Betul Climate Replace: बैतूल में ठंड का असर बढ़ गया है। पारा 6.2 डिग्री सेल्सियस के कारण फसलों पर पाला पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
Publish Date: Fri, 26 Jan 2024 03:38 PM (IST)
Up to date Date: Fri, 26 Jan 2024 03:38 PM (IST)
HighLights
- सर्द हवाओं से बैतूल में ठंड के तेवर तीखे
- गेहूं और चना की फसल पर पाला पड़ने की आशंका
- सब्जी की फसल भी हो रही प्रभावित
Betul Climate Replace नईदुनिया प्रतिनिधि, बैतूल। अरब सागर से आ रही नमी और उत्तर भारत की ओर से आने वाली सर्द हवाओं ने बैतूल में ठंड के तेवर तीखे कर दिए हैं। इस वजह से पारा तेजी से लुढ़कते हुए 6.2 डिग्री सेल्सियस पर आ गया है। दिन में भी लोगों को सर्द हवा के कारण गर्म कपड़ों का सहारा लेना पड़ रहा है। गुनगुनी धूप में लोग खड़े होकर ठंड से राहत पा रहे हैं।
शाम होते ही ठिठुरन बढ़ने लगती है। यह स्थिति पिछले तीन दिन से बनी हुई है और न्यूनतम तापमान में कमी आते जा रही है। इस सीजन में बुधवार की रात सबसे अधिक ठंडी रही। न्यूनतम तापमान में मंगलवार की तुलना में 1.6 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई है। ठंड इतनी अधिक पड़ रही है कि शाम ढलते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। लोग ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा लेने के लिए मजबूर हैं।
फसलों पर विपरीत असर होगा
ठंड के कारण सुबह नौ बजे तक फसलों पर ओस की बूंदें जमी हुई नजर आ रही हैं। किसान अनिल जैन ने बताया कि गुरुवार को सुबह जब वे खेत पहुंचे तो देखा कि गेहूं और चना की फसल की पत्तियों पर ओस की बूंदें जमी हुई थीं। अक्टूबर माह में जिस खेत में गेहूं की बुवाई की गई थी उसमें बालियां लग गईं हैं और दाना बनने की स्थिति है। ऐसे में तेज ठंड की वजह से गेहूं का दाना बनने की प्रक्रिया बाधित हो जाएगी जिससे दाना बारीक हो जाएगा। चना की फसल में भी फूल आ गए हैं जो कड़ाके की ठंड से खराब हो सकते हैं।
सब्जी की फसल हो रही प्रभावित
सब्जी की खेती करने वाले किसान राजू ठाकुर ने बताया कि बेल वर्गीय फसलों के पत्ते तेज ठंड में खराब होने लगे हैं। टमाटर के पौधों के पत्ते भी मुरझाई अवस्था में पहुंच गए हैं। यदि तेज ठंड लगातार पड़ती है तो पत्तियां ठंड के कारण जल जाएंगी और पौधा सूखने लगेगा। इससे पैदावार खासी प्रभावित हो जाएगी।
लहसुन की बुवाई करने वाले किसान अवधेश वर्मा ने बताया कि तेज ठंड की वजह से लहसुन के पत्ते सूखने जैसी अवस्था में पहुंच रहे हैं। यदि पाला पड़ गया तो फिर फसल से उत्पादन होना मुश्किल हो जाएगा।