MP Information: मोहन सरकार लेगी निर्णय, पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के समय नहीं मिल पाई थी मंजूरी।
By Sourabh Soni
Publish Date: Tue, 06 Feb 2024 04:00 AM (IST)
Up to date Date: Tue, 06 Feb 2024 04:00 AM (IST)
HighLights
- मध्य प्रदेश में मानव-वन्यप्राणी द्वंद्व की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
- पिछले पांच वर्षों में वन्यप्राणियों के हमलों में 292 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
- जंगल के भीतर महुआ बीनने और तेंदूपत्ता तोड़ने वाले इनके सर्वाधिक शिकार होते हैं।
MP Information: सौरभ सोनी, भोपाल। मध्य प्रदेश में वन्यजीवों के हमलों से परिवार के मुखिया की मौत होने पर राज्य सरकार स्वजन को पेंशन देने की तैयारी कर रही है। यह पेंशन पांच साल तक देने पर विचार किया जा रहा है। वन मुख्यालय द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
दरअसल, यह प्रस्ताव शिवराज सरकार में बनाया गया था। तत्कालीन वाइल्ड लाइफ वार्डन जसवीर सिंह चौहान ने इसका प्रस्ताव तैयार किया था। इसके साथ ही मुआवजे की राशि चार लाख रुपये से बढ़ाकर आठ रुपये करने का भी प्रस्ताव था।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आठ लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की थी। यह व्यवस्था लागू भी कर दी गई है, लेकिन पांच साल तक पेंशन देने के प्रस्ताव पर तब सहमति नहीं बन सकी थी। अब मोहन सरकार में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा।
वन्यजीवों के हमलों में पांच वर्षों में 292 लोगों की हुई मौत
मध्य प्रदेश में मानव-वन्यप्राणी द्वंद्व की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पिछले पांच वर्षों में वन्यप्राणियों के हमलों में 292 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन मामलों में स्वजन को मुआवजा दिया गया है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जंगल में वन्यजीवों के लिए पानी का इंतजाम, रेस्क्यू टीम का गठन जैसे कई प्रयास भी किए गए हैं, पर घटनाएं रुक नहीं रही हैं। इसे लेकर विधानसभा में भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। वर्ष 2020 में बाघ के हमलों में सबसे ज्यादा आठ मौतें हुई थीं।
महुआ बीनने और तेंदूपत्ता तोड़ने वाले होते हैं सर्वाधिक शिकार
बाघ-तेंदुआ सहित अन्य मांसाहारी वन्यप्राणियों के जंगल से बाहर निकलने की घटनाएं बढ़ रही हैं। खासकर गर्मी के दिनों में पानी की तलाश में वन्यप्राणी जंगल से बाहर निकलते हैं और नजदीकी बस्ती में पहुंच जाते हैं। इस मौसम में महुआ और तेंदूपत्ता भी तोड़ा जाता है। इसलिए मानव और वन्यप्राणी द्वंद्व की घटनाएं बढ़ जाती हैं। जंगल के भीतर महुआ बीनने और तेंदूपत्ता तोड़ने वाले सर्वाधिक शिकार होते हैं।