Unique Interview मैंने नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बारे में भविष्यवाणी की थी। अब मैं फिर कह रहा हूं कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।
Publish Date: Fri, 19 Jan 2024 07:57 AM (IST)
Up to date Date: Fri, 19 Jan 2024 07:58 AM (IST)
HighLights
- जगद्गुरु रामभद्राचार्य का कहना है कि अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा आने के बाद निश्चित रूप से रामराज्य के आदर्श हमारे देश में आएंगे।
- अयोध्या में 22 जनवरी को अपराह्न 12.29 बजे इस जगत में भी त्रेता युग की छाया पड़ेगी।
- कई सालों से अपने संकल्प के अडिग रहने के बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य का प्रण अब पूरा हो रहा है।
महेंद्र पांडेय, लखनऊ। संस्कृत के प्रकांड विद्वान और करीब 22 भाषाओं के ज्ञाता होने के साथ-साथ 200 से अधिक किताबों के लेखक, पद्म विभूषण से अलंकृत जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज का यह संक्षिप्त परिचय उनकी शख्सियत और व्यक्तित्व के बारे में काफी कुछ जानकारी दे देता है। एक समय जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने शपथ ली थी कि जब तक रामलला की मूर्ति अयोध्या में नहीं विराजेगी, तब तक अयोध्या में श्रीराम कथा का पाठ नहीं करेंगे। कई सालों से अपने संकल्प के अडिग रहने के बाद उनका प्रण अब पूरा हो रहा है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य का कहना है कि अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा आने के बाद निश्चित रूप से रामराज्य के आदर्श हमारे देश में आएंगे। उनका कहना है कि अयोध्या में 22 जनवरी को अपराह्न 12.29 बजे इस जगत में भी त्रेता युग की छाया पड़ेगी। इस बारे में विस्तार से बात की है नईदुनिया के सहयोगी प्रकाशन दैनिक जागरण के संवाददाता महेन्द्र पाण्डेय ने। यहां प्रस्तुत है इस चर्चा का प्रमुख अंश:
सवाल: श्री राम लला नए भव्य मंदिर में विराजमान होने वाले हैं। ऐसे में आप क्या अनुभव कर रहे हैं?
मैं फिलहाल वैसा ही अनुभव कर रहा हूं, जैसा रामजी के वनवास खत्म होने के बाद अयोध्या आने पर अयोध्यावासियों ने अनुभव किया था। मैं अपनी तपस्या का फल मिलते देख रहा हूं। मैंने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि 6 दिसंबर 2019 के पहले निर्णय आ जाएगा और जनवरी 2024 तक भगवान श्री राम मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। आज वही हो रहा है।
सवाल: आपको भविष्यवाणी की यह प्रेरणा कैसे हुई? क्या प्रभु श्री राम स्वप्न में आकर कुछ बताते हैं या राम कथा सुनाने के दौरान आभास होता है?
मुझे यह प्रेरणा भगवान श्री राम से ही मिलती है। प्रभु मेरे स्वप्न में नहीं आते हैं, बल्कि प्रत्यक्ष आकर ही बताते हैं। मैंने जो भी बातें कही थी, वे सभी सत्य साबित हुई है। मैंने कहा था कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटेगा। मैंने यह भी कहा था कि संसद में महिला आरक्षण विधेयक पास होगा। वह भी सच साबित हुआ। मैंने नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बारे में भविष्यवाणी की थी। अब मैं फिर कह रहा हूं कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।
सवाल: पहले ऐसा लगता था कि राम जन्मभूमि की मुक्ति असंभव है। अगर यह सब प्रभु श्री राम की कृपा से हो रहा है तो क्या यह माना जाना चाहिए कि राम मंदिर टूटा भी था रामजी की इच्छा से?
नहीं। हमने ऐसा कभी नहीं सोचा कि राम जन्मभूमि की मुक्ति नहीं होगी। रही बात मंदिर टूटने की तो हो सकता है कि प्रभु देश में राम भक्तों की परीक्षा ले रहे हों।
सवाल: राम मंदिर के निर्माण में क्या संतों का ही योगदान है या किसी और का भी?
राम मंदिर के निर्माण में बिल्लुक संतों का योगदान है। जब आंदोलन शुरू किया गया था तो उसमें मैं भी शामिल था। इनमें अशोक सिंहल, महंत अवैद्यनाथ, रामचंद्र दास परमहंस और गिरिराज भी थे। राम मंदिर निर्माण आंदोलन में तब शौर्य चाहिए था, लेकिन धैर्य के साथ अब भी शौर्य चाहिए।
सवाल: श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर इन दिनों राजनीति भी हो रही है। ऐसे क्या आपको भी लगता है कि राम मंदिर के निर्माण के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत थी?
श्री राम मंदिर के निर्माण को लेकर राजनीति करना गलत है। संतों जब कोई संकल्प ले लेते हैं तो राजनीतिक इच्छाशक्ति भी सहयोग करने लगती है। ऐसे में जो लोग यह कहते हैं कि आधे-अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं, उनको ज्ञान ही नहीं है। गर्भगृह की बात थी, वो पूरा हो चुका है। वो तो आगे राम दरबार के लिए ऊपरी तल बना रहे हैं।
सवाल: एक समय जब राम के अस्तित्व का प्रमाण मांगा जाता था। उन दिनों को अब किस तरह से याद करते हैं?
उन दिनों को याद करता हूं तो मुझमें राेमांच हो जाता है। मैंने प्रण कर लिया था कि न्यायमूर्ति को अपने प्रमाणों और उत्तर से संतुष्ट करूंगा। मैंने ऋग्वेद से लेकर हनुमान चालीसा पर्यंत 441 प्रमाण दिए। इसके बाद जब श्री राम जन्मभूमि स्थल पर उत्खनन किया गया तो वहां 437 प्रमाण सही निकले। केवल 4 प्रमाण धूमिल स्थिति में रहे। आखिर में वे 4 प्रमाण भी मेरे पक्ष में गए। इस बात को लेकर न्यायमूर्ति भी चकित हो गए थे।