Khandwa Information: परिणाम अच्छे मिलने पर गांव के सौ किसानों को दो-दो लीटर कीटनाशक दवाई दी।
By Prashant Pandey
Publish Date: Tue, 30 Jan 2024 04:04 PM (IST)
Up to date Date: Tue, 30 Jan 2024 04:07 PM (IST)
Khandwa Information: नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा। रसायनिक उर्वरक और कीटनाशक दवाइयों के उपयोग से जमीन की उर्वरक क्षमता कम हो रही है। इनके प्रयोग से किसानों की लागत भी ज्यादा आती है। रसायनिक खाद, दवाइयों के उपयोग के कारण ही वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। किसानों की लागत कम करने, वातावरण को शुद्ध करने और जमीन की उर्वरक क्षमता को बनाए रखने का विचार श्रीगणेश स्व सहायता समूह की महिलाओं को आया।
ग्रामीण आजाविका मिशन के परियोजना अधिकारी सुनील खोटे ने महिलाओं को इस विचार को मूर्त रूप देने का सोचा और वैज्ञानिकों की मदद से महिलाओं को जैविक कीटनाशक बनाने की ट्रेनिंग दी गई। महिलाओं ने पेड़-पौधे, जंगली पत्तियां, महुआ, अकाव आदि के प्रयोग से मात्र 30 रुपये की लागत में एक लीटर जैविक कीटनाशक तैयार कर लिया।
इसे प्रयोग करने के लिए अस्तियां गांव के 100 किसानों को दो-दो लीटर कीटनाशक दी गई। किसानों ने इस जैविक कीटनाशक का उपयोग अपने खेतों में किया। जिसका उन्हें अच्छा परिणाम मिला और इसी के साथ महिलाओं का प्रयोग भी सफल हो गया। महिलाओं ने अब इस काम को बड़े स्तर पर करना शुरू किया है। महिलाओं का कहना है कि अब जैविक कीटनाशक का उत्पादन बढ़ाकर इसे निर्यात किया जाएगा।
पांच जंगली पत्तियों से बनाई कीटनाशक
जैविक कीटनाशक में जंगली पत्तियों का उपयोग किया गया। जो आसानी से मिल जाती है। जिसमें बेशर्म, आकव, नीम, धतूरा, और कनेर के फूल का इस्तेमाल कर इन्हें एक ड्रम में डालकर गोमूत्र और महुआ मिलाया जाता है। जो मात्र तीस रुपये में एक लीटर बनाकर तैयार की जा रही है। जो बाजार की कीटनाशक की तुलना में नाममात्र रुपये में प्राप्त हो रही है। जिसके परिणाम भी अच्छे मिल रहे है।
100 से अधिक किसानों ने किया छिड़काव
श्री गणेश स्वसहायता समूह की सचिव कमलाबाई जाधव ने बताया कि दवाई सीजन में दो बार बनाई जाती है। इसका उपयोग पहले तो हमारी समूह की महिलाओं के खेतों में किया गया। परिणाम अच्छे मिलने पर गांव के सौ किसानों को दो-दो लीटर कीटनाशक दवाई दी। इस बार मौसम परिवर्तन के कारण गेहूं पर इल्लियों का प्रकोप बढ़ने से जैविक कीटनाशक का छिड़काव किया गया। जिसके परिणाम भी संतोषजनक मिले।