Shahdol Information: अब रोपाई नहीं… बुआई से किसान लेंगे धान की फसल, पहली बार हो रहा नई तकनीक का इस्तेमाल

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अब नई तकनीक के तहत मल्टी क्रॉप सीड ड्रिल मशीन की मदद से बिना पौध के ही सीधे धान की खेती संभव होगी। इस तकनीक से पानी की बचत होगी और लागत में भी काफी ज्यादा कमी आएगी। किसानों को परेशान भी नहीं होना पड़ेगा।

By Sandeep Chourey

Publish Date: Thu, 04 Jul 2024 07:00:00 AM (IST)

Up to date Date: Thu, 04 Jul 2024 07:00:00 AM (IST)

HighLights

  1. बिना पौध के धान की फसल लेंगे किसान
  2. 10000 हेक्टेयर में धान की खेती का प्रयोग
  3. मल्टीक्रॉप सीडड्रिल मशीन की मदद से खेती

विनोद कुमार शुक्ला, शहडोल। जिले में इस बार धान की खेती में नई तकनीक का प्रयोग हो रहा है। पंजाब की तर्ज पर मल्टीक्राप सीड्रिल मशीन की मदद से बिना पौध के ही किसान सीधे धान की फसल लेंगे। यानी अब धान की नर्सरी तैयार नहीं करेंगे।

शुरू हो गई है बोवनी

पहली बार बतौर प्रयोग दस हजार हेक्टेयर में खेती कराने का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है और बोवनी भी शुरू हो गई है। इसी तरह सोयाबीन, उड़द, मूंग की खेती में नवाचार के तौर पर मशीन का प्रयोग हो रहा है। जिले में इस बार दो लाख छह हजार हेक्टेयर बोवनी का लक्ष्य तय किया गया है।

बीते साल की अपेक्षा 3000 हेक्टेयर खेती का रकबा बढ़ाया गया है, जिसमें अरहर की खेती का रकबा बढ़ाया गया है। एक लाख 45 हजार हेक्टेयर में सर्वाधिक धान की खेती की होगी। कम लागत में धान का उत्पादन अधिक हो इसके लिए इस नई तकनीक का प्रयोग नवाचार के रूप में हो रहा है। प्रयोग यदि सफल रहा और किसानों को रास आया तो अगले साल से खेती का रकबा बढ़ेगा।

पानी व लागत की बचत

मल्टी क्रॉप सीड ड्रिल मशीन की मदद से बिना पौध के ही सीधे धान की खेती से पानी की बचत होगी और लागत में कमी आएगी। वहीं मजदूरों के लिए किसानों को परेशान भी नहीं होना पड़ेगा। कृषि विज्ञान केंद्र फसलों के परंपरागत तरीके को बदलना लाने के उद्देश्य इस साल नई तकनीक से खेती पर दिया है। कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को सीधे धान की खेती के लिए प्रेरित किया गया और तकनीकी ज्ञान कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी दे रहे है। इस नई तकनीक से जिले के हर ब्लाक में धान की खेती कराई जा रही है।

कम जुताई पर ही हो रही बुवाई

धान की खेती के लिए सामान्यता पौध को तैयार करना पड़ता है। जब पौध 22 दिन की हो जाती है तो उसे उखाड़कर रोपाई की जाती है। रोपाई के लिए खेत को अच्छी तरह तैयार करना होता है, लेकिन सीधी बुवाई में ऐसा नहीं है।इसके लिए खेत को ज्यादा जोतने की जरूरत भी नहीं है।

कम जुताई पर ही बुवाई की जा रही है।बोवनी के लिए मल्टी क्राप सीड्रिल मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।इसमें धान को डाल दिया जाता है। जिस तरह गेहूं की बोवनी की जाती है,उसी तरह अब धान की बोवनी हो रही है,लेकिन इसमें दाने हिसाब से जमीन में गिरेंगे।

मशीन से निश्चित दूरी पर निश्चित दाने ही गिरेंगे। दाने से दाने की दूरी और लाइन से लाइन की दूरी भी बराबर रहेगी।यह मशीन कई फसलों की बुवाई के काम आती है,लेकिन धान के लिए इसमें स्पेशल अटैचमेंट किया गया है। किसानों में कृषि विभाग के माध्यम से किराए पर मशीन दिलाई जा रही है और जो किसान खरीदना चाहेंगे उन्हें छूट मशीन दिलाई जाएगी।

जिले में नई तकनीक का प्रयोग करते हुए पहली बार दस हजार हेक्टेयर में बिना पौध के धान की खेती कराई जा रही है।इससे किसानों को खेती में लागत कम होगी और उत्पादन भी बढ़ेगा। धान के साथ उड़द मूंग और सोयाबीन की खेती में मशीन की तकनीक का प्रयोग करा रहे हैं। किसानों को तैयार किया है, यदि इस बार सफल हुआ तो अगली बार – से इस तकनीक को अधिक अपनाने पर जोर देंगे। – आर पी झारिया, उपसंचालक, कृषि विभाग

जिले में इस बार मल्टीक्रॉप सीड ड्रिल मशीन से धान की खेती कराई जा रही है।इस विधि को पंजाब में पहले से अपनाया जा रहा है। पहली बार शहडोल में कृषि विभाग के माध्यम से इस विधि से फसल तैयार कराई जाएगी। इसके लिए किसानों का चयन कर तकनीक जानकारी दी गई है। इसमें लागत कम आती है और बीज भी कम लगता है।साथ ही मजदूरों की समस्या से किसानों को राहत मिलेगी। – डॉ. बृजकिशोर प्रजापति, विज्ञानी कृषि विज्ञान केंद्र

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