Indore Information: इंदौर में बोली मिसाइल वुमन टेसी थामस- हर महीने 100 रुपये का लोन लेकर की इंजीनियरिंग की पढ़ाई
Indore Information: फिक्की फ्लो संस्था के ‘ऊंचे रखें लक्ष्य’ कार्यक्रम में शामिल हुईं डीआरडीओ में वैमानिकी प्रणाली की महानिदेशक डा. टेसी थामस।
By Hemraj Yadav
Publish Date: Thu, 15 Feb 2024 04:08 PM (IST)
Up to date Date: Thu, 15 Feb 2024 04:08 PM (IST)

Indore Information: नईदुनिया प्रतिनिधि इंदौर। कक्षा 10वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे गणित और भौतिकी विषय काफी पसंद आने लगे। इसके बाद 11वीं और 12वीं में मैंने गणित में 100 फीसद अंक और भौतिकी में 95 फीसद अंक हासिक किए। घर की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी। मैंने गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कालेज त्रिशूर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए स्टेट बैंक आफ इंडिया से 100 रुपये हर महीने का लोन लिया। इसके बाद कुछ स्कारशिप की परीक्षा देने पर कुछ स्कालरशिप की भी मदद मिली। वहीं लोन की वजह से पढ़ाई करते हुए हास्टल में रहने की हिम्मत मिली।

ये बातें भारत की मिसाइल वुमेन नाम से पहचानी जाने वालीं डीआरडीओ में वैमानिकी प्रणाली की महानिदेशक डा. टेसी थामस ने कहीं। फिक्की फ्लो संस्था द्वारा गुरुवार को डा. टेसी के साथ ‘ऊंचे लक्ष्य रखें’ कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान डा टेसी के संघर्ष और उनके जीवन को जानने के लिए चर्चा हुई। डा टेसी थामस का जन्म केरल में अप्रैल 1963 में हुआ था। पति सरोज कुमार भारतीय नौसेना में बड़े रैंक पर अधिकारी हैं। डा. टेसी थामस के बेटे तेजस ने कालीकट यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की।
पढ़ाई के लिए करना पड़ा संघर्ष
जब टेसी 13 साल की थीं तो उनके पिता को लकवा मार गया था। उनकी मां अध्यापक थीं। मां ने ही घर बाहर की सारी जिम्मेदारी उठा लीं। घर और जीवन के इन्हीं संघर्षों से दो दो हाथ करके टेसी ने गाइडेड मिसाइल्स में एमई की डिग्री और जेएनटीयू हैदराबाद से मिसाइल गाइडेंस पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उनके सपनों का आशियाना डीआरडीओ में साल 1988 में नौकरी का मौका मिल गया।
कलाम से कुछ न कुछ सीखने को मिलता रहा
टेसी ने किस्सा बताते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैंने डा. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम किया है। उन्होंने ही मुझे अग्नि परियोजना के लिए नियुक्त किया था। कलाम से हमें कुछ न कुछ सीखने को मिलता था। स्कूल-कालेज के दिनों में मैं राजनीतिक मुद्दों को लेकर काफी उत्साहित रहती थी और गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया है। खेलों में विशेष रूप से बैडमिंटन मेरा प्रिय खेल रहा है। 1988 में अग्नि मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ने के बाद से ही उन्हें अग्निपुत्री के नाम से भी जाना जाता है।
थुंबा राकेट स्टेशन के विमानों को देख आया वैज्ञानिक बनने का सपना
टेसी का घर थुंबा राकेट लाचिंग स्टेशन के पास था, इसलिए बचपन से ही मिसाइल उन्हें आकर्षित करने लगीं थीं। बताया कि विमानों को उड़ते देखकर वो बहुत उत्तेजित होती थी। बचपन से ही उनके मन में वैमानिक प्रणालियों की वैज्ञानिक बनने का सपना आकार लेने लगा था। परिवार में छह भाई-बहनों में उनकी चार बहनें और एक भाई था। उनकी मां ने मुश्किलों को दरकिनार कर सभी भाई-बहनों की शिक्षा की तरफ बहुत ध्यान दिया।
अग्नि 4 और 5 मिसाइल प्रोजेक्ट में रहीं डायरेक्टर
अग्नि 2 और अग्नि 3 में काम करने के बाद अग्नि-4 मिसाइल परियोजना की निदेशक बनीं। जिसका 2011 में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। इसके बाद उन्हें 2009 में पांच हजार किमी रेंज अग्नि-5 का परियोजना निदेशक बनाया। इसका 19 अप्रैल 2012 को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इसके बाद साल 2018 में वे डीआरडीओ में वैमानिकी प्रणाली की महानिदेशक बनीं।


