Pakistan Election: पाकिस्तान में सेना और इमरान के बीच सांप-छछूंदर के हालात

Pakistan Election: पाकिस्तान में सेना और इमरान के बीच सांप-छछूंदर के हालात

1958 से लेकर अब तक पाकिस्तान ने सेना की तानाशाही और कथित लोकतंत्र के कई दौर देखे हैं।

By Navodit Saktawat

Publish Date: Tue, 06 Feb 2024 05:43 PM (IST)

Up to date Date: Tue, 06 Feb 2024 05:45 PM (IST)

1958 से लेकर अब तक पाकिस्तान ने सेना की तानाशाही और कथित लोकतंत्र के कई दौर देखे हैं।

पाकिस्तान में आठ फरवरी को चुनाव होने हैं। चुनाव हालांकि अक्तूबर-नवंबर में होने चाहिए थे लेकिन पाकिस्तान में चुनाव संविधान के अनुसार नहीं बल्कि सेना की मर्जी से होते हैं। ऐसे में इन चुनावों को फरवरी तक टाला गया। पड़ोसी देश के चुनावों में जैसा अकसर होता है, इस बार भी देश का अगला प्रधानमंत्री सेना की मर्जी से ही बनेगा। इन चुनावों को दरअसल टाला ही इसलिए गया था ताकि तब तक कभी सेना के पसंदीदा रहे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को निपटाया जा सके।

बता दें कि, 1958 से लेकर अब तक पाकिस्तान ने सेना की तानाशाही और कथित लोकतंत्र के कई दौर देखे हैं। सत्तर के दशक में जुल्फकार अली भुट्टो द्वारा पहले सेना की मदद से राजनीति में पकड़ बनाने और अंततः सेना को नाराज़ करने पर फांसी पर लटकाए जाने के बाद पाकिस्तान की सेना ऐसी हाइब्रिड सरकार चलाने में माहिर हो गई है जिसमें चेहरा नेताओं का होता है और असली ताकत सेना के पास रहती है।

इस तरह लोगों की नाराजगी और आलोचना सिविलियन नेता झेलते हैं जबकि सेना बिना किसी जिम्मेदारी के सत्ता और संसाधन का इस्तेमाल करती है। जुल्फकार भुट्टो के बाद नवाज शरीफ, आसिफ अली जरदारी और बेनजीर भुट्टो जैसे नेता सेना की इसी रणनीति के तहत कभी सेना के खासमखास रहने से लेकर सेना के नाराज होने पर जेल-निष्कासन के उतार-चढ़ाव से गुजर चुके हैं। बेनजीर भुट्टो की हत्या में सेना तानाशाह परवेज मुशर्रफ और आईएसआई की भूमिका होने तक के आरोप लगाए गए हैं।

इस पृष्ठभूमि में अगर इमरान खान का हाल देखा जाए तो अभी तक यह बिल्कुल इतिहास की पुनरावृत्ति है। इमरान खान सेना की सरपरस्ती में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा और आज सेना के नाराज़ होने पर सलाखों के पीछे जेल में है। इमरान को अब तक तीन मामलों में कुल 31 वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है।

उन्हें तोशाखाना मामले में 14 वर्ष, साइफर मामले में सरकारी गोपनीयता भंग करने के आरोप में 10 वर्ष और बुशरा बीबी के साथ इद्दत पूरी करने से पहले निकाह करने के मामले में 7 वर्ष की सजा दी गई है। इद्दत मामले में उनकी पत्नी बुशरा को भी सात वर्ष की सजा सुनाई गई है।

अभी कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री रहे इमरान खान को एक के बाद एक मामलों में सजा होना दरअसल इसका प्रमाण है कि सेना की चुनावी इंजीनयरिंग और अदालतों में पैठ कितनी मौजूद है। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्रियों का जेल जाना निहायत आम बात है, फिर भी यह मामला सेना के लिए सांप-छछूंदर जैसी हालत बन गया है। सेना अपने पुराने खासमखास को न उगल पा रही है और न ही निगल पा रही है।

भारत के दृष्टिकोण से पाकिस्तान के सभी नेता एक जैसे हैं। पड़ोसी देश के सभी नेता सत्ता में बने रहने के लिए सेना के इशारों पर नाचते हैं और जनता में लोकप्रिय बने रहने के लिए भारत विरोध और इस्लामी कट्टरता को भड़काते रहते हैं। फिर भी पाकिस्तान के नजरिए से इमरान खान का मामला अलग है।

दरअसल पाकिस्तान की सेना एक मामले में अब तक भाग्यशाली रही है। इस देश में नेताओं की साख इतनी खराब है कि तानाशाही और पर्दे के पीछे सत्ता चलाने के बावजूद आम जनता पाकिस्तान नेताओं को खलनायक और वर्दी वालों को नायक मानती रही है। इमरान ने पहली बार नेरेटिव बदला है।

सेना हालांकि इमरान को चुनावों से बाहर रखने की पूरी तैयारी कर चुकी है। उसकी पार्टी का चुनाव निशान बल्ला छीन लिया गया है और उनके समर्थक पार्टी के बजाय आजाद उम्मीदवारों के रूप में चुनाव मैदान में है। इस तरह इमरान को चुनाव से बाहर कर दिया गया है। इसके बावजूद क्रिकेटर से नेता बने पूर्व प्रधानमंत्री की लोकप्रियता बरकरार है।

इसके अलावा अब तक पाकिस्तान की दोनों अन्य प्रमुख पार्टियों के नेता सत्ता से बेदखल किए जाने पर भी सेना से सौदेबाजी करते रहे हैं। नवाज शरीफ और बेनजीर दोनों ही सेना की मर्जी से देश छोड़कर गए और सेना की हरी झंडी मिलने पर वापस लौटे।

सेना ने अब तक किसी नेता के विरोध का सामना नहीं किया है। इमरान ने यह क्रम तोड़ा है। 31 वर्ष की सज़ा सुनाए जाने, चुनाव नामांकन रद्द किए जाने, पार्टी का चुनाव चिह्न छीने जाने और कार्यकर्ताओं-उम्मीदवारों के सुनियोजित उत्पीड़न के बावजूद इमरान की तरफ से अभी तक सौदेबाजी किए जाने की कोई खबर नहीं है और न ही पूर्व क्रिकेटर ने देश छोड़ने की इच्छा जताई है।

इमरान खान की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री के एआई जेनरेटेड वीडियो को वायरल होने से रोकने के लिए देश में इंटरनेट सेवा को बंद करना पड़ा। अब तक पाकिस्तान में ब्लूचिस्तान और खैबर-पख्तूनवा जैसे इलाकों में सेना के खिलाफ गुस्सा देखा जाता था लेकिन इमरान ने पहली बार पाकिस्तान के पंजाब में आम लोगों को सेना का क्रूर चेहरा दिखाया है।

9 मई को पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हुए प्रदर्शन दरअसल इसका सुबूत है कि आज किस तरह पाकिस्तान की सेना भी आम लोगों की आलोचना और विरोध से परे नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान की सेना पहली बार ऐसे नेता से निपट रही है जो इसकी स्क्रिप्ट मानने से इनकार कर रहा है।

बहरहाल पड़ोसी देश की इस तमाम उथलपुथल के बीच पाकिस्तान की आम जनता, सेना और नेता अगर किसी एक बात पर सहमत हैं तो यह भारत-विरोध है। पाकिस्तान की इस चुनावी नौटंकी से सरकार कोई भी बने, भारत के लिए यह जरूरी है कि हम पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद और हमलों से निपटने की पूरी तैयारी रखें।

प्रेरणा कुमारी

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    वर्तमान में नईदुनिया डॉट कॉम में शिफ्ट प्रभारी हैं। पत्रकारिता में विभिन्‍न मीडिया संस्‍थानों में अलग-अलग भूमिकाओं में कार्य करने का 21 वर्षों का दीर्घ अनुभव। वर्ष 2002 से प्रिंट व डिजिटल में कई बड़े दायित्‍वों

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