Elder Patents Proper: भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन जीने और बुनियादी सुविधाओं को पाने का अधिकार दिया गया है।
By Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 15 Feb 2024 02:47 PM (IST)
Up to date Date: Thu, 15 Feb 2024 02:51 PM (IST)
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर Elder Patents Proper। भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन जीने और बुनियादी सुविधाओं को पाने का अधिकार दिया गया है। कई बार देखने में आता है कि जिन बच्चों की देखभाल और पालन पोषण पर माता-पिता अपना पूरा जीवन लगा देते हैं, अपनी जीवनभर की पूंजी खर्च कर देते हैं वे ही बच्चे सक्षम होने के बावजूद बुजुर्ग हो चुके माता-पिता की देखभाल से इन्कार कर देते हैं।
ऐसे में बुजुर्ग माता-पिता को समझ नहीं आता कि वे करें तो क्या करें। उनके पास न तो अपने भरण पोषण की व्यवस्था होती है न ही लोकलाज के चलते वे वृद्धाश्रम में रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता को अधिकार है कि वे अपने बच्चों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर भरण पोषण की मांग करें।
बेटियों की भी जिम्मेदारी
इस कानून के तहत दादा-दादी को भी अपने वयस्क पोते-पोती से भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। वर्ष 2019 में इस अधिनियम में संशोधन करते हुए बच्चों के साथ-साथ रिश्तेदारों को भी शामिल किया गया है। यानी इस अधिनियम के प्रविधानों के मुताबिक वरिष्ठ नागरिक, माता-पिता के भरण पोषण के लिए उनके रिश्तेदार भी जिम्मेदार ठहराए गए हैं।
इस अधिनियम में महत्वपूर्ण बात है कि इसके तहत बेटियों को भी माता-पिता के भरण पोषण के लिए उत्तरदायी माना गया है। सौतेली माता इस अधिनियम के तहत सौतेले बच्चों से भरण पोषण का दावा उसी स्थिति में प्रस्तुत कर सकती है जबकि उसके पति की मृत्यु हो गई हो और उसके कोई सगा बेटा या बेटी न हो।
इसी तरह विवाहित बेटियों पर माता-पिता के भरण पोषण का दायित्व उसी स्थिति में जब माता-पिता पूरी तरह से उन पर आश्रित हों। एक विशेष बात यह भी कि न्यायालय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत दिए गए भरण पोषण के आदेश में संशोधन भी कर सकता है। इसके लिए माता-पिता को धारा 127 के तहत आवेदन देना होता है।