1 अगस्त से पहले आ सकती है गुडन्यूज! भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर मुहर लगने की है उम्मीद

1 अगस्त से पहले आ सकती है गुडन्यूज! भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर मुहर लगने की है उम्मीद


India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर जल्द ही मुहर लग सकती है. हाल ही में पांचवे दौर की वार्ता भी पूरी कर ली गई. इसमें ट्रे डील को अंतिम खाका पहनाना था. भारत के लिए यह डील अहम मानी जा रही है ताकि रेसिप्रोकल टैरिफ से बचा जा सके और दूसरे एशियाई देशों से इस मामले में सबसे आगे रहा सके. यह वार्ता वॉशिंगटन में चार दिन (14 जुलाई-17 जुलाई) तक चली.

बता दें कि अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की डेडलाइन 1 अगस्त तय की है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाल ही में कहा था कि भारत के साथ डील लगभग फाइनल है, लेकिन अगर इस बीच दोनों देश किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाते हैं, तो भारत पर अमेरिका 26 परसेंट का टैरिफ लगा देगा.

इन मुद्दों पर हुई बातचीत 

भारत चाहता है कि अमेरिका दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले उस पर कम टैरिफ लगाए. हालांकि, बताया जा रहा है कि यह वार्ता व्यापार पर आम बातचीत से कई लेवल आगे बढ़ चुका है, जिसमें डिजिटल इकोनॉमी से लेकर ‘हाई टेक्नोलॉजी ट्रेड’ जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई.

द फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने अमेरिका से ऑटो सेक्टर पर लगाए गए 25 परसेंट और स्टील व एल्युमीनियम पर 50 परसेंट टैरिफ से छूट की मांग की है. दोनों देशों के बीच SCOMET (स्पेशल केमिकल्स,ऑर्गेनिज्म्स, मैटेरियल, इक्विपमेंट्स और टेक्नोलॉजी) पर भी बातचीत हुई. इन चीजों का व्यापार बेहद विनियमित है और केवल विश्वसनीय भागीदारों के साथ ही होता है. 

अमेरिका की भारत से डिमांड 

भारत कम टैरिफ के साथ-साथ अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर सुरक्षात्मक रवैया अपनाना चाहता है क्योंकि अमेरिका भारत में इन दो सेक्टर्स पर पांव जमाने की कोशिश में जुटा हुआ है. कृषि क्षेत्र में आयात शुल्क कम करने के साथ-साथ अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत जेनेटिकली मोडिफाइड एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स को अपने यहां आने दें. अमेरिका की भारत से ऑटोमोबाइल पर भी इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने और उनसे अधिक से अधिक एनर्जी प्रोडक्ट्स खरीदने की भी डिमांड है. 

अपने किसानों के हितों की रक्षा करते हुए, खासतौर पर डेयरी सेक्टर और गेहूं व चावल जैसे अनाजों के लिए, भारत ने अपने श्रम-प्रधान और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उभरते मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स के लिए अधिक बाजार में पहुंच होने की मांग की है. वस्तु व्यापार के अलावा, अमेरिका का एक और मकसद भारत में अपनी टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए अधिक उदार नियामक माहौल बनाना है. अब तक अमेरिका ने ब्रिटेन, इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ ट्रेड डील होने का ऐलान कर चुका है. 

 

 

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