Indore Information: मंदसौर के 160 साल पुराने मारुति चारभुजानाथ मंदिर को लेकर सोमानी परिवार ने कोर्ट में लगा रखी है याचिका।
By Kuldeep Bhawsar
Publish Date: Wed, 31 Jan 2024 01:05 AM (IST)
Up to date Date: Wed, 31 Jan 2024 01:05 AM (IST)
Indore Information: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने शासन पर एक लाख रुपये हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने यह हर्जाना राजस्व रिकार्ड में नाम नहीं चढ़ाने पर नाराजगी जताते हुए लगाया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से कहा है कि वे अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित ऐसे बजावरी प्रकरण जिनमें अधिकारी उपस्थित नहीं हो रहे, की सूची तैयार करें और इनमें कार्रवाई सुनिश्चित करें।
मामला मंदसौर के मारुति चारभुजा नाथ मंदिर का है। यह मंदिर करीब 160 वर्ष पुराना है। 90 के दशक में कलेक्टर ने इस मंदिर के राजस्व रिकार्ड में व्यवस्थापक के रूप में अपना नाम दर्ज कर लिया था, जबकि यह मंदिर सोमानी परिवार की निजी संपत्ति है। इस पर सोमानी परिवार ने न्यायालय में वाद दायर कर कलेक्टर की कार्रवाई को चुनौती दी। कोर्ट ने वाद का निराकरण करते हुए निर्णय दिया कि मंदिर का स्वामी तो सोमानी परिवार ही रहेगा लेकिन इसके व्यवस्थापक कलेक्टर ही होंगे।
अपील कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती
सोमानी परिवार ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की। अपील स्वीकारते हुए कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया और कहा कि मंदिर निजी संपत्ति है, इसलिए इसका व्यवस्थापक भी यह परिवार ही रहेगा। अपील कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए सरकार ने हाई कोर्ट में द्वितीय अपील दर्ज कर दी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद शासन ने राजस्व रिकार्ड में सुधार नहीं किया।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद नहीं किया सुधार
इस पर मंदिर स्वामी सोमानी परिवार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राजस्व रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करने की मांग की। इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शासन से कहा था कि वह रिकार्ड में तुरंत सुधार करे और कोर्ट को सूचित करे। इसके बावजूद शासन ने राजस्व रिकार्ड में सुधार नहीं किया। इस पर कोर्ट ने तहसीलदार और कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिए।
20 फरवरी को जमा कराना होगा हर्जाना
30 जनवरी को तहसीलदार और एसडीओ उपस्थित हुए और कोर्ट से देरी के लिए माफी मांगते हुए बताया कि रिकार्ड में सुधार कर लिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट विस्मित पानोत और प्रनीति शर्मा ने बताया कि इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कलेक्टर, तहसीलदार या किसी अधिकारी का व्यक्तिगत मामला नहीं है। याचिकाकर्ता 12 वर्ष से न्यायालय के आदेश को लेकर दफ्तर-दफ्तर घूम रहे हैं। कोर्ट ने शासन पर एक लाख रुपये हर्जाना लगाते हुए प्रमुख तहसीलदार से कहा कि वे 20 फरवरी को अधीनस्थ न्यायालय में उपस्थित होकर हर्जाने की रकम जमा कराएं।