जिला न्यायालय ने बरोठा क्षेत्र के गोपी वेयर हाउस के संचालक महेंद्र चौधरी को 80 किसानों की उपज गायब करने के मामले में चार साल की सजा और 6.21 करोड़ रुपये का अर्थदंड सुनाया। यदि संचालक राशि जमा नहीं करता, तो उसे 80 बार 6 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी, जिससे कुल सजा 48 साल हो जाएगी।
By Neeraj Pandey
Publish Date: Sat, 05 Oct 2024 05:40:07 PM (IST)
Up to date Date: Sat, 05 Oct 2024 05:47:30 PM (IST)
HighLights
- वेयर हाउस संचालक को चार साल की सजा
- कोर्ट ने 6.21 करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाया
- जमा न करने पर 48 साल की अतिरिक्त सजा
नईदुनिया प्रतिनिधि, देवास : जिला न्यायालय के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने शनिवार को बड़ा फैसला सुनाया। देवास जिले के बरोठा क्षेत्र में स्थित वेयर हाउस से करीब 80 किसानों की उपज गायब होने के मामले में संचालक को दोषी पाते हुए चार वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। 6.21 करोड़ रुपये का अर्थदंड भी दिया। राशि जमा नहीं करने पर संचालक को 80 बार 6-6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतना होगी। ऐसे में कुल सजा करीब 48 साल की हो जाएगी। मूल सजा के चार वर्ष अलग रहेंगे।
80 से अधिक किसानों की उपज गायब
अपर जिला लोक अभियोजक अशोक चावला ने बताया कि मामला फरवरी 2011 से फरवरी 2013 के बीच का है। गोपी वेयर हाउस के संचालक महेंद्र चौधरी पुत्र बद्रीलाल चौधरी ने सदाशिवपुरा में अपने वेयर हाउस में 80 से अधिक किसानों की सोयाबीन, चना आदि उपज रखी थी।
किसानों के खाते से ले लिया लोन
फसल सुरक्षित रखने का आश्वासन देकर किसानों को वेयर हाउस की रसीद पर लोन मिलने का आश्वासन दिया था और फसल के बीमे की भी बात कही थी। किसानों से ऋण पुस्तिका आदि दस्तावेज लिए थे। इसके बाद किसानों से इलाहाबाद बैंक की देवास शाखा में खाते खुलवाने के लिए कहा। लोन स्वीकृत करवाकर सभी दस्तावेजों पर किसानों के हस्ताक्षर करवाए और लोन की राशि स्वयं निकाल ली।
घर पर पहुंचे वसूली के नोटिस
जब किसानों के पास लोन वसूली के नोटिस पहुंचे तो वे वेयर हाउस पहुंचे। वहां उपज नहीं मिली। मामले में वर्ष 2013 में बरोठा थाने में प्रकरण दर्ज करवाया गया। न्यायालय में मामला पहुंचने पर आरोपित के खिलाफ सभी 80 किसानों की ओर से आरोप तय करने का अनुरोध किया गया था, जिसे न्यायालय ने स्वीकार किया। इसके बाद 5 अक्टूबर को सजा सुनाई।
चावला के अनुसार देवास न्यायालय में यह अपनी तरह का पहला फैसला है। पहले एक बार फैसला टल गया था। हमारी ओर से धारा 216 के तहत आवेदन लगाकर अनुरोध किया गया था कि धोखाधड़ी 80 किसानों के साथ हुई है, इसलिए आरोप भी सभी की ओर से तय किए जाएं। इस पर न्यायालय ने सभी किसानों की ओर से आरोप तय कर सबकी राशि जोड़कर अर्थदंड दिया।