हैरान करने वाली घटना मध्य प्रदेश के तेंदू मुखिया की है। सवाल यह है कि क्या मां के दूध से बने बच्चे का जन्म भी हो सकता है? किशोरी रिपोर्ट में तो इसकी पुष्टि हुई है। सबक यही है कि मां का दूध पिलाते समय भी कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है।
द्वारा अरविन्द दुबे
प्रकाशित तिथि: रविवार, 06 अक्टूबर 2024 01:44:12 अपराह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: रविवार, 06 अक्टूबर 2024 01:44:12 अपराह्न (IST)
पर प्रकाश डाला गया
- 45 दिन के मासूम की 28 सीटें. को हुई थी मौत
- परिवार ने वैक्सीन के कारण मौत की बात कही थी
- स्टडी रिपोर्ट में सामने आई असल वजह
नईदुनिया, तेंदू मतदाता। 28 सितंबर की सुबह 45 दिन के मासूम बच्चे को स्वजन तेंदू असामाइकल स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थे। उनका कहना था कि बच्चे को एक दिन पहले टीका लगाया गया था, रात से उसकी तबीयत खराब हो गई और सुबह जब नहीं उठाया गया, तो हम लोग बच्चे को तेंदू सहमति स्वस्थ केंद्र लेकर आ गए। दार्शनिक नेसेस मृत बताया।
मृत बच्चे की मां, दादी और पिता को मृत बच्चे के लिए वैक्सीन की जिम्मेदारी बताई जा रही है। उनका कहना था कि बैक्सीन के निर्माण के बाद बच्चे की बीमारियाँ हो गईं और उसकी मृत्यु हो गई। बच्चे के माता-पिता और स्वजन की याचिका तेंदू सहमति टी ने नीती और उनकी मांग पर असेंबली से जुड़ी बात कही।
अब रिपोर्ट आई तो साफ हुआ कि बच्चे की मौत का कारण टीका नहीं है, बल्कि मां का दूध पिलाया गया, जो बच्चे के फेफड़े में फंस गया और सास न लेने के कारण बच्चे की मौत हो गई।
स्टडी रिपोर्ट में ये बातें सामने आईं
- 27 सितंबर को बच्चे को टीका लगाया गया था और 28 सितंबर की सुबह 45 दिन के बच्चे को परिवार के लोग मृत अवस्था में तेंदू सामुदायिक सामुदायिक केंद्र लेकर आये थे। अध्ययन रिपोर्ट में बच्चे की मौत का कारण समुद्र में दूध फंसाना आया है।
- तेंदू नामांकित सीबी वैद्य डॉ. आरआर बागरी ने बताया कि मां ने रात दो बजे अपने करीबी बच्चे को दूध पिलाया था। कुछ देर बाद उनके बच्चे की मृत्यु हो गई। उसके फेफड़े में दूध फंसने के कारण सास नली बंद हो गई थी।
- परिवार के लोग समझे कि बच्चा सो गया है, भैया ने जब उसे चार बजे के करीब उठाया तो उसने नहीं उठाया। उसके बाद स्वोन्स को पता चला कि बच्चे की मृत्यु हो गई थी और उसने टीकाकरण के बाद टीकाकरण की बात कही थी।
वैक्सीन से बच्चे की मौत का कारण नहीं है, क्योंकि वैक्सीन बच्चे को दो बार लगी थी और उसके साथ चार अन्य बच्चों को टीका लगा था। टीकाकरण से यदि कभी इंफेक्शन बनता है, तो उसके समय पर टीकाकरण शुरू होने में एक घंटे का समय लग जाता है। – डॉ. आरआर बागरी, तेंदू सचिवालय सीबी इंजीनियर
बच्चे को दूध पिलाते समय बरतें ये सावधानियां
मामले सामने आने के बाद आक्षेपकर्ताओं ने महिलाओं से अपील की कि हमेशा बच्चे को लेकर गोदी में लेकर जाओ और उस समय बच्चे का सिर ऊपर रखा जाए। मृत बच्चे की मां ने जिस दिन टीका लगाया, उस रात दो बार दूध पिलाया गया। दोनों बार बच्चे को लेटकर दूध पिलाया गया, जो उसके फेफड़े में फंस गया।
स्कूल से सीबी ऑफिसियल ने कहा है कि छोटे बच्चों को कभी भी दूध ना पिलाएं। इसके सूचना एडवाइजरी स्टोर्स हैं।