Ramcharit Manas: 2009 में भीली भाषा में रामायण लिखी थी। जनजातीय समुदाय के आराध्य देव प्रभु श्रीराम की लीलाओं और उनके आदर्श स्वरुप से वे रुबरु हो सके।
Publish Date: Fri, 19 Jan 2024 12:32 PM (IST)
Up to date Date: Fri, 19 Jan 2024 01:08 PM (IST)
HighLights
- आदिवासी संस्कृति के लोगों का राम से पुराना नाता रहा है।
- बाग के भानुशंकर गेहलोत ने रामायण जैसे महाकाव्य को भीली भाषा में परिवर्तित किया था।
- श्री रामचरित मानस के हिंदी भावार्थ का भीली बोली में अनुवाद किया गया है।
Ramcharit Manas: जय तापड़िया, बाग। आदिवासी संस्कृति के लोगों का राम से पुराना नाता रहा है। इसी वजह से बाग के भानुशंकर गेहलोत ने रामायण जैसे महाकाव्य को भीली भाषा में परिवर्तित किया था। यह एक तरह से भाषा में अुनवाद किया गया। संभवतः यह पहली आदिवासी बोली होगी, जिसमें श्री रामचरित मानस के हिंदी भावार्थ का भीली बोली में अनुवाद किया गया है।
वर्तमान में उनके परिवार के लोग इसे जन जन तक तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे है। खासकर आदिवासी बच्चों को इससे जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसे बाेली का भी संरक्षण होगा। साथ ही भगवान के प्रति आस्था का अटूट संबंध भी बना रहेगा।
2009 में किया था अनुवाद
इससे जनजातीय समुदाय के आराध्य देव प्रभु श्रीराम की लीलाओं और उनके आदर्श स्वरुप से वे रुबरु हो सके। भीली भावार्थ की रामायण को स्कूलों के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने के लिए कलेक्टर से निवेदन किया गया। विशेष बात यह है कि धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर जिले के साथ महाराष्ट्र के कुछ स्थानों में जनजातीय समुदाय भीली बोली समझते है।