त्वचा पर प्रदूषण का असर ; लगातार बढ़ रहे पॉल्यूशन के कारण लोगों की सेहत को लेकर चिंता बनी हुई है। खासकर वायु प्रदूषण (वायु प्रदूषण) के कारण लोगों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। एयर पॉल्यूशन का काफी असर त्वचा पर भी पड़ता है।
हाल ही में एक अध्ययन में आया नतीजा इस चिंता को और बढ़ा सकता है। अध्ययन के अनुसार हम पॉल्यूशन का बहुत अधिक प्रभावशाली (त्वचा पर प्रदूषण का प्रभाव) पर प्रभाव डालते हैं। आइए जानते हैं इस अध्ययन में एयर पॉल्यूशन के त्वचा स्वास्थ्य पर प्रभाव वाले प्रभावों के बारे में क्या सामने आया है..
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एक्जिमा का खतरा दोगुना
अमेरिका के येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में त्वचा पर पॉल्यूशन के प्रभाव से संबंधित अध्ययन से पता चला है कि हाई एयर पॉल्यूशन वाले क्षेत्र में रहने वालों को त्वचा स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या एक्जिमा होने का खतरा दोगुना होता है। पीएल ओएस वन में प्रकाशित इस रिपोर्ट में 2 लाख से अधिक लोगों पर पॉल्यूशन के प्रभाव की जांच की गई है।
परिणाम से पता चलता है कि ऐसी जगह जहां 2.5 का स्तर अधिक होता है, वहां लोगों को त्वचा की बीमारी एक्जिमा का खतरा दोगुणा होता है। 2.5 हवा में सामुद्रिक, पादरी और आग से निकले हुए छोटे-छोटे टुकड़े, जो मेरेमन बालों से 30 गुना छोटे होते हैं। यहां तक कि इस अध्ययन में 4.4% लोगों को शामिल किया गया था। रिसर्च के राइटर ने कहा कि इससे साफ होता है कि जो लोग पार्टिकल्स ऑनलाइन मैटर के संपर्क में हैं, उनमें एक्जिमा होने की अधिक संभावना है।
एयर पॉल्यूशन का स्वास्थ्य पर प्रभाव
एयर पॉल्यूशन का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। हवा में मौजूद पार्टिकल्स की वजह से न सिर्फ लोगों के लंग्स खराब होते हैं, बल्कि इससे ब्लड सर्कुलेशन में पहुंच और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अध्ययन में शामिल डॉ. जेफरी कोहेन और टीम ने पाया कि हवा में पीमे 2.5 का स्तर केवल 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बढ़ने से एक्जिमा विकसित होने की संभावना से अधिक हो जाती है। इस अध्ययन से साफ हो गया कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह त्वचा की सेहत पर बहुत अधिक असर करती है। इसके साथ ही औद्योगिक विकास और एक्जिमा की चिपचिपी प्लास्टिक के बीच संबंध से यह भी पता चलता है कि एयर क्वालिटी सार्वजनिक स्वास्थ्य को कितना प्रभावित करती है।
स्वास्थ्य पर एयर पॉल्यूशन का असर से बचाव
दुनिया भर के शहरों में आजकल हवा में 2.5 के स्तर का ट्रैक बनाया जा रहा है। इसके साथ ही लोगों को वायु गुणवत्ता के बारे में भी सतर्क किया जाता है। ऐसे में एयर पॉल्युशन के बहुत अधिक बढ़ने पर घर से बाहर जाने से बचना चाहिए और घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना चाहिए। विशेष रूप से बेड रूम में एयर प्यूरीफायर के हानिकारक प्रभाव को रोकने में मदद मिल सकती है।
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