Jashpur Information:साहब,हम भी कोरवा हैं,लेकिन दिहाड़ी के नाम पर हम सालों से भटक रहें

Jashpur Information:साहब,हम भी कोरवा हैं,लेकिन दिहाड़ी के नाम पर हम सालों से भटक रहें

साहब,हम भी कोरवा है। हम सब पढ़े लिखे हैं। लेकिन पहाड़ी कोरवा का जाति प्रमाण पत्र ना मिलने के कारण हमें सरकारी नौकरी नहीं मिल पा रही है। अपनी समस्या को लेकर हम राजधानी रायपुर से लेकर जशपुर तक कई बार गुहार लगा चुके हैं।

By Yogeshwar Sharma

Publish Date: Tue, 06 Feb 2024 08:15 PM (IST)

Up to date Date: Tue, 06 Feb 2024 08:15 PM (IST)

जशपुरनगर । साहब,हम भी कोरवा है। हम सब पढ़े लिखे हैं। लेकिन पहाड़ी कोरवा का जाति प्रमाण पत्र ना मिलने के कारण हमें सरकारी नौकरी नहीं मिल पा रही है। अपनी समस्या को लेकर हम राजधानी रायपुर से लेकर जशपुर तक कई बार गुहार लगा चुके हैं।

लेकिन हमारी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। विशेष संरक्षित जनजाति के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा संचालित विशेष योजनाओं का लाभ ना मिलने से परेशान सैकड़ों पहाड़ी कोरवा एकजुट होकर सोमवार को कलेक्टर जनदर्शन में पहुंचे। इनका आरोप था कि पहाड़ी कोरवा का जाति प्रमाण पत्र न बनने से उन्हें सरकारी नौकरियों में पहाड़ी कोरवाओं की भांति प्राथमिकता नहीं मिल पा रही है।

जिले के मनोरा ब्लाक के गिद्वा से आए कोरवा युवक जगमल राम का कहना था कि पहाड़ी और दिहाडी कोरवा के नाम पर प्रशासनिक भेदभाव किया जा रहा है। जबकि मूल रूप से दोनों एक ही है। पहाड़ी और दिहाड़ी कोरवा के बीच पीढ़ियों से सामाजिक संबंध है। शादी ब्याह हो या धार्मिक व सामाजिक रस्मों में दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है। जगमल का कहना है कि पहाड़ी और दिहाड़ी कोरवा को लेकर गड़बड़ी की शुरूआत सन 2000 में एक निजी संस्था के माध्यम से कराए गए सर्वे से शुरू हुआ। इस सर्वे में मैदानी क्षेत्र में निवास करने वाले कोरवाओं का नाम शामिल नहीं किया गया। जिससे यह स्थिति निर्मित हुई है। वहीं मनोरा ब्लाक के बुचुकछार निवासी शत्रुघन राम का कहना था कि उनके वंशावली में पूर्वजों के नाम के साथ पहाड़ी कोरवा जुड़ा हुआ है।

लेकिन सरकारी अफसर युवा पीढ़ी को पहाड़ी कोरवा मानने के लिए तैयार नहीं है। जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सरकारी कार्यालयों में उन्हें दिहाड़ी कोरवा बताकर वापस कर दिया जाता है। आक्रोशित युवाओं का कहना था कि एक ओर जहां सरकार पहाड़ी कोरवाओं को अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्ति दे रही हैं,वहीं,उनका शिक्षा स्तर अच्छा होने के बाद विशेष संरक्षित जनजाति वर्ग के युवाओं को मिलने वाला लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। इस कारण शिक्षा से उनका मोह भंग होता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पहाड़ी कोरवा जिले के बगीचा,मनोरा,जशपुर और दुलदुला ब्लाक में बहुतायत से रहते हैं।

इनकी कम संख्या को देखते हुए केन्द्र सरकार ने इन्हें विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा दिया हुआ है। पहाड़ी कोरवाओं का मूल काम शिकार करना है। तीर धनुष इनकी विशेष पहचान होती है। पूर्व में यह जनजाति घने जंगलों के बीच रहा करती थी। इस कारण ये जनजाति आर्थिक,सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ते गए। इन्हें विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए पहाड़ी कोरवा और बिरहोर विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। इस प्राधिकरण का मुख्यालय जशपुर में बनाया गया है। यह प्राधिकरण फिलहाल आदिवासी विकास विभाग के अधीन काम कर रहा है।

वर्जन

केंद्र सरकार ने 1950 में पहाड़ी और दिहाड़ी कोरवा का चिन्हांकन किया था। इसके आधार पर ही विशेष संरक्षित पहाड़ी कोरवाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ और सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जा रही है। ताकि,उन्हें विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके।

पीसी लहरे सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग,जशपुर

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