आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से उत्पादकता बेहतर हो रही है। इससे काम भी आसान हो रहा है, लेकिन यह उतना ही खतरनाक भी है।
Publish Date: Thu, 25 Jan 2024 04:31 PM (IST)
Up to date Date: Thu, 25 Jan 2024 04:31 PM (IST)
HighLights
- विश्वास न्यूज द्वारा वर्चुअल कार्यशाला आयोजित।
- वरिष्ठ नागरिकों को दी डीपफेक की जानकारी
- फैक्ट चेकिंग के बुनियादी टूल्स के बारे में बताया
Sach Ke Sathi Seniors डिजिटल डेस्क, झांसी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से उत्पादकता बेहतर हो रही है। इससे काम भी आसान हो रहा है, लेकिन यह उतना ही खतरनाक भी है। इससे डीपफेक वीडियो और तस्वीरें भी बनाई जा रही हैं, जो समाज के लिए बहुत ही खतरनाक हैं। इनको पहचानना बहुत ही जरूरी है, जिससे समाज को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके। विश्वास न्यूज के फैक्ट चेकर्स ने झांसी के लिए आयोजित वेबिनार में प्रतिभागियों से बात कही।
25 जनवरी (गुरुवार) को झांसी में मीडिया साक्षरता अभियान ‘सच के साथी-सीनियर्स’ का आयोजन हुआ। यह जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने वेबिनार कर झांसी के नागरिकों फैक्ट चेक के बारे में जानकारी दी। यह आयोजन मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए था, जिसमें आयोजित एसोसिएट एडिटर एवं फैक्ट चेकर अभिषेक पराशर ने फैक्ट चेक के बारे में उदाहरणों के जरिए समझाया। उन्होंने बताया कि किसी भ्रामक खबर को पढ़कर उसको तथ्यों के आधार पर जांचे। उसके बाद ही उस पर अपनी कोई राय बनाएं।
कार्यक्रम में डिप्टी एडिटर एवं फैक्ट चेकर देविका मेहता ने एआई से होने वाले फायदे व खतरों के बारे में समझाया। उन्होंने बताया कि एआई के जरिए रश्मिका मंदाना, सचिन तेंदुलकर और पेंटागन पर फेक हमले के डीपफेक वीडियो व तस्वीरें बनाई गईं। उन्होंने समझाया कि यह कितनी खतरनाक है व इसके नुकसान कितने बढ़े हो सकते हैं। इन वीडियो को बहुत ही ध्यान से देखने के बाद पता चलता है कि यह फेक हैं। इनके बारे में पता करने के लिए कुछ टूल्स भी आते हैं।
संदिग्ध पोस्ट का करें पता
देविका मेहता ने बताया कि एआई से डीपफेक वीडियो व तस्वीरों को किन टूल्स की मदद से पहचाना जा सकता है। उन्होंने बताया कि आप गूगल रिवर्स इमेज या की-वर्ड सर्च की मदद ले सकते हैं। उससे आपको किसी भी पोस्ट के सोर्स की जानकारी मिल जाएगी। सोर्स से पता चल जाएगा कि पोस्ट रियल है या संदिग्ध है।
इन राज्यों हो चुका है प्रशिक्षण
राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार ‘सच के साथी-सीनियर्स’ का आयोजन हो चुका है। यह सेमिनार व वेबिनार का आयोजन कर फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
ऐसा है मीडिया साक्षरता अभियान
‘सच के साथी सीनियर्स’ भारत में तेजी से बढ़ रही फेक और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को संबोधित करने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है। कार्यक्रम का उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की श्रृंखला के माध्यम से स्रोतों का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को तार्किक निर्णय लेने में मदद करना है। इसमें रजिस्ट्रेशन करने के लिए www.vishvasnews.com/sach-ke-sathi-seniors/ पर क्लिक करें।