ज्ञानवापी तलगृह में पूजा का मामला, इलाहाबाद हाई कोर्ट में अब 12 फरवरी को सुनवाई

ज्ञानवापी तलगृह में पूजा का मामला, इलाहाबाद हाई कोर्ट में अब 12 फरवरी को सुनवाई

Varanasi Gyanvapi Case: बुधवार को हुई सुनवाई में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को मीडिया ट्रायल से बचने की सलाह भी दी।

By Arvind Dubey

Publish Date: Wed, 07 Feb 2024 07:49 AM (IST)

Up to date Date: Wed, 07 Feb 2024 12:57 PM (IST)

मुस्लिम पक्ष ने निचली अदालत के आदेश के आनन-फानन में हुए पालन पर भी सवाल उठाया।

HighLights

  1. ज्ञानवापी के तलगृह में पूजा के अधिकार पर हाई कोर्ट में दो घंटे चली बहस
  2. मस्जिद पक्ष का दावा- बिना अर्जी ही जिला जज ने दे दिया पूजा का अधिकार
  3. मंदिर पक्ष ने कहा- जिला जज ने धारा 151के तहत विवेकाधिकार का उपयोग किया

एजेंसी, इलाहाबाद। वाराणसी ज्ञानवापी प्रकरण में बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। व्यास तलगृह में पूजा के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 2 घंटे चली सुनवाई के बाद 12 फरवरी की तारीख तय की है। मुस्लिम पक्ष की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई थी, जो बुधवार को भी जारी रही।

मुस्लिम पक्ष की शिकायत बिना अर्जी पूजा का अधिकार दिया

इससे पहले व्यासजी के तलगृह में पूजा का अधिकार देने वाले तत्कालीन जिला जज के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार को दो घंटे सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ के समक्ष मस्जिद पक्ष ने तर्क रखा कि जिला जज ने बिना अर्जी पूजा का अधिकार दिया है, तो मंदिर पक्ष ने कहा कि आग्रह पर धारा 151 के तहत विवेकाधिकार से यह आदेश जिला जज ने दिया है।

अर्जी मंजूर होने के बाद उसी पर बिना किसी अर्जी के दोबारा आदेश दिया जा सकता है, इसी कानूनी मुद्दे पर बुधवार को सुनवाई होगी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को मीडिया ट्रायल से बचने की सलाह भी दी है।

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(गोविंद देव गिरि बोले- ‘मुस्लिम काशी-मथुरा भाईचारे से दे दें, तो सब कुछ भूल जाएंगे’…पूरा बयान पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें)

आदेश के पालन पर भी सवाल

मस्जिद पक्ष की तरफ से कहा गया कि उन्हें जिला जज के 31 जनवरी के आदेश की प्रति एक दिन पहले ही मिली है। ऐसे में डीएम को जिला जज का आदेश कैसे प्राप्त हो गया, जिसका पालन उन्होंने महज सात-आठ घंटे में कर दिया?

मंदिर पक्ष ने कहा, अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद बैरिकेडिंग कर पूजा रोकी गई थी। उससे पहले यहां पूजा होती रही है। जिला जज को अधिकार है कि वह बिना किसी अर्जी के विवेकाधिकार से आदेश दे सकते हैं।

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    करियर की शुरुआत 2006 में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के हिंदी सांध्य दैनिक ‘प्रभात किरण’ से की। इसके बाद न्यूज टुडे और हिंदी डेली पत्रिका (राजस्थान पत्रिका समूह) में सेवाएं दीं। 2014 में naidunia.com से डिजिटल की

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