Elder Patents Proper: माता-पिता को है बच्चों से भरण पोषण पाने का अधिकार

Elder Patents Proper: माता-पिता को है बच्चों से भरण पोषण पाने का अधिकार

Elder Patents Proper: भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन जीने और बुनियादी सुविधाओं को पाने का अधिकार दिया गया है।

By Sameer Deshpande

Publish Date: Thu, 15 Feb 2024 02:47 PM (IST)

Up to date Date: Thu, 15 Feb 2024 02:51 PM (IST)

माता-पिता को है बच्चों से भरण पोषण पाने का अधिकार

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर Elder Patents Proper। भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन जीने और बुनियादी सुविधाओं को पाने का अधिकार दिया गया है। कई बार देखने में आता है कि जिन बच्चों की देखभाल और पालन पोषण पर माता-पिता अपना पूरा जीवन लगा देते हैं, अपनी जीवनभर की पूंजी खर्च कर देते हैं वे ही बच्चे सक्षम होने के बावजूद बुजुर्ग हो चुके माता-पिता की देखभाल से इन्कार कर देते हैं।

ऐसे में बुजुर्ग माता-पिता को समझ नहीं आता कि वे करें तो क्या करें। उनके पास न तो अपने भरण पोषण की व्यवस्था होती है न ही लोकलाज के चलते वे वृद्धाश्रम में रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता को अधिकार है कि वे अपने बच्चों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर भरण पोषण की मांग करें।

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बेटियों की भी जिम्मेदारी

एडवोकेट राजेश खंडेलवाल ने बताया कि माता-पिता के भरण पोषण का दायित्व केवल बेटों तक ही सीमित नहीं है बल्कि बेटियों को भी कानून ने माता-पिता के भरण पोषण की उतनी ही जिम्मेदारी दी है जितनी बेटों को दी है। माता-पिता को बच्चों से भरण पोषण दिलवाने के लिए ही माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 बनाया गया है। इसके तहत ऐसे माता-पिता जो अपनी कमाई से अपना भरण पोषण करने में सक्षम नहीं हैं वे बच्चों के खिलाफ भरण पोषण की मांग करते हुए दावा प्रस्तुत कर सकते हैं।

इस कानून के तहत दादा-दादी को भी अपने वयस्क पोते-पोती से भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। वर्ष 2019 में इस अधिनियम में संशोधन करते हुए बच्चों के साथ-साथ रिश्तेदारों को भी शामिल किया गया है। यानी इस अधिनियम के प्रविधानों के मुताबिक वरिष्ठ नागरिक, माता-पिता के भरण पोषण के लिए उनके रिश्तेदार भी जिम्मेदार ठहराए गए हैं।

इसी तरह भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के तहत भी माता-पिता को बच्चों से भरण पोषण पाने का अधिकार दिया गया है। सामान्यत: इस धारा के बारे में भ्रांति है कि इसके तहत एक पत्नी को पति से भरण पोषण पाने का अधिकार होता है लेकिन यह धारा इतनी सीमित नहीं है। इसके तहत ऐसा कोई व्यक्ति जिसके पास पर्याप्त साधन हैं और जो माता-पिता या इनमें से किसी के भरण पोषण से इन्कार करता है, तो न्यायालय अधिनियम के तहत उसे माता-पिता के भरण पोषण का आदेश दे सकता है।

इस अधिनियम में महत्वपूर्ण बात है कि इसके तहत बेटियों को भी माता-पिता के भरण पोषण के लिए उत्तरदायी माना गया है। सौतेली माता इस अधिनियम के तहत सौतेले बच्चों से भरण पोषण का दावा उसी स्थिति में प्रस्तुत कर सकती है जबकि उसके पति की मृत्यु हो गई हो और उसके कोई सगा बेटा या बेटी न हो।

इसी तरह विवाहित बेटियों पर माता-पिता के भरण पोषण का दायित्व उसी स्थिति में जब माता-पिता पूरी तरह से उन पर आश्रित हों। एक विशेष बात यह भी कि न्यायालय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत दिए गए भरण पोषण के आदेश में संशोधन भी कर सकता है। इसके लिए माता-पिता को धारा 127 के तहत आवेदन देना होता है।

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    : पिछले करीब 15 सालों से नईदुनिया अखबार के लिए खेल की रिपोर्टिंग की है। क्रिकेट विश्व कप, डेविस कप टेनिस सहित कई प्रमुख मौकों पर विशेष भूमिका में रहा। विभिन्न खेलों की कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट कव