Lok Sabha Chunav 2024: छत्तीसगढ़ के अविभाजित जांजगीर लोकसभा सीट से वर्ष 1984 से अब तक चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों में तीन को छोड़ कर शेष सभी बाहरी रहे।
Publish Date: Fri, 26 Jan 2024 03:21 PM (IST)
Up to date Date: Fri, 26 Jan 2024 03:21 PM (IST)
HighLights
- कांग्रेस की ज्योत्सना ने भाजपा के ज्योतिनंद दुबे को परास्त किया। ज्योत्सना को 523,410 मत मिले।
- भाजपा के डा महतो को 4,39,002 मत मिले थे। उन्होंने कांग्रेस के डा चरण दास महंत को हराया था।
- कांग्रेस के डा चरण दास महंत ने भाजपा की प्रत्याशी करुणा शुक्ला को हराया था।
देवेंद्र गुप्ता। Lok Sabha Chunav 2024: छत्तीसगढ़ के अविभाजित जांजगीर लोकसभा सीट से वर्ष 1984 से अब तक चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों में तीन को छोड़ कर शेष सभी बाहरी रहे। प्रभात मिश्रा, करुणा शुक्ला व मनहरण लाल पांडेय बिलासपुर व दिलीप सिंह जूदेव जशपुर के रहने वाले थे, पर चुनाव जांजगीर से लड़े और जीते भी। चंद्रपुर के रहने वाले भवानी लाल वर्मा व सारागांव के डा चरण दास महंत दो ही ऐसे नेता हैं, जो स्थानीय रहे। हालांकि परिसीमन के बाद कोरबा लोकसभा सीट अलग बनी और डा चरणदास महंत व वर्ष 2019 में चुनाव लड़ने वाली उनकी पत्नी ज्योत्सना महंत बाहरी हो गई।
सामान्य सीट रही जांजगीर से वर्ष 2009 में कोरबा को अलग कर जांजगीर को आरक्षित कर दिया गया। वर्ष 1957 से लगातार पांच चुनाव 1974 तक जांजगीर सीट कांग्रेस के कब्जे में रहा। वर्ष 1977 में पहली बार जनता पार्टी के मदन लाल शुक्ला चुनाव जीते। इसके बाद फिर वापस 1980 में कांग्रेस के प्रत्याशी रामगोपाल तिवारी के पाल में यह सीट आ गई। 1984 में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की।
वर्ष 1989 में भाजपा ने यहां से दमदार नेता दिलीप सिंह जूदेव को उतारा और एक बार फिर यह सीट भाजपा के झोली में चली गई। इसके बाद से यहां की जनता कांग्रेस व भाजपा एक- एक बार मौका दे रही। इसे यहां की जनता की चतुराई है या महज संयोग। चाहे जो भी हो, पर यह बात पक्की है कि लगातार जीत का दावा कभी भी कोई नहीं कर सका।
आठ विधानसभा वाली कोरबा लोकसभा सीट में आदिवासी मतदाताओं की संख्या 46 प्रतिशत है। शिक्षा की रोशनी आदिवासी क्षेत्रों में देर से पहुंच रही है। यही वजह है कि आज भी लोकसभा क्षेत्र की अधिकांश महिलाएं असाक्षर हैं। औद्योगिक तीर्थ लघुभारत होने के कारण यहां सभी प्रांत व धर्म के लोगों का बसेरा है। अकेले शहरी क्षेत्र में पूर्वांचल व अन्य दीगर प्रांत से पहुंचे लोगों का मतदान भी प्रभाव कारी रहेगा।
उत्तर प्रदेश व बिहार से यादव, कहार, विश्वकर्मा के अलावा ब्राह्मणों की संख्या अधिक है। इन मतों के इसके अलावा लोकसभा क्षेत्र के मनेंद्रगढ़, बैकुंठपुर, कटघोरा व कोरबा में कोल इंडिया की खदानें संचालित है। काले हीरे की खान के साथ कोसे की भी चमक देश भर में बिखर रही। इसके साथ ही सच्चाई यह भी है कि उद्योगों की वजह से प्रदूषण की मार भी लोगों को झेलनी पड़ रही। यह इस संसदीय क्षेत्र का सबसे बड़ा व संवेदनशील मुद्दा वर्षो से रहा है।
2014 से लगातार तीसरे स्थान पर गोंगपा
कोरबा लोकसभा सीट से वर्ष 2014 में गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) सुप्रीमो हीरासिंह मरकाम स्वयं मैदान में उतरे थे और पार्टी की सशक्त उपस्थिति दर्ज कराते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। आठ विधानसभा में पार्टी को अच्छा-खासा वोट मिला। वर्ष 2019 के चुनाव में हीरा सिंह के पुत्र तुलेश्वर सिंह मरकाम ने चुनाव लड़ा और उन्होंने भी तीसरा स्थान बरकरार रखा, जबकि चौथे स्थान पर नोटा रहा।
एक बार कांग्रेस व एक भाजपा को मौका
परिसीमन के बाद भले ही जांजगीर से अलग होकर कोरबा नई लोकसभा सीट बन गई, पर एक के बाद एक का ट्रेंड नहीं बदला। तब भी क्षेत्र की जनता एक बार कांग्रेस को तो एक बार भाजपा को यहां प्रतिनिधित्व का अवसर देती रही और अब भी वही चलन बरकरार है। केवल एक बार ही ऐसा हुआ, जब लगातार दो बार लोकसभा चुनाव कांग्रेस के डा चरण दास महंत जीते।
कांशीराम यहीं से लड़े थे लोकसभा चुनाव
बहुजन समाज के संस्थापक कांशीराम ने कोरबा से ही राजनीति की शुरुआत की थी। अविभाजित जांजगीर लोकसभा से वर्ष 1984 में चुनाव लड़ा, पर यहां से कांग्रेस के प्रभात कुमार मिश्रा ने जीत हासिल की। इसके बाद कुछ वर्षो तक कोरबा के मुड़ापार व बाल्को में अपने श्रमिक साथियों के साथ रहकर श्रमिकों के लिए, श्रमिकों के हक में लड़ाई लड़ते रहे। साइकिल रैली निकाल कर जांजगीर तक यात्रा करते थे। उस वक्त भी मायावती उनके साथ रही। इसके बाद कांशीराम ने उत्तर प्रदेश का रुख किया और वहां वे सियासत में इतने आगे निकले कि बहुजन समाज पार्टी का साम्राज्य खड़ा कर लिया। कांशीराम का जन्म मूलत: पंजाब में हुआ और उत्तर प्रदेश कर्मभूमि रही।
इस बार होगा चौथा चुनाव
कोरबा संसदीय सीट पर यह चौथा आम चुनाव होगा। परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में अस्तित्व में आई इस सीट पर पहला चुनाव डा चरण दास महंत ने जीता था। वहीं वर्ष 2014 में हुए दूसरे चुनाव में भाजपा के डा बंशीलाल महतो ने जीत दर्ज की थी। तीसरे चुनाव में कांग्रेस की ज्योत्सना चरण दास महंत यहां से चुनाव जीत कर सांसद बनीं।
बन गई थी हाई प्रोफाइल सीट
कोरबा लोकसभा सीट अंतर्गत मरवाही विधानसभा होने की वजह से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के सुप्रीमो तथा प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कोरबा लोकसभा से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। अपने कार्यकर्ताओं से भी उन्होंने मशविरा कर लिया था। इसके साथ ही यह सीट हाई प्रोफाइल बन गई थी। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस के भी मैदान में होने से त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति निर्मित हो गई थी, पर बाद में अजीत जोगी ने यह कहकर पीछे हट गए कि बसपा के साथ गठबंधन है। यदि जोगी यहां से चुनाव लड़ते, तो उनकी सीधी टक्कर डा चरण दास महंत से होती, क्योंकि लोकसभा से कांग्रेस ने डा महंत की पत्नी ज्योत्सना को टिकट दिया था। डा महंत व अजीत जोगी का इस क्षेत्र में काफी दबदबा भी था।
आठ विधानसभा क्षेत्र हैं कोरबा लोकसभा क्षेत्र में
रामपुर, कोरबा, कटघोरा, पाली- तानाखार, मरवाही, भरतपुर- सोनहत, मनेन्द्रगढ व बैकुंठपुर विधानसभा