेस के कुछ और बड़े नेता भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं।
दिलीप सिंह भूरिया
कांग्रेस के आदिवासी वर्ग के कद्दावर नेता। रतलाम संसदीय क्षेत्र (पूर्व में झाबुआ) से 1980 से 1996 तक लगातार चुनाव जीते। फिर दल बदलकर भाजपा में शामिल हुए। 2009 में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया से चुनाव हारे और 2014 में वापसी की और कांतिलाल भूरिया को हराकर संसद पहुंचे।
गणेश सिंह
जनता दल से 1998 में विधानसभा का चुनाव लड़ा पर हार गए। भाजपा में शामिल हुए और पहली बार 2004 में भाजपा के टिकट पर सतना से लोकसभा चुनाव लड़ा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। चार बार से चुनाव जीत रहे हैं। पार्टी ने उन्हें सतना से विधानसभा चुनाव लड़ाया पर कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा से हार गए। भाजपा ने फिर उन्हें सतना संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा है।
राव उदय प्रताप सिंह
2008 में कांग्रेस के टिकट पर तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। पार्टी ने 2009 में होशंगाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ाया और जीतकर संसद पहुंचे। दल बदलकर भाजपा की सदस्यता ली और 2014 में पार्टी ने प्रत्याशी बनायां। 2019 में भी भाजपा ने भरोसा जताया और रिकार्ड पांच लाख 53 हजार 682 मतों से जीते।2023 में नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे। मोहन सरकार में स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री हैं।
भागीरथ प्रसाद
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे। कांग्रेस के टिकट पर 2009 में भिंड से लोकसभा चुनाव लड़ा पर हार गए। 2014 में पार्टी ने फिर विश्वास जताया और प्रत्याशी बनाया पर ऐनवक्त पर पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गए, टिकट भी मिल गया और चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। हालांकि, दोबारा अवसर नहीं मिला।