Waheeda Rehman Birthday Attention-grabbing Info; Kamaljeet | Dev Anand | 86 की उम्र, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी करती हैं वहीदा रहमान: मजबूरी में हीरोइन बनीं, स्लीवलेस न पहनने की शर्त पर साइन करती थीं फिल्में

Waheeda Rehman Birthday Attention-grabbing Info; Kamaljeet | Dev Anand | 86 की उम्र, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी करती हैं वहीदा रहमान: मजबूरी में हीरोइन बनीं, स्लीवलेस न पहनने की शर्त पर साइन करती थीं फिल्में

57 मिनट पहलेलेखक: ईफत कुरैशी

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मशहूर वेटरन एक्ट्रेस वहीदा रहमान आज 86 साल की हो चुकी हैं। उम्र के इस पड़ाव में वहीदा अपना सालों पुराना फोटोग्राफी का शौक पूरा कर रही हैं, वहीं वो इस उम्र में स्कूबा डाइविंग तक करना चाहती हैं। पद्मश्री, पद्मभूषण और दादा साहेब फाल्के जैसे बड़े सम्मान हासिल कर चुकीं वहीदा जी, महज 17 साल की उम्र से हिंदी सिनेमा का हिस्सा हैं। कभी डॉक्टर बनने का सपना देखने वालीं वहीदा एक मजबूरी के चलते फिल्मों में आईं और सीआईडी, प्यासा, कागज के फूल, नीलकमल, चौदहवीं का चांद जैसी कई सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा बनीं, लेकिन अपनी शर्तों पर।

जब गुरु दत्त, राज खोसला जैसे बेहतरीन फिल्ममेकर के साथ काम करने के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को राजी हो जाते थे, तब 17 साल की वहीदा ने उनसे अपनी 3 शर्तें मनवाई थीं। पहली शर्त कि कभी पर्दे पर रिवीलिंग या छोटे कपड़े नहीं पहनेंगी, दूसरी कि वो अपना नाम नहीं बदलेंगी और तीसरी, मां हमेशा सेट पर उनके साथ रहेंगी।

हुनर इस कदर था कि उनकी शर्तें भी आसानी से मान ली जाती थीं, जिनकी पैरवी देव आनंद जैसे कई बड़े सितारे भी कर चुके हैं।

आज जन्मदिन के खास मौके पर पढ़िए वहीदा रहमान की जिद, हुनर और कामयाबी की कहानी-

3 फरवरी 1938 को वहीदा रहमान का जन्म चेंगलपट्टू, तमिलनाडु में जिला कमिश्नर अब्दुर रहमान और मुमताज बेगम के घर हुआ। वो चार बहनों में सबसे छोटी थीं।

मुस्लिम होने पर गुरुजी ने कर दिया था भरतनाट्यम सिखाने से इनकार

वहीदा रहमान को बचपन से ही भरतनाट्यम सीखने में दिलचस्पी थी। वहीदा ने जिद की तो उनकी मां उन्हें चेन्नई ले गईं। चेन्नई में जब वो एक गुरुजी के पास पहुंचीं, तो मुस्लिम होने पर गुरुजी ने उन्हें सिखाने से इनकार कर दिया। जब वहीदा जिद पर अड़ी रहीं, तो गुरुजी ने उनसे कुंडली लाने को कहा।

कुंडली देखकर गुरु जी ने की थी भविष्यवाणी

मुस्लिम होने पर वहीदा के पास कुंडली नहीं थी, ऐसे में गुरुजी ने खुद उनकी कुंडली बनाई थी। जैसे ही गुरुजी ने उनकी कुंडली देखी तो वो हैरान रह गए। उन्होंने कहा था, तुम मेरी आखिरी और सबसे बेहतरीन शिष्य बनोगी।

पिता की मौत के बाद डॉक्टर बनने का सपना टूटा, मजबूरी में बनीं हीरोइन

कुछ समय बाद वहीदा के पिता का ट्रांसफर विशाखापट्टनम हो गया, तो उन्होंने वहीं के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल से पढ़ाई पूरी की। स्कूल के दिनों में वहीदा ने ठान लिया था कि वो डॉक्टर बनेंगी। इसके लिए वो जमकर पढ़ाई करती थीं, लेकिन कुछ समय बाद ही उनका सपना टूट गया। महज 13 साल की थीं, जब अचानक पिता की मौत हो गई और मां भी अक्सर बीमार रहने लगीं।

पिता की मौत के बाद घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी, ऐसे में उन्होंने अपने भरतनाट्यम के हुनर का इस्तेमाल कर रीजनल सिनेमा में छोटे-मोटे रोल करना शुरू कर दिया। कुछ पहचान वालों की मदद से उन्हें 1955 की तेलुगु फिल्म रोजुलु मरायी के एक गाने में छोटा का रोल मिला था, जिसके बाद वो कुछ तेलुगु फिल्मों में नजर आई थीं।

गुरु दत्त की नजर पड़ते ही स्टार बनीं वहीदा रहमान

वहीदा की पहली फिल्म रोजुलु मरायी का प्रीमियर हैदराबाद में हुआ था, जहां हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के नामी फिल्ममेकर गुरु दत्त भी मौजूद थे। प्रीमियर में गुरु दत्त ने जैसे ही वहीदा का अभिनय देखा, तो वो बेहद इंप्रेस हुए। मुलाकात के दौरान उन्होंने वहीदा को मुंबई आने का ऑफर दे दिया। मुंबई पहुंचते ही उन्हें गुरु दत्त के असिस्टेंट रहे राज खोसला की फिल्म सीआईडी में देव आनंद के साथ लीड रोल दे दिया गया। वहीदा रहमान, बचपन से ही देव आनंद की फैन थीं।

हिंदी फिल्मों में आने के लिए 3 बड़ी शर्तों पर अड़ गई थीं वहीदा

हिंदी सिनेमा के शुरुआती दशकों में ज्यादातर कलाकारों के नाम फिल्मों में आने से पहले बदल दिए जाते थे। ठीक वैसे ही जैसे यूसुफ खान दिलीप कुमार बने और महजबीं बनीं मीना कुमारी। गुरु दत्त और राज खोसला चाहते थे कि वहीदा रहमान का भी नाम फिल्मों के लिए बदल दिया जाए। एक मीटिंग के दौरान गुरु दत्त और राज खोसला ने वहीदा रहमान से कहा- वहीदा नाम सेक्सी नहीं है, अगर आपको फिल्म में काम करना है तो नाम बदलना पड़ेगा।

जवाब में वहीदा रहमान ने कहा- ये नाम मुझे मेरे माता-पिता ने दिया है और मैं इसी के साथ पहचान बनाऊंगी।

मनमुटाव के बाद राज खोसला और गुरु दत्त वहीदा का नाम न बदलने की शर्त पर राजी हो गए, लेकिन इसके बाद उन्होंने एक और शर्त सामने रख दी।

वो शर्त थी कि शूटिंग के दौरान मेरी मां सेट पर आएंगी। राज खोसला को इससे कोई ऐतराज नहीं था, तो वो झट से राजी हो गए, लेकिन फिर वहीदा रहमान ने तीसरी शर्त भी सामने रख दी- मैं फिल्मों में अपनी कॉस्ट्यूम खुद फाइनल करूंगी और किसी के कहने पर छोटे कपड़े या बिकिनी नहीं पहनूंगी।

वहीदा की एक के बाद एक शर्त सुनते हुए राज खोसला चिढ़ गए। उन्होंने गुरु दत्त से कहा, तुमने इस लड़की को साइन किया है या इस लड़की ने तुम्हे।

आखिरकार बात बन गई और वहीदा रहमान को फिल्म सीआईडी में कास्ट कर लिया गया। वहीदा रहमान उस समय न्यूकमर थीं, जबकि देव आनंद एक स्टार कहे जाते थे। सेट पर पहले दिन जब वहीदा रहमान ने देव आनंद को आते देखा, तो पास जाकर बड़े अदब से कहा, गुड मॉर्निंग मिस्टर आनंद।

ये सुनते ही देव आनंद ने उन्हें टोकते हुए कहा, मिस्टर आनंद कौन है, मुझे सिर्फ देव कहो। फॉर्मल होने की जरूरत नहीं है, इससे हमारी केमिस्ट्री में फर्क पड़ेगा।

रील ही नहीं रियल लाइफ में भी कभी नहीं पहने स्लीवलेस कपड़े

वहीदा का मानना था कि उनका शरीर रिवीलिंग कपड़ों के लिए मुनासिब नहीं हैं। फिल्में तो दूर की बात, वहीदा ने कभी असल जिंदगी में भी स्लीवलेस कपड़े नहीं पहने। वहीदा का चार्म और हुनर ऐसा था कि फिल्ममेकर्स उनकी इस शर्त से राजी हो जाया करते थे। वहीदा अपनी सादगी के लिए जानी गईं, जबकि उस जमाने में एक्ट्रेसेस मॉडर्न नजर आने की कोशिश में रहती थीं।

साथ काम करते हुए सादगी के दीवाने हो गए थे गुरु दत्त

वहीदा रहमान को हिंदी फिल्मों से जोड़ने का क्रेडिट गुरु दत्त को दिया जाता है। वहीं वहीदा भी उन्हें अपना मेंटर मानती थीं। फिल्म सीआईडी के सेट पर ही वहीदा रहमान और गुरु दत्त नजदीक आ गए थे, जबकि गुरु दत्त पहले से शादीशुदा थे।

पहली ही फिल्म सीआईडी से वहीदा रहमान ने देशभर में पहचान बना ली, जिसके बाद गुरु दत्त ने उन्हें फिल्म प्यासा में कास्ट किया। इस फिल्म में वहीदा के हीरो दिलीप कुमार होने वाले थे, लेकिन गुरु दत्त, वहीदा की सादगी के इस कदर दीवाने थे कि उन्होंने दिलीप कुमार की जगह खुद को हीरो बना लिया। वहीदा रहमान पर फिल्माए जाने वाले सीन खुद गुरु दत्त लिखा करते थे। फिल्म प्यासा में वहीदा रहमान ने प्रॉस्टिट्यूट की भूमिका निभाकर अपने हुनर से खुद को टॉप एक्ट्रेसेस के बीच स्थापित कर लिया।

प्यासा के बाद वहीदा, गुरु दत्त के साथ 12 O’clock, कागज के फूल और चौदहवीं का चांद जैसी सुपरहिट फिल्मों में नजर आईं। वहीदा से शादी करने के लिए गुरु दत्त अपना धर्म बदलने के लिए भी तैयार थे, लेकिन जब दोनों की नजदीकियों की खबर गुरु दत्त की पत्नी गीता तक पहुंची, तो उन्होंने बच्चों के साथ घर छोड़ दिया।

पत्नी छोड़ गई तो गुरु दत्त ने वहीदा से बना ली दूरी

शादी टूटने के डर से 1963 में गुरु दत्त ने वहीदा से मिलना-जुलना पूरी तरह बंद कर दिया। वहीदा को गुरु दत्त के पास जाने की इजाजत भी नहीं होती थी। हालांकि, इस कुर्बानी के बावजूद भी गुरु दत्त का परिवार उनके पास नहीं लौटा। परिवार से अलग होने के बाद वो, शराबी बन गए थे। अकेले रहते हुए 1964 में शराब के ओवरडोज से उनका निधन हो गया।

60 के दशक की सबसे बेहतरीन एक्ट्रेस थीं वहीदा

गुरु दत्त की टीम से अलग होने के बाद वहीदा ने सत्यजीत रे की फिल्म अभिजान (1962) में काम किया और बैक-टु-बैक कोहरा, बीस साल बाद जैसी सुपरहिट फिल्में दीं। 1960 का दशक वहीदा के करियर का पीक था। वहीदा हिट पर हिट देने वाली सबसे बेहतरीन एक्ट्रेस बन चुकी थीं। वो सबसे ज्यादा फीस लेने वाली टॉप एक्ट्रेसेस में से एक बन गईं।

अंग्रेजी न आने पर गाइड से निकाली गईं, देव आनंद की जिद के आगे झुके मेकर्स

वहीदा रहमान की पॉपुलैरिटी देखते हुए उन्हें 1965 की फिल्म गाइड में कास्ट किया गया था। रोजी एक क्रिश्चियन लड़की का किरदार था। लेकिन जब डायरेक्टर विजय आनंद (देव आनंद के भाई) को पता चला कि वहीदा को अंग्रेजी नहीं आती, तो उन्हें फिल्म से निकाल दिया गया। वहीदा को फिल्म से निकाले जाने के बाद फिल्म के लीड हीरो देव आनंद जिद पर अड़ गए कि वो तब ही फिल्म करेंगे, जब वहीदा रहमान रोजी का रोल प्ले करेंगी। आखिरकार देव आनंद जैसे स्टार की जिद के आगे उनके भाई को झुकना पड़ा और फिल्म गाइड में वहीदा को लीड रोल दिया गया। इसी फिल्म के लिए वहीदा को करियर का पहला फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला था।

1974 में शादी के बाद बनाई फिल्मों से दूरी

1964 की फिल्म शगुन की शूटिंग के दौरान वहीदा रहमान की शशि रेखी से पहली मुलाकात हुई थी। शशि रेखी एक एक्टर थे, जिन्हें कमलजीत नाम से पहचाना जाता था। चंद सालों तक रिलेशनशिप में रहने के बाद दोनों ने 1974 में शादी कर ली। इस शादी से कपल के दो बच्चे सोहेल रेखी और काशवी रेखी हैं। वहीदा रहमान के दोनों बच्चे जाने-माने राइटर हैं। शादी के ठीक बाद वहीदा रहमान ने फिल्मों में काम करना लगभग बंद कर दिया। कुछ समय बाद जब उन्होंने फिल्मों में वापसी करना चाहा, तो उन्हें साइड रोल दिए जाने लगे।

फिल्म कभी कभी, लम्हे, चांदनी और नमकीन के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर नॉमिनेशन मिला था।

1991 में किया फिल्मों से दूरी बनाने का फैसला

साल 1991 में रिलीज हुई अनिल कपूर और श्रीदेवी स्टारर फिल्म लम्हे में दाई जान का रोल प्ले करने के बाद वहीदा रहमान ने फिल्मों से रिटायरमेंट ले लिया।

कभी खुशी कभी गम से करने वाली थीं वापसी, पति की मौत के बाद छोड़ी फिल्म

1991 में आई फिल्म लम्हे के सालों बाद वहीदा रहमान ने करण जौहर की फिल्म कभी खुशी कभी गम साइन की थी। इस फिल्म में वहीदा रहमान, अमिताभ बच्चन की मां का रोल प्ले करने वाली थीं। उन पर फिल्म के कई सीन फिल्माए जा चुके थे, लेकिन फिर नवंबर 2000 में हुई पति की मौत के बाद उन्होंने फिल्म छोड़ दी। वहीदा के बाद ये रोल अचला सचदेव को दिया गया था।

कुछ सालों बाद वहीदा रहमान ने 2002 की फिल्म ओम जय जगदीश से एक्टिंग कमबैक किया था। आगे वो रंग दे बसंती, दिल्ली 6 जैसी फिल्मों में भी नजर आईं। उनकी आखिरी रिलीज फिल्म 2021 की स्केटर गर्ल है।

86 की उम्र में भी पूरे कर रही हैं शौक

वहीदा को हमेशा से ही फोटोग्राफी का शौक था। शौक पूरा करने के लिए वहीदा अपनी फिल्मों के सेट पर भी कैमरा साथ ले जाया करती थीं, लेकिन प्रोफेशनली कभी फोटोग्राफी पर ध्यान नहीं दे पाईं, लेकिन अब फिल्मों से दूरी बनाने के बाद वहीदा अपना यही शौक पूरा कर रही हैं। 80 साल की उम्र में वहीदा ने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी शुरू की है। एक्ट्रेस अक्सर समय निकालकर जंगलों में समय बिताती हैं।

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