Chhindwara Lok Sabha Seat: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा को भेदने के लिए भाजपा ने लगाई सेंध
Chhindwara Lok Sabha Seat: पूर्व विधायक सहित कई पदाधिकारियों ने छोड़ी कांग्रेस, पहले चरण की अधिसूचना के बाद कुछ और के दलबदल की तैयारी।
By Vaibhav Shridhar
Publish Date: Tue, 19 Mar 2024 03:51 PM (IST)
Up to date Date: Wed, 20 Mar 2024 03:30 AM (IST)

HighLights
- चौरई से पूर्व विधायक गंभीर सिंह सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारियों को भाजपा की सदस्यता दिलाई जा चुकी है।
- भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने देश की 156 ऐसी संसदीय सीटों को चिह्नित किया था, जहां पार्टी लंबे समय से चुनाव नहीं जीत पाई है।
- इसमें मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट भी शामिल है।
Chhindwara Lok Sabha Seat: वैभव श्रीधर, भोपाल। मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र ऐसा है, जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ लगातार चुनाव जीतते रहे हैं और अभी उनके बेटे नकुल नाथ सांसद हैं। कांग्रेस ने उन्हें फिर चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा ने कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने के लिए सेंध लगानी शुरू कर दी है। चौरई से पूर्व विधायक गंभीर सिंह सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारियों को भाजपा की सदस्यता दिलाई जा चुकी है।
पूर्व मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा के नेतृत्व वाली प्रदेश भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग टोली विधानसभावार कमजोर कड़ियों पर काम कर रही है। बुधवार को पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद कुछ और बड़े नेताओं का दलबदल कराने की तैयारी है।
कमल नाथ को बांधने में सफल रही भाजपा
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने देश की 156 ऐसी संसदीय सीटों को चिह्नित किया था, जहां पार्टी लंबे समय से चुनाव नहीं जीत पाई है। इसमें मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट भी शामिल है। 2019 के चुनाव में प्रदेश की 29 में से 28 सीटें भाजपा के खाते में आई थीं, लेकिन छिंदवाड़ा कमल नाथ का अभेद्य किला बना रहा। उनके बेटे नकुल नाथ ने यहां से जीत दर्ज की। हालांकि, भाजपा के आदिवासी चेहरा नत्थन शाह ने हार के अंतर को 37 हजार 536 पर ला दिया था।
इससे भाजपा को आधार मिला और उसने दो-तीन वर्ष जमकर मैदानी स्तर पर काम किया। असर यह रहा कि कमल नाथ छिंदवाड़ा में ही बंधकर रह गए। यही भाजपा की रणनीति भी थी। 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट गई। हालांकि, छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी सातों विस सीटें कांग्रेस ने जीतीं। छिंदवाड़ा ही प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां महापौर से जिला पंचायत अध्यक्ष तक कांग्रेस का है।
कमजोर कड़ियों पर लगाया जोर
भाजपा ने कार्य योजना बनाकर उन नेताओं पर काम किया, जो अलग-अलग कारणों से कमजोर कड़ियां थीं। कमल नाथ और नकुल नाथ के भरोसेमंद माने जाने वाले कई नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
इसमें चौरई से पूर्व विधायक गंभीर सिंह, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव अजय ठाकुर, पांढुर्णा नगर पालिका अध्यक्ष संदीप घाटोडे, जिला उपाध्यक्ष सतीश मिश्रा, हर्रई जनपद अध्यक्ष कंचना उइके, नगर पालिका चौरई नेता प्रतिपक्ष अर्जुन रघुवंशी, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता सैयद जाफर, राष्ट्रीय तेली साहू महासंगठन के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष प्रकाश साहू, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक साहू, राष्ट्रीय संगठन मंत्री गिरीश साहू, नगर अध्यक्ष सोनू साहू, युवा जिलाध्यक्ष दीपक साहू समेत कई नेता अपने समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं।
लगातार पार्टी छोड़कर जा रहे कार्यकर्ताओं को लेकर कमल नाथ भी सतर्क हैं और लगातार क्षेत्र में दौरे कर रहे हैं। प्रदेश भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि आपसी गुटबाजी और कमल नाथ को लेकर जो स्थिति है, उसके चलते अब भी सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा की सदस्यता लेने के लिए तैयार हैं। हमारी बूथ स्तर की तैयारी लंबे समय से चल रही है।


