Gwalior Excessive Courtroom: मृतक के स्वजनों को बताए बिना जांच, हत्या के आरोपित को बताया निर्दोष, फिर ऐसे मिला न्याय
गुपचुप शिकायत पुलिस मुख्यालय में तत्कालीन आइजी शिकायत शाखा को आवेदन करवाया गया। इसमें फरियादी पक्ष की ओर से आवेदन किया गया कि इस मामले में वह शामिल नहीं है।
By Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Mon, 25 Mar 2024 10:57 AM (IST)
Up to date Date: Mon, 25 Mar 2024 10:57 AM (IST)

HighLights
- शहर का सबसे चर्चित हत्याकांड। जिसमें मनिया राठौर की बेरहमी से हत्या की गई
- फिर गाड़ी के अंदर ही उसे हत्या करने वालों ने जला दिया।
- आखिर अधिवक्ता अवधेश तोमर ने इस मामले में कोर्ट में तथ्य रखे और न्याय मिला
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। सात साल पहले, शहर का सबसे चर्चित हत्याकांड। जिसमें मनिया राठौर की बेरहमी से हत्या की गई, फिर गाड़ी के अंदर ही उसे हत्या करने वालों ने जला दिया। इस मामले में एक आरोपित को बचाने के लिए पूरा सिस्टम ही लग गया। गुपचुप पुलिस मुख्यालय में बैठे एक आइजी स्तर के पुलिस अधिकारी ने जांच कर ली, आरोपित को निर्दोष बता दिया। आखिर अधिवक्ता अवधेश तोमर ने इस मामले में कोर्ट में तथ्य रखे और न्याय मिला। कोर्ट ने उसे आरोपित माना, इतना ही नहीं आजीवन कारावास की सजा भी दिलाई।
अधिवक्ता अवधेश तोमर कहते हैं- यह मामला उन्हें हमेशा याद रहेगा। किस तरह एक हत्या की गई और इसमें शामिल एक शातिर अपराधी को बचाने के लिए सिस्टम उसकी मदद करने लगा। बाकायदा करीब 17 लोगों ने झूठी गवाही भी दी, लेकिन जब यह जानकारी उन्हें लगी तो वह मृतक की पत्नी के साथ मिलकर लड़े। आखिर हत्यारों को सजा मिली। इसमें जिस आरोपित को बचाने की कोशिश सिस्टम कर रहा था, उसे कोर्ट ने दोषी माना और उसे सजा मिली।
यह था मामला…
2017 में मनिया राठौर की लाश उसकी ही गाड़ी में मिली थी। उसकी लाश जली हुई हालत में मिली थी। पहले उसकी हत्या की गई थी, फिर गाड़ी को आग लगा दी थी, इसके अंदर लाश भी जल गई थी। इस मामले में पुलिस ने अरविंद यादव को भी आरोपित बनाया था।
गुपचुप हुई थी शिकायत…
इस मामले में आरोपित अरविंद को बचाने के लिए कोशिश की गई। इस मामले में गुपचुप शिकायत पुलिस मुख्यालय में तत्कालीन आइजी शिकायत शाखा को आवेदन करवाया गया। इसमें फरियादी पक्ष की ओर से आवेदन किया गया कि इस मामले में वह शामिल नहीं है। पूरी सांठगांठ से इस मामले में आरोपित की गिरफ्तारी जांच होने तक रोक दी गई। सांठगांठ से जांच हुई। 17 लोगों की गवाही करवाई गई। सारे तथ्य, सबूत दरकिनार कर दिए गए।
इस मामले में आरोपित अरविंद को निर्दोष् मानकर इस मामले से बाहर करने का निर्णय ले लिया गया। तभी फरियादी पक्ष को इस बारे में पता लगा। फरियादी पक्ष के अधिवक्ता अवधेश तोमर ने इस जांच के बारे में कोर्ट को अवगत कराया। जो तथ्य कोर्ट में रखे गए, उस आधार पर जांच को गलत माना गया। आखिर उसे दोषी माना गया। अरविंद को इस मामले में सजा हुई। मनिया हत्याकांड में एक आरोपित दोषमुक्त भी हुआ। बाकी सभी आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा हुई। अभी भी आरोपित जेल में हैं।


