Ujjain Information: उज्जैन की वायु गुणवत्ता भी खराब है। वजह, पौधारोपण के लिए आरक्षित जमीनों पर अतिक्रमण होना है।
By Prashant Pandey
Publish Date: Wed, 31 Jan 2024 03:09 PM (IST)
Up to date Date: Wed, 31 Jan 2024 03:15 PM (IST)
HighLights
- महाकुंभ सिंहस्थ- 2016 के बाद से ये सागर उपेक्षित हैं।
- स्कंद पुराण के अवंति खंड में सप्त सागरों का वर्णन मिलता है।
- भूमि से अतिक्रमण हटाने और सागर के पानी को स्वच्छ रखने के निर्देश दिए।
Ujjain Information: नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उज्जैन नगर निगम पर तीन करोड़ रुपये की पेनल्टी लगाई है। पेनल्टी 15 दिन में चुकाने को बकायदा नोटिस भेजा गया है। मामला धार्मिक एवं पौराणिक महत्व के प्राचीन सप्त सागरों को प्रदूषण और अतिक्रमण मुक्त करने को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में दायर जनहित याचिका पर 5 मई 2022 को सुनाए 76 पेज के फैसले और दिए निर्देशों का पालन न किए जाने से जुड़ा है।
स्कंद पुराण के अवंति खंड में सप्त सागरों का वर्णन मिलता है। किवदंति है कि शिप्रा नदी को बारहमास जल से संपन्न रखने को प्राचीनकाल में सप्त सागरों (रूद्र सागर, रत्नाकर सागर, गोवर्धन सागर, पुरुषोत्तम सागर, पुष्कर सागर, विष्णु सागर तथा क्षीर सागर) का निर्माण किया गया था। महाकुंभ सिंहस्थ- 2016 के बाद से ये सागर उपेक्षित हैं।
बीच के कुछ वर्षों में विष्णु सागर और रूद्रसागर को संवारने की कोशिश जरूर की गई मगर ये कोशिशें पूरी तरह कारगर साबित न हुई। परिणाम स्वरूप उज्जैन के बाकिरअली रंगवाला ने मुख्य सचिव, कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त को पार्टी बना अपील दायर की। अपील में लिखा कि सप्त सागरों में शुमार 36 बीघा जमीन पर फैले गोवर्धन सागर और उसके आसपास की जमीन पर अतिक्रमण है। कई निजी व्यक्तियों और हाउसिंग सोसायटियों ने तालाब के किनारे अतिक्रमण कर लिए हैं।
इससे तालाब का जल प्रदूषित हो रहा है। जल संसाधन में भी कमी आ रही है। सारे अतिक्रमण हटाकर गोवर्धन सागर सहित सभी सप्त सागरों का सुंदरीकरण किया जाना चाहिए। जल स्वच्छ रखने का बंदोबस्त किया जाना चाहिए। एनजीटी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद शासन-प्रशासन के अधिकारियों को राज्य की सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने और सागर के पानी को स्वच्छ रखने के निर्देश दिए।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि जल संरचना में कोई ठोस अपशिष्ट न मिलें। निर्देश के पालन में उज्जैन स्मार्ट सिटी कंपनी ने रूद्र सागर में बेगमबाग क्षेत्र के नालों का गंदा पानी मिलने से रोका। सागर में नर्मदा-शिप्रा का स्वच्छ पानी पाइपलाइन के जरिये भरने का इंतजाम किया। मगर शेष सागरों का जल स्वच्छ और किनारा आकर्षक बनाने की योजना को कागजों में ही दफन रखा। प्रकरण में अब अफसरों का कहना है कि गोवर्धन सागर का सुंदरीकरण 10 करोड़ रुपये से करने निविदा दर स्वीकृति की फाइल महापौर मुकेश टटवाल के पास जमा है।
साढ़े पांच करोड़ रुपये से विष्णु सागर और एक करोड़ रुपये से पुरुषोत्तम सागर का सुंदरीकरण करने को डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है। निविदा आमंत्रित करने की तैयारी की जा रही है। सप्त सागर से भिन्न विक्रम सरोवर का कायाकल्प साढ़े तीन करोड़ रुपये से करने को भी निविदा निकालने की तैयारी है। ये सारा काम अमृत मिशन 2.0 अंतर्गत कराया जाएगा। रहा सवाल पेनल्टी का तो इसे हटाने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष अपील दायर की जाएगी। अपील के साथ गोवर्धन सागर, विष्णु सागर, पुरुषोत्तम सागर और विक्रम सरोवर के सुंदरीकरण की योजना और इसके क्रियान्वयन के लिए प्रचलित वर्तमान स्थिति की जानकारी साझा की जाएगी।
शिप्रा का पानी भी प्रदूषित, किनारों पर अतिक्रमण
मोक्षदायिनी शिप्रा नदी का पानी भी प्रदूषित है और किनारे पर अतिक्रमण है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 के बाद तो शिप्रा की स्थिति ओर खराब हुई है। एक जनहित याचिका पर पिछले वर्ष एनजीटी ने चार जिलों (उज्जैन, इंदौर, देवास, रतलाम) के कलेक्टरों से शिप्रा में उपलब्ध जल में व्याप्त प्रदूषण, कैचमेंट एरिया में हुए अतिक्रमण और सुधार के लिए प्रचलित एवं स्वीकृत योजनाओं की ताजा रिपोर्ट मांगी थी और सुधार के निर्देश दिए थे। हालांकि इस दिशा में धरातल पर अब तक कोई कदम न उठा।
वायु गुणवत्ता भी खराब, क्योंकि पौधारोपण के लिए आरक्षित जमीनों पर है अतिक्रमण
उज्जैन की वायु गुणवत्ता भी खराब है। वजह, पौधारोपण के लिए आरक्षित जमीनों पर अतिक्रमण होना है। एक रिपोर्ट के अनुसार उज्जैन जिले में 142 विभिन्न स्थानों पर वृहद पौधारोपण के लिए 422 हेक्टेयर जमीन आरक्षित है, जिन पर अतिक्रमण है। इन जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए सालभर पहले पर्यावरणप्रेमी संस्था वाइल्ड ट्रस्ट आफ इंडिया के सदस्य हकीमुद्दीन अस्कोफेनवाला ने एनजीटी में जनहित याचिका दायर की थी।
प्रकरण में कहा था कि 399 विभिन्न स्थानों पर प्रशासन अब तक पौधारोपण नहीं करवा पाया है। अपील दायर होने के बाद वन मंडलाधिकारी ने कलेक्टर से आठ गांव की 128.11 हेक्टेयर जमीन पौधारोपण के लिए मांगी थी। इसके पालन में प्रशासन ने घटि्टया तहसील सोडंग गांव में पौधारोपण के लिए आरक्षित दो करोड़ 80 लाख रुपये की 11.96 हेक्टेयर सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराई थी। स्थिति ये है कि वहां अब भी पौधारोपण नहीं हो सका है। शेष भूमि पर अब भी अतिक्रमण है। मंगलवार को उज्जैन का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 152 था।
नदियों को बहने दिया जाए- आदर्श कुमार गोयल
एनजीटी के अध्यक्ष रहे आदर्श कुमार गोयल ने ‘नईदुनिया’ को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘जल संरक्षण का सर्वश्रेष्ठ उपाय है कि पीने के पानी में कोई भी गंदा पानी न मिलने दिया जाए। नदियों को बहने दिया जाए। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए बने नियम का पालन कराया जाए।’