Madhav Nationwide Park: माधव राष्ट्रीय उद्यान के 375.233 वर्ग किमी वनक्षेत्र को कोर क्षेत्र तथा शिवपुरी वनमंडल के 1276.154 वर्ग किमी क्षेत्र को बफर क्षेत्र में शामिल करते हुए, कुल 1651.388 वर्ग किमी को अधिसूचित कर माधव टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा।
By Kushagra Valuskar
Publish Date: Sat, 05 Oct 2024 02:35:45 PM (IST)
Up to date Date: Sat, 05 Oct 2024 02:35:45 PM (IST)
HighLights
- माधव टाइगर रिजर्व टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है।
- राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की सहमति मिल गई है।
- बफर क्षेत्र में कुल 13 राजस्व ग्राम शामिल हैं।
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। Madhav Nationwide Park: माधव राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित माधव टाइगर रिजर्व को राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की सहमति मिल गई है। अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड भेजा जाएगा, वहां से मंजूरी मिलने पर राज्य सरकार इसे टाइगर रिजर्व बनाने की अधिसूचना जारी करेगी।
कोर एवं बफर क्षेत्र में कोई वन ग्राम शामिल नहीं
खास बात यह है कि इस प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के कोर एवं बफर क्षेत्र में कोई वन ग्राम शामिल नहीं है। कोर क्षेत्र के अंतर्गत 15 राजस्व ग्राम सम्मिलित थे जिनमें से 10 राजस्व ग्रामों को पूर्ण रूप से विस्थापित किया जा चुका है। जबकि, पांच राजस्व ग्रामों का आंशिक विस्थापन शेष है। रिजर्व के बफर क्षेत्र में कुल 13 राजस्व ग्राम शामिल हैं, जिनका क्षेत्रफल 39.3066 वर्ग किमी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दी सहमति
माधव टाइगर रिजर्व बनाने के लिए केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित अन्य जन प्रतिनिधियों एवं 12 ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने सहमति दे दी है। प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के अंतर्गत माधव राष्ट्रीय उद्यान के बफर क्षेत्र में वर्त न में कार्यरत अमले एवं विद्यमान अधोसंरचनाओं का ही उपयोग किया जाएगा। इससे शासन पर अमले का अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं होगा।
कोर और बफर से लगे ग्रामीणों का भी रखा जाएगा विशेष ध्यान
रिजर्व के बफर क्षेत्र में अनुमानित 8200 मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण प्रतिवर्ष होता है, इस बफर क्षेत्र में तेंदूपत्ता एवं अन्य वनोपज संग्रहण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने से शासन को कोई वित्तीय हानि भी नहीं होगी। रिजर्व के कोर क्षेत्र से 10 किमी की परिधि में 250 ग्राम तथा बफर क्षेत्र से 10 किमी की परिधि में 300 ग्राम हैं। जिनकी जीविका उपार्जन वनोपज पर ही निर्भर है। ऐसे में वन विभाग इस बात का भी विशेष ध्यान रखेगा कि ग्रामीणों की जीविका प्रभावित न हो।