Frequent civil code आखिर देश में Frequent Civil Code को लेकर चर्चा क्यों गर्म है और इसका आपके जीवन पर क्या असर हो सकता है,
By Sandeep Chourey
Publish Date: Mon, 19 Jun 2023 12:49 PM (IST)
Up to date Date: Tue, 06 Feb 2024 12:20 PM (IST)
HighLights
- देश में यदि समान नागरिक संहिता लागू होती है तो सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को होगा।
- महिलाओं को समान हक मिलने से उनकी स्थिति में सुधार होगा।
- अनुच्छेद-44 के अलावा संविधान की प्रस्तावना में भी ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ का जिक्र किया गया है।
Frequent civil code। भाजपा ने समय-समय पर चुनावी घोषणा पत्रों में समान नागरिक संहिता का जिक्र किया है। आज उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता बिल पेश कर दिया गया है। विपक्ष के तीखे विरोध के बीच आज ही उत्तराखंड विधानसभा में Frequent Civil Code बिल पर चर्चा होगी। आखिर देश में Frequent Civil Code को लेकर चर्चा क्यों गर्म है और इसका आपके जीवन पर क्या असर हो सकता है, इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय –
समान नागरिक संहिता क्या है
संविधान में अनुच्छेद-44 में जिक्र
संविधान निर्माताओं ने संविधान में अनुच्छेद 44 में भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का प्रावधान लागू करने की बात कही गई है। अनुच्छेद-44 के अलावा संविधान की प्रस्तावना में भी ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ का जिक्र किया गया है।
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देश में समान नागरिक कानून को लेकर चुनौतियां
भारत में एक कहावत प्रचलित है कि ‘कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी’। दरअसल भारत में विविधता से भरे समाज व धर्म अलग-अलग रीति रिवाज के कारण एक समान कानून व्यवस्था पर आम सहमति बनना काफी चुनौतीपूर्ण है। उत्तर भारत के हिंदुओं के रीति-रिवाज दक्षिण भारत के हिंदुओं से बहुत अलग हैं। वहीं उत्तर-पूर्व भारत में भी स्थानीय रीति-रिवाजों को मान्यता दी जाती है। मुसलमानों के पर्सनल लॉ बोर्ड और ईसाइयों के भी अपने पर्सनल लॉ हैं। मुस्लिम समुदाय में पुरुषों को कई शादी करने की इजाजत है, वहीं हिंदू अधिनियम में इस पर पाबंदी है। ऐसे में समान नागरिक संहिता लागू हो जाती है तो देश में सभी लोगों के लिए एक समान कानून व्यवस्था लागू हो जाएगी।
समान नागरिक संहिता: गोवा क्यों बना मिसाल
समान नागरिक संहिता को लेकर देश में भले ही विवाद की स्थिति हो, लेकिन इस मामले में गोवा देश के लिए मिसाल बना हुआ है। गोवा में साल साल 1965 से ही समान नागरिक कानून लागू है। गोवा में उत्तराधिकार, दहेज और विवाह के संबंध में हिन्दू, मुस्लिम और क्रिश्चियन सभी अन्य धर्मों के लिए पूरे राज्य में एक ही कानून लागू है। वहीं गोवा में यदि कोई मुस्लिम अपनी शादी का पंजीयन कराता है तो उसे बहुविवाह करने की अनुमति नहीं है। गोवा में जन्मा कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा विवाह नहीं कर सकता है। यही कारण है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समान नागरिक संहिता का विरोध कर रहा है। यदि देशभर में Frequent Civil Code लागू हो जाता है तो मुसलमानों को 3 शादियां करने का अधिकार नहीं रहेगा।
समान नागरिक संहिता लागू होने पर आप पर असर
– देश में यदि समान नागरिक संहिता लागू होती है तो सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को होगा। महिलाओं को समान हक मिलने से उनकी स्थिति में सुधार होगा।
– महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव खत्म होगा और विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संरक्षण से संबंधित मामलों में समान अधिकार प्राप्त होगा।
– समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून व्यवस्था रहेगी। यह कानून में भेदभाव या असंगति के जोखिम को कम करेगी।
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कई मीडिया संस्थानों में कार्य करने का करीब दो दशक का अनुभव। करियर की शुरुआत आकाशवाणी केंद्र खंडवा से हुई। महाराष्ट्र में फील्ड रिपोर्टिंग, भोपाल दूरदर्शन, ETV न्यूज़ सहित कुछ रीजनल न्यूज चैनल में काम करके इलेक् …