Rain of MP: मध्‍य प्रदेश में एक जिले को छोड़कर शेष अधिकांश में अभी तक सामान्‍य बारिश दर्ज, जानिये किस जगह क्‍या है स्थिति

Latest NewsRain of MP: मध्‍य प्रदेश में एक जिले को छोड़कर शेष अधिकांश में अभी तक सामान्‍य बारिश दर्ज, जानिये किस जगह क्‍या है स्थिति
  • पूर्वी मप्र में 14 प्रतिशत अधिक, पश्चिमी में 10 प्रतिशत कम हुई वर्षा
  • 157 प्रतिशत वर्षा सामान्य से ज्यादा,
  • श्योपुर में -102 प्रतिशत अधिक वर्षा ग्वालियर में

मध्यप्रदेश में छह जुलाई की सुबह 8.30 बजे तक 184.9 मिमी वर्षा हो चुकी है, जो अब तक होने वाली सामान्य वर्षा 181.6 मिमी से दो प्रतिशत अधिक है।

रीवा, सागर, सतना में कम बारिश

इस दौरान पूर्वी मध्यप्रदेश यानी छिंदवाड़ा, दमोह, जबलपुर, खजुराहो, मंडला, नरसिंहपुर, रीवा, सागर, सतना, सीधी, टीकमगढ़, उमरिया और मंडला जिलों में 184.7 मिमी वर्षा हुई है, जो अब तक होने वाली सामान्य वर्षा 206.3 की तुलना में 10 प्रतिशत कम है। जबकि पश्चिमी मप्र में अभी 185 मिमी वर्षा हुई है, जो सामान्य स्तर 162.7 मिमी की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है।

पश्चिमी मध्यप्रदेश यानी बैतूल, भोपाल, दतिया, धार, गुना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, इंदौर, खंडवा, खरगौन, रायसेन, रतलाम, राजगढ़, शाजापुर, शिवपुरी एवं उज्जैन जिलों में सबसे अधिक 206.9 मिमी वर्षा ग्वालियर में हुई है, जो सामान्य वर्षा 102.5 मिमी के मुकाबले 102 प्रतिशत अधिक है।

सामान्य से सबसे अधिक वर्षा में श्योपुर में 281.9 मिमी हुई है, जो सामान्य स्तर 109.9 की तुलना में 157 प्रतिशत अधिक है। भोपाल में अभी तक 287.3 मिमी वर्षा हुई है, जो सामान्य 183.2 मिमी की तुलना में 67 प्रतिशत अधिक है।

मालवा-निमाड़ अंचल: हल्की व मध्यम वर्षा से सबकुछ सामान्य

मानसून सीजन शुरू होने के बाद से अब तक मालवा और निमाड़ में रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला जारी है। यहां के किसी जिले में पिछले वर्ष के मुकाबले कुछ अधिक तो कहीं कुछ कम वर्षा हुई है। इस सीजन में अब तक मालवा और निमाड़ में बादलों ने क्रोध के बजाय कृपा ही बरसाई है, नतीजतन कहीं भी वर्षाजनित कोई दुखद घटना नहीं हुई। पूरे अंचल में खेतों में बोवनी हो चुकी है और फसलों में अंकुरण हो रहा है।

वर्षा से नदी-नालों में पानी भर गया है, किंतु बाढ़ या विध्वंस जैसी कोई स्थिति अब तक नहीं बनी है। इंदौर व उज्जैन संभाग में वर्षा रुक-रुककर हो जा रही है। कभी सुबह को तो कभी शाम को और कभी दोपहर को सामान्य रूप से बादल बरस जा रहे हैं, नतीजतन, पिछले वर्ष जैसी विकट स्थिति अभी तकि कहीं नहीं बनी है।

मध्य भारत अंचल : मेहरबान मानसून दे रहा राहत

मानसून मध्यभारत अंचल पर मेहरबान है। यहां के अधिकतर जिलों में सामान्य या मध्यम वर्षा हुई है। इलाके के जिलों में केवल बैतूल ऐसा है, जहां वर्षा अब तक सामान्य स्तर से कम है। वहीं, राजधानी भोपाल में वर्षा रुक-रुककर हो रही है। हालांकि यह इतनी नहीं है कि कहीं जलभराव से विकट हालात उत्पन्न हों। नतीजतन, मानसून में अब तक राहत है। दूसरे जिलों में भी वर्षा की स्थिति सामान्य से मध्यम ही है। कहीं भी बाढ़ या भीषण जलभराव के हालात अब तक उत्पन्न नहीं हुए हिैं।

ग्वालियर अंचल: भारी वर्षा का श्योपुर में सर्वाधिक असर, राजस्थान से सड़क संपर्क कटा

ग्वालियर और चंबल अंचल में अब तक हुई भारी वर्षा से जनजीवन प्रभावित हुआ है। वर्षा का सर्वाधिक असर श्योपुर में दिखाई दिया। श्योपुर से सटे बड़ौदा कस्बे में पिछले 36 घंटे में 13 इंच वर्षा का आंकड़ा सामने आया है। इस कारण अस्पताल, कालेज और घरों में पानी भर गया। राजस्थान के बारां, कोटा, पाली को जोड़ने वाले खातौली पुल पर चार से पांच फीट पानी के बहाव से सड़क संपर्क कट गया है।

ऐसे हालात तीन वर्ष पहले 2021 में आई बाढ़ के कारण बने थे। बड़ौदा में बीए की परीक्षा देने पहुंचे छात्रों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया। श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में 13 वयस्क और 13 ही चीता शावक हैं। चूंकि सभी चीतों को बड़े बाड़े रखा गया है तो फिलहाल इन्हें कोई खतरा नहीं है।

ग्वालियर में जून और जुलाई का कोटा पहले सप्ताह में ही पूरा हो गया है। जून में 79 मिली और जुलाई में 151 मिमी वर्षा का कोटा है। छह जुलाई दोपहर साढ़े 11 बजे तक 292.3 मिमी वर्षा दर्ज की जा चुकी है। 24 घंटे में ग्वालियर में लगभग 100 मिमी वर्षा हो चुकी है।

जबलपुर अंचल : अब तक छिटपुट वर्षा, जलाशयों का जलस्तर हो रहा कम

गत वर्ष के मुकाबले इस बार मानसून ने पांच दिन पहले दस्तक दी, लेकिन रफ्तार इतनी धीमी कि 15 दिन बाद भी कुल वर्षा का आंकड़ा 10 इंच तक नहीं पहुंच पाया। अब तक कुल 8.6 इंच वर्षा हुई है। जबकि 21 जून से सक्रिय हुए मानसून के शुरुआती दौर में तो झमाझम वर्षा हुई थी। पिछले एक सप्ताह से मानसूनी गतिविधियां शिथिल पड़ गई हैं। गत वर्ष की बात करें तो मानसून 25 जून को आ गया था मानसून सीजन में अब तक 10.1 इंच वर्षा हो चुकी थी। मसलन गत वर्ष की तुलना में वर्षा का आंकड़ा दो इंच कम है। वर्तमान में छिटपुट वर्षा ही हो रही है।

हालांकि क्षेत्रीय मौसम विज्ञानी डा देवेंद्र तिवारी बताते हैं कि मानसून प्रणालियां सक्रिय हैं और आने वाले दिनों में वर्षा का आंकड़ा तेजी से बढ़ सकता है। मानसून सीजन में जिले में औसतन 52 इंच वर्षा होती है। वहीं, मानसून की गति धीमी पड़ने से शहर की प्यास बुझाने वाले परियट जलाशाय का जलस्तर लगातार कम हो रहा है।

परियट का जलस्तर सात फीट ही शेष रह गया है। यही कारण है कि नगर निगम द्वारा शहर के एक चौथाई क्षेत्र में एक टाइम की जलापूर्ति की जा रही है। अन्य क्षेत्रों में बरगी बांध से जलापूर्ति की जाती है। बरगी बांध का अधिकतम जलस्तर 422 मीटर है जबकि वर्तमान में 410 मीटर है।

किसानों को कृषि विज्ञानियों की सलाह

ग्वालियर अंचल के किसानों के लिए ग्वालियर कृषि विकास केंद्र के विज्ञानी सत्यप्रकाश तोमर का कहना है कि जिन किसानों ने पूर्व में ज्वार-बाजरा और धान की फसल कर ली थी, उनके लिए यह वर्षा लाभदायक है। जिन किसानों ने अभी ज्वार-बाजरा फसल बोई और अंकुरण हुआ है, उनके लिए यह नुकसानदायक है, क्योंकि खेतों में पानी भर जाने से उन्हें नुकसान होगा।

चंबल के बीहड़ी क्षेत्र, जहां पानी बहकर निकल जाता है, वहां नुकसान नहीं होगा। इस मौसम में खाद और दवा का उपयोग न करें, वह वर्षा में बहकर व्यर्थ हो जाएगी। खाली खेतों में पानी जमा रहने दें, यह भूजल स्तर को बढ़ाएगा। शहरी क्षेत्र में वाटर हार्वेस्टिंग संरचनाओं को दुरुस्त कर लेना चाहिए।

जलबपुर अंचल के किसानों को सलाह

वहीं, जबलपुर कृषि विभाग के उपसंचालक रवि अमृवंशी ने बताया कि जलबपुर अंचल में वर्तमान में अब तक हुई वर्षा फसलों के सामान्य है। जिले में मक्के की बोवाई हो चुकी है, धान की फसलों के लिए कुछ क्षेत्रों में रोपे लगाए जा चुके है जबकि शेष लगाए जाने हैं। धान, मक्का को जितनी पानी चाहिए उतना पर्याप्त है।

हालांकि उन्होंने यह संभावना भी जताई है यदि एक सप्ताह और इसी तरह मौसम रहा और वर्षा नही हुई तो फसलों को नुकसान पहुंचने की संभावना है। किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे धान का रोपण करने में देरी न करें।

महाकोशल के बालाघाट और छिंदवाड़ा में उम्मीद के अनुसार वर्षा मानी जा रही है। किसानों ने धान की बोवनी भी शुरू कर दी है। बुंदेलखंड के दमोह में कम वर्षा हुई है। शहडोल, अनूपपुर और उमरिया में वर्षा सामान्य है। नरसिंहपुर, रीवा, सतना, सीधी तक वर्षा सामान्य से कम है।

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