Holi 2024: रासायनिक रंगों से बचें, त्वचा और बालों को हो सकता है नुकसान

Holi 2024: रासायनिक रंगों से बचें, त्वचा और बालों को हो सकता है नुकसान

होली के रंगों में एलर्जी, श्वास जैसी बीमारियों के साथ कैंसर पैदा करने वाले रसायन भी मिले होते हैं। रंगों के साथ गुलाल भी आपकी त्वचा के लिए घातक व हानिकारक साबित हो सकता है। होली के दिन आप इन रंगों में रंगने जा रहे हैं तो सावधान रहिए।

By Navodit Saktawat

Publish Date: Mon, 25 Mar 2024 04:19 PM (IST)

Up to date Date: Mon, 25 Mar 2024 04:19 PM (IST)

लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। होली के रंगों में एलर्जी, श्वास जैसी बीमारियों के साथ कैंसर पैदा करने वाले रसायन भी मिले होते हैं। रंगों के साथ गुलाल भी आपकी त्वचा के लिए घातक व हानिकारक साबित हो सकता है। होली के दिन आप इन रंगों में रंगने जा रहे हैं तो सावधान रहिए। डाक्टरों के अनुसार आप बाजार में मिलने वाले रंगों की जगह प्राकृतिक रंगों से होली खेलते हैं तो आप कई तरह की बीमारियों से बचेंगे।

सिविल चिकित्सक डाक्टर जीएस चोयल के अनुसार आम लोगों को यह जानकारी नहीं है कि रासायनिक रंगों में कितने खतरनाक तत्व मिले रहते हैं। यहां तक कि बहुत सुरक्षित मानी जाने वाली गुलाल में भी आधा दर्जन जहरीले रसायन हो सकते हैं। इनमें लेड क्रोमियम, निरजल आदि शामिल होते हैं। यह एलर्जी से लेकर त्वचा के कैंसर तक की वजह बन सकते हैं। अगर हम अपने रसोई घर में ही चाहे तो हर किस्म का रंग बना सकते हैं। हल्दी जैसे मसालों और चुकंदर जैसी सब्जियों के सुरक्षित और शरीर को लाभ पहुंचाने वाले रंग मौजूद हैं।

इन रंगों से होता है सेहत को नुकसान

लाल व काला रंग मरकरी लेड सल्फाइड से बनते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है। पीला रंग ओरामाइन नामक रसायन से बनता है, जो एलर्जी पैदा करता है। गुलाल में लेड क्रोमियम, कैडमियम, निकल, लोहा, सिलिकान आदि पाए जाते हैं। जिनसे त्वचा का कैंसर और आंखों को नुकसान हो सकता है। सिल्वर पेंट को बनाने के लिए एलुमिनियम ब्रोमाइड का इस्तेमाल किया जाता है, जो जहरीला रसायन होता है।

इन प्राकृतिक रंगों का करें इस्तेमाल

  • रंग बनाने के लिए लोहे के बर्तनों में सूखे आंवले को उबालकर रातभर रखें, तो काला रंग तैयार हो जाता है।
  • ब्राउन रंग को बनाने के लिए कत्थे को पानी में घोलकर रातभर रखें। दूसरे दिन ब्राउन रंग तैयार हो जाएगा।
  • लाल रंग तैयार करने के लिए लाल चंदन, गुलमोहर, टेसू के फूलों को पीसकर पानी में उबाल लें।
  • पान वाले चूने के पानी में हल्दी घोलकर भी लाल रंग तैयार किया जा सकता है।
  • पीले रंग के लिए हल्दी के साथ बेसन या मुल्तानी मिट्टी को मिलाकर रंग तैयार किया जा सकता है।
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    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शिफ्ट प्रभारी हैं। पत्रकारिता में विभिन्‍न मीडिया संस्‍थानों में अलग-अलग भूमिकाओं में कार्य करने का 21 वर्षों का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट व डिजिटल में कई बड़े दायित्‍वों

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