Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में कोर्ट के फैसले से सपा दुखी, रामगोपाल ने उठाए सवाल

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में कोर्ट के फैसले से सपा दुखी, रामगोपाल ने उठाए सवाल

ज्ञानवापी मामले में बुधवार को वाराणसी की अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाने में पूजा की इजाजत दे दी थी। अदालत के इस फैसले से समाजवादी पार्टी खुश नहीं है।

By Anurag Mishra

Publish Date: Fri, 02 Feb 2024 04:46 PM (IST)

Up to date Date: Fri, 02 Feb 2024 04:49 PM (IST)

ज्ञानवापी मामले में कोर्ट के फैसले से सपा दुखी।

एजेंसी, नई दिल्ली। ज्ञानवापी मामले में बुधवार को वाराणसी की अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास जी के तहखाने में पूजा की इजाजत दे दी थी। अदालत के इस फैसले से समाजवादी पार्टी खुश नहीं है। सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने इस पर सवाल उठा दिए हैं।

‘सही फैसला नहीं सुनाती अदालतें’

रामगोपाल यादव ने इस फैसले पर कहा कि कई बार देखा गया है कि अदालते सही फैसला नहीं सुनाती हैं। अदालत के कई आदेशों का विरोध हुआ है। उनके फैसलों और उसकी नीयत पर भी सवाल उठाए गए हैं। अब यह तो हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या अदालतों के फैसले हर बार ठीक ही होते हैं।

रामगोपाल यादव से पत्रकारों ने पूछा कि इस पर विस्तार से बताइए, तो उन्होंने कहा कि अदालतों के फैसलों में उंगली नहीं उठाई जा सकती है, लेकिन यह बिल्कुल ही सही है ऐसा भी नहीं है। हर फैसले के दो पहलू होते हैं, यह एक के लिए सही तो दूसरे के लिए गलत है। उसके बाद उन्होंने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला सर्वमान्य होगा।

फैसले के बाद मिला इनाम

हम जानते हैं एक फैसले आया था। उसके बाद कोई राज्यसभा पहुंच गया। किसी को आयोग का अध्यक्ष बना दिया जाएगा। यह ही होता रहा है।

जल्दबाजी में दिया फैसला: सैफुल्ला रहमानी

उधर, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी अदालत के फैसले पर एतराज जताया है। बोर्ड के अध्यक्ष सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि ज्ञानवापी में कोर्ट के फैसले के बाद जो भी हो रहा है, उससे मुस्लिमों को तो धक्का लगा ही है। अमन पसंद लोग भी बहुत परेशान हैं। अदालत को फैसले से पहले विचार करना चाहिए। यह फैसला जल्दबाजी में दिया गया है।

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    अनुराग मिश्रा नईदुनिया डिजिटल में सब एडिटर के पद पर हैं। वह कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में माहिर और पत्रकारिता में लगभग 3 साल का अनुभव है। अनुराग मिश्रा नईदुनिया में आने से पहले भास्कर हिंदी और दैन

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