भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। 20 नवंबर तक बूथ कमेटियों का गठन और मंडल अध्यक्ष का चुनाव होगा। दिसंबर माह में जिलाध्यक्ष को चुना जाएगा। लेकिन ब्लाक से लेकर जिलाध्यक्ष तक का चुनाव जातीय समीकरण तय करेंगे।
By Jogendra Sen
Publish Date: Solar, 17 Nov 2024 01:50:30 PM (IST)
Up to date Date: Solar, 17 Nov 2024 01:50:30 PM (IST)
HighLights
- भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की गतिविधियों ने पकड़ी गति
- दिसंबर के अंत तक होंगे भारतीय जनता पार्टी के संठनात्मक चुनाव
- जिलाध्यक्ष पद के लिए अंचल के सभी जिलों में जोर अजमाइश शुरु हो गई है
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की गतिविधियों ने गति पकड़ ली है। पहले चरण में 20 नवंबर तक बूथ कमेटियों का गठन और उसके बाद मंडल अध्यक्ष का चुनाव होगा। दिसंबर माह के अंत में जिलाध्यक्ष का चुनाव होना है। जिलाध्यक्ष पद के लिए अंचल के सभी जिलों में जोर अजमाइश शुरु हो गई है।
जिलास्तर पर बूथ और मंडल के चुनाव होने के बाद प्रदेश का शीर्ष नेतृत्व जिलाध्यक्षों के नाम पर विचार करेगा। यह तय माना जा रहा है कि भाजपा अंचल में जिलाध्यक्ष की नियुक्तियों में जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास करेगी। वहीं जिलों में अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए अंचल के बड़े नेताओं ने अपने खेमों से नाम छांटना शुरु कर दिए हैं। जिले में इस बार अध्यक्ष पद के लिए क्षत्रिय व वैश्य समाज के भाजपा नेताओं की प्रबल दावेदारी मानी जा रही है।
विधानसभाध्यक्ष व पूर्व सांसद में बन सकती है सहमति
- जिलाध्यक्ष पद के लिए विधानसभाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, सांसद भारत सिंह कुशवाह व पूर्व सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के बीच जिलाध्यक्ष पद को लेकर सहमति बनने के संकेत मिल रहे हैं। अगर सहमति बनती है तो इस गठजोड़ का एक नाम सामने आ सकता है। हालांकि विधानसभाध्यक्ष के खेमे ने पूर्व जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी का खुलकर विरोध किया था। माखीजानी पूर्व सांसद से जुड़े हैं।
- इसके साथ ही महानगर के जिलाध्यक्ष पद के लिए प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश संगठन मंत्री भी अपना नाम आगे बढ़ा सकते हैं। बड़े नेताओं के बीच शुरु हुई खींचतान के बीच जिलाध्यक्ष पद के दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं। यह दावेदार कोशिश कर रहे हैं कि इनके नाम मंडल से आगे आएं। इसलिए अध्यक्ष के दावेदार मंडल अध्यक्ष के चुनाव में रुचि दिखा रहे हैं
जिलाध्यक्ष की कुर्सी को लेकर अंचल के बड़े नेताओं में घमासान
- अंचल में अपना प्रभुत्व कायम रखने के लिए बड़े नेता अपने खेमे के नामों पर मंथन कर रहे हैं। अध्यक्ष के लिए किसका नाम बढ़ाया जाए। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले गुना-शिवपुरी व अशोक नगर, विधानसभाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर, भिंड, मुरैना, श्योपुर व पूर्व ग्रहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की रुचि दतिया व ग्वालियर ग्रामीण में रहेगी। इ
- सके अलावा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी अपने संसदीय क्षेत्र के अलावा मुरैना व ग्वालियर में जिलाध्यक्ष के लिए अपने नाम आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। जबकि प्रदेश नेतृत्व जातीय समीकरणों के आधार पर जिलाध्यक्ष के नामों विचार करेगा। अगर मुरैना और भिंड से पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति के नाम सामने आते हैं तो ग्वालियर से क्षत्रिय व वैश्य समाज के नाम पर विचार किया जाएगा।