Article 370 Film Evaluation; Yami Gautam, Priya Mani | Aditya Jambhale | मूवी रिव्यू- आर्टिकल 370: तथ्यों को सिनेमाई अंदाज में दिखाने की औसत कोशिश ; यामी फिर चमकीं, गृहमंत्री के रोल में किरण करमाकर सरप्राइज एलिमेंट
मुंबई20 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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फिल्म आर्टिकल 370 रिलीज हो गई है।
सच्ची घटना पर बेस्ड फिल्म आर्टिकल 370 रिलीज हो गई है। यामी गौतम और प्रियामणि स्टारर इस फिल्म की लेंथ 2 घंटे 40 मिनट है। दैनिक भास्कर ने फिल्म को 5 में से 3 स्टार रेटिंग दी है।
फिल्म की कहानी क्या है?
आर्टिकल 370 हटाने के पीछे की स्ट्रैटजी क्या थी, इतने बड़े फैसले के पीछे कौन-कौन लोग थे। उस वक्त का घटनाक्रम क्या था। फिल्म की कहानी यही बताती है। आजादी के बाद से ही लागू इस प्रावधान को चुटकी भर में नहीं हटाया गया था। इसके लिए दो-तीन सालों तक पर्दे के पीछे काफी डिस्कशन हुआ था।
कश्मीर में हालात खराब हो रहे थे, ऐसे में सरकार को ध्यान देना था कि वहां खून भी न गिरे और इस काले प्रावधान को हटा भी दिया जाए। इसकी पहली आधारशिला तब रखी गई जब 2016 में आतंकी बुरहान वानी का एनकाउंटर हुआ। बुरहान का एनकाउंटर करने वाली ऑफिसर जूनी हकसर (यामी गौतम) को अनुशासन भंग करने का आरोप लगाकर कश्मीर से हटा कर दिल्ली भेज दिया जाता है।
इसके बाद PM0 की एक अधिकारी राजेश्वरी स्वामीनाथन (प्रियामणि) के कहने पर जूनी को NIA का एजेंट बनाकर दोबारा कश्मीर भेजा जाता है। जूनी को जिम्मेदारी दी जाती है कि वो वहां के राजनेताओं, अलगाववादियों और उपद्रवियों से निपटकर हालात नॉर्मल करे। इधर दिल्ली में आर्टिकल 370 को हटाने के लिए हर नियम और कानूनी दांवपेच लगाए जाते हैं।

यामी गौतम ने फिर से एक बार आर्मी ऑफिसर का किरदार निभाया है।
स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?
कभी-कभी लगता है कि यामी गौतम ऐसी फिल्मों के लिए ही बनी हैं। उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक बार फिर से उन्होंने शानदार काम किया है। NIA एजेंट के रोल में यामी ने अच्छा-खासा एक्शन भी किया है। PM0 में सेक्रेटरी बनीं प्रियामणि ने संजीदगी से अपना रोल निभाया है। उन्हें जैसा रोल दिया गया है, वो उसमें सटीक बैठती हैं।
गृह मंत्री अमित शाह का रोल निभा रहे एक्टर किरण करमाकर इस फिल्म के सरप्राइज एलिमेंट हैं। उन्होंने अमित शाह के बॉडी लैंग्वेज को क्या खूब पकड़ा है। आर्टिकल 370 हटाते वक्त गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जो भाषण दिया था, किरण ने उसी अंदाज में उसे रिपीट किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका में अरुण गोविल थोड़े हल्के लगे हैं। आर्मी ऑफिसर के रोल में वैभव तत्ववादी ने प्रभावित किया है।

अरुण गोविल प्रधानमंत्री मोदी जबकि किरण करमाकर ने गृहमंत्री अमित शाह का रोल निभाया है।
डायरेक्शन कैसा है?
आदित्य सुहास जामभले फिल्म के डायरेक्टर हैं। डायरेक्शन में काफी सारी खामियां हैं। यह फिल्म डॉक्यूमेंट्री ज्यादा लगती है। कई सीन बहुत फेक लगते हैं। संसद भवन देखने में ही नकली लगता है। वैसे तो फिल्म की लेंथ 2 घंटे 40 मिनट है, फिर भी ऐसा लगता है कि तथ्यों को जल्दी-जल्दी समेटने की कोशिश की गई है। हालांकि कई-कई जगह डायरेक्टर इंटरेस्ट बनाने में कामयाब हुए हैं।
फिल्म का म्यूजिक कैसा है?
फिल्म में एक ही गाना है, जो कि बैकग्राउंड में बजता है। यह इतना प्रभावशाली नहीं है जिसकी चर्चा की जाए। फिल्म देखने के बाद इसका म्यूजिक या बैकग्राउंड स्कोर याद भी नहीं रहता।

फिल्म का प्रोडक्शन यामी गौतम के पति और उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक के डायरेक्टर आदित्य धर ने किया है।
फाइनल वर्डिक्ट, फिल्म देखें या नहीं?
अगर आपको पता नहीं है कि आर्टिकल 370 हटाने के पीछे स्ट्रैटजी क्या थी, तो अपना नॉलेज बढ़ाने के लिए फिल्म को देख सकते हैं। हालांकि तथ्यों को बहुत सिनेमाई अंदाज में पेश किया गया है, जो कि खटक भी सकती है। इतने बड़े मुद्दे को हल्के अंदाज में दिखा दिया गया है, हालांकि इसके बावजूद फिल्म वन टाइम वॉच जरूर है।

