Story of Gwalior Mela: नुमाइश के नाम से मशहूर था व्यापार मेला

Story of Gwalior Mela: नुमाइश के नाम से मशहूर था व्यापार मेला

Story of Gwalior Mela: नुमाइश के नाम से देशभर में मशहूर ग्वालियर व्यापार मेला अब भी अपनी ख्याति बरकरार रखे हुए है। राज प्रमुख खुद नुमाइश में शाही तंबू लगाकर आते थे। वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश राज्य बना तो सरकार ने इस मेले का प्रबंधन उद्योग विभाग को सौंप दिया।

Publish Date: Sat, 13 Jan 2024 01:26 PM (IST)

Up to date Date: Sat, 13 Jan 2024 01:26 PM (IST)

HighLights

  1. वर्ष 1996-97 में माधवराव सिंधिया के प्रयासों से बना मेला प्राधिकरण
  2. 104 एकड़ की भूमि पर लगने वाला मेले में करीब दो हजार दुकानें लगती हैं

Story of Gwalior Mela: ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। नुमाइश के नाम से देशभर में मशहूर ग्वालियर व्यापार मेला अब भी अपनी ख्याति बरकरार रखे हुए है। राज प्रमुख खुद नुमाइश में शाही तंबू लगाकर आते थे। वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश राज्य बना तो सरकार ने इस मेले का प्रबंधन उद्योग विभाग को सौंप दिया। उद्योग विभाग इसे जनभागीदारी से आयोजित करने लगा। वर्ष 1984 में माधवराव सिंधिया केंद्र में मंत्री बने तो उन्होंने अपने पूर्वजों की इस धरोहर को नया रूप देने के लिए प्रगति मैदान के मुखिया को ग्वालियर बुलाकर इसे व्यापार मेला का दर्जा दिलाया। इतना ही नहीं वर्ष 1996-97 में मेला प्राधिकरण बन गया, इसके बाद कुछ निर्माण कार्य भी हुए। 104 एकड़ की भूमि पर लगने वाला यह मेला बहुत ही विशाल है, इसमें कच्ची-पक्की करीब दो हजार दुकानें लगती हैं। मेला अवधि के दौरान कई सेक्टर में इसे विभाजित कर दिया जाता है। इस दौरान प्रमुख और आकर्षण के केंद्र झूला सेक्टर, आटोमोबाइल सेक्टर, इलेक्ट्रानिक सेक्टर, शिल्पकारी और खाने पीने के सेक्टर होते हैं। साथ ही घर के सामान खरीदी के सेक्टर सहित विभिन्न सेक्टर भी यहां हैं। लोग अपनी सुविधा के अनुसार उन सेक्टरों का उपयोग करते हैं।

विदेश तक से आते हैं लोग

ग्वालियर व्यापार मेले में सैलानियों की भरमार रहती है, जिसमें देश से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं, इसके साथ ही यहां देश के विभिन्न शहरों से व्यापारी अपनी कलाओं का प्रदर्शन करने के लिए आते हैं, इसके साथ ही यहां शिल्पकार, शारीरिक कला, कवि सम्मेलन, गायन नृत्य आदि की प्रस्तुतियों के लिए भी विशाल मंच तैयार किए जाते हैं। जहां लोग अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

नेरोगेज का स्टापेज भी रहता था

ग्वालियर से भिण्ड तक जाने वाली नेरोगेज ट्रेन का स्टापेज भी ग्वालियर व्यापार मेले में रहता था। इस ट्रेन के जरिए व्यापार मेले में आने वाले व्यापारी अपने सामान को लाने ले जाने का काम भी करते थे। ग्वालियर स्टेट पहला स्टेट था जहां ट्रेन चलती थी।

मेले से बढ़ जाता व्यापार

व्यापारिक दृष्टि से भी व्यापार मेला काफी महत्वपूर्ण है। यहां खरीदार और व्यापारियों के लिए शुरू किए गए आफर पूरे प्रदेश में लागू हो जाते हैं। अगर व्यापार मेले के आटोमोबाइल सेक्टर में सजे किसी कंपनी के शोरूम पर डिस्काउंट दिया जा रहा है तो वह आफर हर शो-रूम पर शुरू किया जाता है। इतना ही यहां लगने वाली प्रदर्शनी में सरकार की योजनाएं भी सामने आती हैं, इसका फायदा अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों से आए किसानों को मिलता है। वे योजनाओं को जान पाते हैं और फिर फायदा भी लेते हैं।

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